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ग्वालियर में सिंधिया की सक्रियता चर्चा में

Suresh Tiwari सुरेश तिवारी
Updated Fri, 19 Sep 2025 06:00 AM IST
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सार

सिंधिया तीन दिन तक ग्वालियर और मुरैना क्षेत्र में सक्रिय रहे। कई नेताओं को इस बात पर आपत्ति थी कि सिंधिया ना तो ग्वालियर-मुरैना के सांसद हैं और ना विधायक, फिर ऐसे में उनका ग्वालियर में सरकारी बैठक लेना, सक्रियता बढ़ाना, कहां तक उचित है।

Scindia's activism in Gwalior is in the news.
राज और नीति: सियासी और प्रशासनिक हलचल का कॉलम - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्य प्रदेश कैबिनेट की बैठक में जिस तरह सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों ने ग्वालियर की सड़कों के गड्ढे और विकास की दुर्दशा को लेकर मुख्यमंत्री के सामने बात रखी, वह असामान्य घटना के रूप में अंकित हो गई। उसके दो-चार दिन में ही केंद्रीय मंत्री सिंधिया द्वारा ग्वालियर में विकास कार्यों को लेकर ली गई बैठक चर्चा में बनी रही। बड़ी बात यह है कि सिंधिया द्वारा ली गई बैठक में सांसद भारत सिंह कुशवाहा मौजूद नहीं रहे। इसके साथ ही नगर निगम के सभापति मनोज तोमर भी मौजूद नहीं रहे। सांसद ने अपनी तरफ से इतना जरूर कहा कि वे दिल्ली में ग्वालियर के विकास को लेकर व्यस्त थे। इसके पहले जब सांसद ने बैठक ली थी तो सिंधिया समर्थक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और सिंधिया समर्थक विधायक मौजूद नहीं थे। सिंधिया तीन दिन तक ग्वालियर और मुरैना क्षेत्र में सक्रिय रहे। कई नेताओं को इस बात पर आपत्ति थी कि सिंधिया ना तो ग्वालियर-मुरैना के सांसद हैं और ना विधायक, फिर ऐसे में उनका ग्वालियर में सरकारी बैठक लेना, सक्रियता बढ़ाना, कहां तक उचित है। बताया तो यहां तक जाता है कि तोमर की वजह से ही उन्हें लोकसभा का टिकट मिला था। बहरहाल ग्वालियर में चल रहे घटनाक्रम को लेकर मुख्यमंत्री क्या करेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
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सहकारिता निर्वाचन आयोग का क्या औचित्य?
मध्य प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के समय पर चुनाव कराने के लिए 2013 में राज्य सहकारिता निर्वाचन आयोग बनाया गया। इस संस्था में आयुक्त अथवा सचिव स्तर से सेवानिवृत आईएएस अधिकारी को राज्य सहकारिता निर्वाचन पदाधिकारी नियुक्त किया जाता है। संस्था ने 2014 में कोई साढ़े 4 हजार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां, 38 सहकारी बैंकों और अपेक्स बैंक का चुनाव कराया। यह चुनाव 5 वर्ष के लिए हुआ, जिसका कार्यकाल 2019 में समाप्त हो गया। इसके बाद 6 साल बीत चुके हैं, लेकिन आयोग आज तक चुनाव करवाने में सफल नहीं हो पाया। 2019 में पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष श्रीवास्तव और 2022 से अब तक पूर्व आईएएस अधिकारी एमबी ओझा इस आयोग में राज्य सहकारिता निर्वाचन पदाधिकारी हैं, लेकिन दोनों ही चुनाव नहीं करवा पाए हैं। यहां तक की हाई कोर्ट के आदेश-निर्देश के बाद भी कई सहकारी संस्थाओं के चुनाव किसी न किसी बहाने टाल दिए जाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इस संस्था का जिस उद्देश्य के लिए गठन किया गया था, उसका औचित्य ही समाप्त हो गया है।
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मुख्य सचिव अनुराग जैन अब जाएंगे सरकारी बंगले में 
मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने एक्सटेंशन मिलने के बाद अपनी नई पारी शुरू कर दी है। वे मुख्य सचिव बनने के बाद अभी तक किसी भी शासकीय निवास में शिफ्ट नहीं हुए हैं। फिलहाल वे सुशासन और नीति विश्लेषण स्कूल के गेस्ट हाउस में रह रहे हैं, लेकिन अब माना जा रहा है कि वे कार्य व्यवस्था की दृष्टि से मुख्य सचिव स्तर के शासकीय निवास में शिफ्ट हो रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्होंने भोपाल की सबसे पॉश लोकेशन चार इमली स्थित बी-18 बंगले का चयन भी कर लिया है। इसमें अभी पूर्व पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना रह रहे हैं। वैसे राज्य शासन द्वारा मुख्य सचिव का एयर मार्क निवास चार इमली में ही बी-13 है, जहां वर्तमान में पूर्व अपर मुख्य सचिव जे एन कंसोटिया रह रहे हैं। वैसे चार इमली में ही बी-15 बंगला भी मुख्य सचिव स्तर का माना जाता है, जहां पहले पूर्व मुख्य सचिव एस आर मोहंती रहे हैं। पहले पता चला था कि अनुराग जैन इस बंगले में शिफ्ट हो सकते हैं, जहां अभी पूर्व अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान रहते थे। उन्होंने यह बंगला खाली भी कर दिया है, लेकिन मुख्य सचिव इस बंगले में भी नहीं गए और अब यह बंगला अपर मुख्य सचिव, वित्त मनीष रस्तोगी को आवंटित हो गया है। मुख्य सचिव ने इन दोनों बंगलों के बजाय अपने लिए उस बंगले का चयन किया है, जिसमें इस समय पूर्व डीजीपी सुधीर सक्सेना रह रहे हैं। पता चला है कि इस बंगले में निवास के साथ-साथ ऑफिस की भी अच्छी सुविधा है। शायद यही कारण है कि मुख्य सचिव अनुराग जैन ने इस बंगले को पसंद किया है। पता चला है कि सुधीर सक्सेना इस माह अंत तक बंगले को खाली कर देंगे।

भारत सरकार में दो महत्वपूर्ण पद खाली
भारत सरकार में इस समय दो महत्वपूर्ण पद खाली हैं। पिछले 30 जून को 1987 बैच के आईएएस अधिकारी अजय सेठ की सेवानिवृत्ति के बाद से केंद्रीय वित्त सचिव के पद पर किसी को पदस्थापना नहीं मिली है। इस बीच, अजय सेठ को जरूर सरकार ने इंश्योरेंस रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया, लेकिन केंद्र में वित्त सचिव की पद पर अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई। एक और महत्वपूर्ण पद हाल ही में रिक्त हो गया है। मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया 12 सितंबर को अपना सेवाकाल पूरा कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने अभी इस पद पर भी किसी को नियुक्त नहीं किया है। हालांकि, इस पद और केंद्रीय सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सरकार के पास 600 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हो चुके हैं जिस पर निर्णय लिया जाना है।

इंदौर प्रेस क्लब चुनाव में तगड़ा तामझाम
इंदौर प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के हाल ही में हुए चुनाव ने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव की याद दिला दी। 14 सितंबर को चुनाव के दिन इंदौर प्रेस क्लब के परिसर में मतदाताओं की लंबी-लंबी लाइन, सुरक्षा के कड़े इंतजाम, प्रत्येक वोटर की प्रवेश से लेकर वोट देने तक तीन बार पहचान की जांच। ये चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुए और उसमें प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अरविंद तिवारी समर्थित पैनल विजयी रही। उनकी पैनल के मुकेश तिवारी ने सर्वाधिक वोट प्राप्त कर एक नया रिकॉर्ड बनाया।

अस्वीकरण: यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें। 
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