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Operation Sindoor: पाकिस्तान सेना के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा 'ऑपरेशन सिंदूर'!

Vinod Patahk विनोद पाठक
Updated Wed, 07 May 2025 05:56 PM IST
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सार

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के ठीक दो सप्ताह बाद ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान सेना के चेहरे से एक और नकाब उतार दिया है। यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान सेना की और दुर्गति देखने को मिलेगी।
 

Operation Sindoor Pakistan Army Propaganda Spread Lies About Indian Army Air strike Fact Check
भारत ने पाकिस्तान में कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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नौ मई 2023 का दिन पाकिस्तान सेना कभी भूलेगी नहीं। उस दिन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने पाकिस्तान में उस भ्रम को तोड़ दिया था कि वहां सेना को कोई चुनौती नहीं दे सकता। इमरान समर्थकों ने न केवल 20 से ज्यादा सैन्य और सरकारी भवनों पर हमला किया था, बल्कि रावलपिंडी में पाकिस्तान सेना के मुख्यालय में घूसकर तोड़-फोड़ की थी। तब एक तरह से पाकिस्तान की जनता का विश्वास अपनी सेना से उठ गया था। पाकिस्तान सेना की इज्जत मिट्टी में मिल गई थी। ठीक दो साल बाद 6-7 मई की मध्यरात्रि को भी पाकिस्तान सेना भूलेगी नहीं। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के ठीक दो सप्ताह बाद ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान सेना के चेहरे से एक और नकाब उतार दिया है। यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान सेना की और दुर्गति देखने को मिलेगी।

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दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में नागरिक सरकार सिर्फ एक मुखौटा भर है। पाकिस्तान सेना ही देश को चलती है। अपनी झूठी प्रतिष्ठा को बचाए रखने के लिए पाकिस्तान सेना केवल और केवल प्रोपेगेंडा का सहारा लेती है। पाकिस्तान सेना की विंग इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए टीवी सीरियल से लेकर फिल्में तक बनाती है। सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाती है। अपनी जनता की नजरों में ऊंचा दिखने के लिए पाकिस्तान सेना झूठे नेरेटिव गढ़ती आ रही है। युद्ध में पराजय को विजय बताया हुआ है। 1965 के भारत-पाक युद्ध, जिसमें पाकिस्तान सेना की करारी हार हुई थी, में वो खुद को विजेता घोषित बताती आ रही है। हर वर्ष 6 सितंबर को 'रक्षा दिवस' या 'यौम-ए-दिफा' मनाती आ रही है, जबकि 1965 में तथाकथित मजबूत पाकिस्तान सेना की पोल 1971 में तब खुल गई थी, जब भारतीय सेना ने न केवल उसे पटखनी दी, बल्कि पाकिस्तान के दो टुकड़े भी करा दिए थे।
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1971 भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान सेना के जनरल जिया-उल-हक ने मार्शल लॉ लगाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। हक के समय पाकिस्तान के स्कूली पाठ्यक्रम को झूठ का पुलिंदा बना दिया गया। साढ़े चार दशक से पाकिस्तान की जनता अपनी सेना के झूठ को सच मानकर झूम रही थी, लेकिन अब लग रहा है कि जनता का मन सेना से भर गया है। बलूचिस्तान हो या खैबर पख्तूनख्वा या पाक अधिकृत कश्मीर, हर तरफ से पाकिस्तान सेना के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में सेना पर लगातार हमले हो रहे हैं। पाकिस्तानी सैनिक मारे जा रहे हैं। विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तान सेना नहीं जुल्म की इंतहां की हुई है। जो कोई पाकिस्तान सेना के खिलाफ कुछ बोलता है, या तो वो जेल में होता है या देश छोड़कर उसे भागने पर विवश होना पड़ता है।
 

Operation Sindoor Pakistan Army Propaganda Spread Lies About Indian Army Air strike Fact Check
ऑपरेशन सिंदूर - फोटो : Amar Ujala

बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की स्थिति

पाकिस्तान सेना के कुछ और झूठों पर नजर डालते हैं। 2016 में उरी हमले के बाद भारतीय सेना की स्ट्राइक को पाकिस्तान सेना ने सिरे से नकार दिया था, जबकि उसे नुकसान हुआ था। 2019 में पुलवामा के बाद जब भारत ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की तो पाकिस्तान सेना ने उसे बिना किसी नुकसान वाला बता डाला था, जबकि बालाकोट में जिस आतंकी ठिकाने पर भारतीय वायुसेना ने मिसाइल गिराई थीं, वहां चार महीने मीडिया को जाने नहीं दिया गया था। भारतीय एयर स्ट्राइक के अगले दिन पाकिस्तान वायुसेना ने जवाबी हमला किया था, जिसमें भारतीय वायुसेवा के पायलट अभिनंदन पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू जहाज का पीछा करते हुए एलओसी पार कर गए थे और उनके मिग-21 बाइसन ने एफ-16 को मिसाइल से शूट कर दिया था।

मेजर जनरल आसिफ गफ्फूर का प्रोपेगेंडा

हालांकि, अभिनंदन का विमान भी मिसाइल लगने से क्रैश हो गया था। तब भी पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफ्फूर ने टेलीविजन पर आकर प्रोपेगेंडा फैलाया था कि पाकिस्तान ने भारत के दो लड़ाकू जहाज गिराए हैं, दो पायलट उनके कब्जे में हैं। सच तो यह है कि अभिनंदन के अलावा दूसरा पायलट कौन था? उसका सच आज तक पाकिस्तान सेना ने नहीं बताया है, जबकि सभी जानते हैं कि वो दूसरा पायलट एफ-16 का था, जिसे भारतीय समझकर पाकिस्तानियों ने पीट-पीटकर घायल कर दिया था और उसकी अस्पताल में मौत हो गई थी। हद तो यह है कि अपनी जनता को मूर्ख बनाने के लिए पाकिस्तान सेना ने अपने एफ-16 को भारत का सुखोई बता दिया और वार मेमोरियल बनाकर सुखोई की टेल तक लगा दी, जबकि बाद में उनके एक रिटायर अफसर ने स्वीकारा कि भारत का कोई दूसरा विमान क्रैश नहीं हुआ था।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान सेना का प्रोपेगेंडा 

अब ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी पाकिस्तान सेना का प्रोपेगेंडा चरम पर है। पाकिस्तान सेना की सोशल मीडिया टीम यह भ्रम फैलाकर अपनी जनता को उल्लू बना रही है कि उसने भारतीय वायुसेवा के लड़ाकू जहाजों को गिराया है, जबकि भारत सरकार और सेना यह साफ कर चुकी है कि सभी पायलट सुरक्षित हैं। कोई जहाज नष्ट नहीं हुआ है। दरअसल, दुनिया में एक मजाक चलता है कि सभी देशों को फौज मिली है, लेकिन पाकिस्तान में फौज को एक देश मिला है। अपने फायदे के लिए पाकिस्तान सेना शुरू से वहां आतंक को पालती आ रही है। पाकिस्तान सेना के जनरलों ने अरबों अमेरिकी डॉलर आतंकवाद के नाम पर डकारे हैं। पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ हों या बड़े पाकिस्तानी नेता, वो आतंकियों को अपना हीरो बता चुके हैं।

दुनिया की दूसरी सेनाओं के विपरीत पाकिस्तान सेना की देश की रक्षा कम, बिजनेस आर्मी अधिक रुचि है। वो पाकिस्तान में पेट्रोल पंप, इंडस्ट्रियल पार्क, बैंक, बकरी,  होजरी कंपनी, डेरी फार्म, सीमेंट प्लांट, स्कूल-यूनिवर्सिटी से लेकर सीमेंट कारखानों से लेकर कॉलोनाइजर तक का कारोबार करती है। कुछ साल पहले पाकिस्तान की संसद में कुछ दस्तावेज रखे गए थे, उनके अनुसार पाकिस्तान सेना 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का बिजनेस कर रही है, यानी पाकिस्तान सेना को लड़ने से अधिक बिजनेस करने में इंटरेस्ट है।

अब पाकिस्तान सेना का बुरा समय शुरू हो गया है। जिस आतंकवाद रूपी जहरीले सांप को उसने पाला था, वही उसे ठस रहा है। पाकिस्तान सेना के खिलाफ देश के भीतर से आवाजें उठ रही हैं। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा से बगावत के सुर बुलंद हो चले हैं। बलूचिस्तान और सिंध प्रांत तो स्वयं को पाकिस्तान से अलग होकर अलग देश के लिए आंदोलन कर रहे हैं। पाकिस्तान सेना को वहां के लोग ही उसका असली चेहरा दिखा रहे हैं। भारत के लिए यह सुनहरा अवसर है। भारत को चाहिए कि वो पाकिस्तान सेना की कमर तोड़ दे। ऑपरेशन सिंदूर तक न रुके। जैसा कुछ पूर्व भारतीय जनरल कह रहे हैं कि यह ऑपरेशन सिंदूर का फेस वन है। आवश्यकता पाकिस्तान सेना को हर तरीके से नुकसान पहुंचाने और बेनकाब करने की है। आतंकी पाकिस्तान सेना का फन कुचलने तक भारत को रुकना नहीं चाहिए।

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

 

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