जैसलमेर बस हादसा: 20 मौतें; कोई प्री वेडिंग शूट को आया था, कोई छुट्टियां मनाने, पटाखों से आग लगने की आशंका
जैसलमेर बस हादसे में घायलों के परिजनों ने एंबुलेंस की बदहाली पर नाराजगी जताई। परिजनों ने बताया कि ग्रीन कॉरिडोर तो बना लेकिन एंबुलेंस खटारा थी। डीजल भरवाया गया, ओटीपी का इंतजार हुआ, लाइट नहीं थी, स्पीड भी बेहद कम थी।

विस्तार
राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार दोपहर हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर दोपहर करीब 3:30 बजे एक चलती एसी स्लीपर बस में भीषण आग लग गई। इस हादसे में एक ही परिवार के 5 सदस्यों समेत 20 यात्रियों की जिंदा जलने से मौत हो गई, जबकि 15 से ज्यादा लोग झुलस गए, जिनका जोधपुर में इलाज चल रहा है। घटना के वक्त बस में लगभग 40 यात्री सवार थे। हादसा इतना भयानक था कि कई शव बस की बॉडी से चिपक गए, कुछ लोग इस कदर जल गए कि उनकी पहचान तक संभव नहीं रही। इस हादसे में मृतकों के सभी 19 जैसलमेर से शवों को जोधपुर भिजवाया गया है। कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि मृतकों की पहचान हेतु उनके दो निकटतम परिजनों के DNA सैंपल लिए जा रहे हैं।

एम्बुलेंस खटारा, मरीज को लेने के बाद डीजल भरवाने रुकी
जैसलमेर बस हादसे के घायलों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जोधपुर लाया गया, लेकिन परिवहन की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। घायल यात्रियों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि एम्बुलेंस की हालत बेहद खराब थी। घायल मगन के परिजन ने बताया कि सेना, प्रशासन और पुलिस ने हरसंभव मदद की, चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात थी, लेकिन एंबुलेंस की हालत देखकर निराशा हुई। घायल कंडक्टर रफीक के भाई ने बताया कि मरीज को एंबुलेंस में डालने के बाद पहले डीजल भरवाया गया फिर ओटीपी आने का इंतजार किय। इसके बाद भी एंबुलेंस की रफ्तार बहुत धीमी थी और उसमें लाइट तक नहीं थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी कार की टेल लाइट से एंबुलेंस को रास्ता दिखाया, ताकि मरीज सुरक्षित अस्पताल पहुंच सकें। परिजनों की मांग है कि एम्बुलेंस सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियों से किसी की जान न जाए।
( जैसलमेर पहुंचकर जली हुई बस का जायजा लेते सीएम भजनलाल शर्मा ) नई बस, चौथा फेरा और चौंकाने वाली लापरवाही
हादसे का शिकार हुई बस केके ट्रैवल्स की थी, जिसे 1 अक्टूबर 2025 को रजिस्टर किया गया था और 9 अक्टूबर को ऑल इंडिया परमिट जारी हुआ था। यह बस मात्र चौथे फेरे पर थी और इतनी जल्दी बस का जलकर खाक हो जाना, कई सवाल खड़े करता है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बस मॉडिफाइड थी लेकिन उसमें न तो इमरजेंसी एग्जिट गेट था और न ही विंडो तोड़ने के लिए हैमर। इस लापरवाही के कारण लोग बाहर नहीं निकल सके और बस के अंदर ही फंस गए। हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कई शव एक-दूसरे के ऊपर चिपके हुए मिले हैं।
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हादसे की वजह को लेकर अब तक कई थ्योरी सामने आ चुकी हैं। शुरू में शॉर्ट सर्किट को कारण माना गया, फिर कहा गया कि बस के एसी का कम्प्रेशर फट गया। वहीं स्थानीय लोगों का दावा है कि बस की डिक्की में पटाखे रखे हुए थे, जिससे धमाका हुआ और आग फैल गई।
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जोधपुर लाए घायलहादसे में गंभीर रूप से झुलसे 16 लोगों को तुरंत ग्रीन कॉरिडोर के जरिए जोधपुर भेजा गया। करीब 275 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर सेना, पुलिस और प्रशासन की मदद से तैयार किया गया। इस दौरान एक बुजुर्ग की रास्ते में ही मौत हो गई।
प्री-वेडिंग शूट से लौट रहे थे मंगेतरहादसे में घायल एक युवक आशीष दवे अपनी मंगेतर के साथ जैसलमेर प्री-वेडिंग शूट के लिए गया था। उनकी 11 नवंबर को शादी होनी थी। दोनों बस के आगे बैठे थे, इसलिए समय रहते बाहर निकल पाए। हालांकि, आशीष की आंखों की रोशनी प्रभावित हुई है।
प्रधानमंत्री राहत कोष से मददहादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। पीएम ने सोशल मीडिया पर लिखा कि "जैसलमेर हादसे से मन व्यथित है।"
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