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स्कूल खुले, किताबें गायब: विद्यार्थियों को 15 दिन बाद भी न मिलीं पुस्तकें, पढ़ाई पर संकट; कब सुध लेगा प्रशासन?

अमर उजाला नेटवर्क, बलौदा बाजार Published by: श्याम जी. Updated Thu, 03 Jul 2025 12:24 PM IST
सार

बलौदा बाजार जिले के स्कूलों में नया शिक्षा सत्र शुरू हुए 15 दिन बीत गए। अधिकांश शासकीय स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंचीं हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बार कोडिंग और नई शिक्षा नीति के कारण आपूर्ति में देरी चिंता का विषय बनी हुई है।

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Students did not get textbooks in government schools in Baloda Bazar Bhatapara
विद्यार्थी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बलौदा बाजार जिले के प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हुए 15 दिन से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन अब तक अधिकांश शासकीय स्कूलों में विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल सकी हैं। 16 जून से स्कूल खुलने के बावजूद छात्र-छात्राएं अब भी किताबों के बिना पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
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पालक परेशान, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित
अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेज रहे हैं, लेकिन किताबों के अभाव में बच्चों को पढ़ाई समझ नहीं आ रही है। होमवर्क करना भी उनके लिए मुश्किल हो गया है। इससे बच्चों की शिक्षा पर गंभीर असर पड़ रहा है।
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बार कोडिंग के चलते छपाई में देरी
सूत्रों के अनुसार, पिछले वर्ष पाठ्यपुस्तक निगम में करोड़ों रुपये की किताबों की गड़बड़ी उजागर होने के बाद इस वर्ष प्रत्येक पुस्तक पर स्कूलवार बार कोडिंग की जा रही है। इस प्रक्रिया के कारण किताबों की छपाई और आपूर्ति में भारी देरी हो रही है।

पीएम श्री स्कूलों में हालात और भी खराब
बलौदा बाजार जिले के 50 प्रतिशत से अधिक प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में अब तक किताबें नहीं पहुंची हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति पीएम श्री स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों की है, जहां नई अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों की छपाई और आपूर्ति नई शिक्षा नीति के बदलावों के चलते लंबित है।

केवल आश्वासन, समाधान नहीं
स्कूल प्राचार्यों का कहना है कि पुस्तक वितरण केंद्रों से लगातार संपर्क किया जा रहा है, लेकिन केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं। किताबें मिलते ही छात्रों को वितरित कर दी जाएंगी। इस बीच, शिक्षकों द्वारा पुरानी किताबों और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से पढ़ाई जारी रखने की कोशिश की जा रही है।

परीक्षा नजदीक, तैयारी अधूरी
सबसे बड़ा संकट यह है कि आने वाले दिनों में मासिक परीक्षा एवं क्वार्टरली एग्जाम होने वाले हैं। ऐसे में किताबों के अभाव में छात्रों की परीक्षा की तैयारी संभव नहीं हो पा रही है। इससे उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

प्रशासन कब लेगा सुध?
अब सवाल यह उठता है कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इस गंभीर स्थिति की ओर कब ध्यान देगा? बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ आखिर कब तक चलता रहेगा? किताबों की समय पर आपूर्ति को लेकर क्या कोई जवाबदेही तय होगी?
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