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आर्थिकी: भारतीय कृषि को मिलेगी नई ऊर्जा, जीएसटी में बदलाव छोटे उद्यमों को विकास के केंद्र में रखने की नीति...
नवीन पी. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर-एनआईएपी
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sat, 06 Sep 2025 06:17 AM IST
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धान की फसल। (फाइल)
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संवाद
विस्तार
जुलाई 2017 में जब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का शुभारंभ हुआ, तो इसे स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा कर सुधार माना गया, पर वर्षों तक बिखरी हुई दरें किसानों के लिए उत्पादन खर्च बढ़ाती रहीं। अब आठ वर्षों बाद जीएसटी परिषद ने कर सुधार के जरिये इन विकृतियों को दूर कर दिया है। कर में राहत किसानों का बोझ घटाएगी, सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाएगी और भारतीय कृषि को अधिक प्रतिस्पर्धी व टिकाऊ बनाएगी। ट्रैक्टर पर कर घटाकर 12 फीसदी से पांच फीसदी कर दिया गया है, तो टायर, ट्यूब और हाइड्रोलिक पंप, स्प्रिंकलर, ड्रिप सिंचाई उपकरण, थ्रेशर और कंपोस्ट मशीन पर कर घटाकर पांच फीसदी रखा गया है। इससे छोटे और सीमांत किसान भी आधुनिक मशीनें अपना पाएंगे, जिससे श्रम लागत बचेगी और उत्पादकता बढ़ेगी।
खाद की उपलब्धता किसानों की आर्थिक स्थिति और खाद्य सुरक्षा, दोनों के लिए अहम है। अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड जैसे कच्चे माल पर जीएसटी घटाकर पांच फीसदी कर देने से इनपुट की आपूर्ति स्थिर होगी और लागत का बोझ किसानों पर नहीं पड़ेगा। इसी प्रकार, जैव कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर भी जीएसटी घटाकर पांच फीसदी किया गया है। इससे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा, रासायनिक दवाओं का प्रयोग घटेगा और कृषि को स्थिरता व जलवायु अनुकूलन मार्ग पर अग्रसर किया जा सकेगा। छोटे जैविक उत्पादकों और किसान उत्पादक संगठनों के लिए यह राहत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। डेयरी केवल एक उद्योग नहीं, बल्कि ग्रामीण आजीविका की रीढ़ है, विशेषकर महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों के लिए। मक्खन, घी और दूध के डिब्बों पर कर घटाकर पांच फीसदी करने से प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी, किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा और परिवारों को सस्ता पोषण। मधुमक्खी पालन और मत्स्य पालन को भी राहत दी गई है। प्राकृतिक शहद पर कर घटने से ग्रामीण और आदिवासी मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ेगी, वहीं मछली उत्पादों पर कर घटाकर पांच फीसदी करने से मत्स्य उद्योग को नई गति मिलेगी। ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के वनवासियों की जीवन रेखा तेंदूपत्ता पर भी अब केवल पांच फीसदी कर लगेगा। तैयार-खाद्य और संरक्षित फल, सब्जियों तथा मेवों पर जीएसटी घटाकर पांच फीसदी करने से कोल्ड स्टोरेज में निवेश बढ़ेगा, फसल की बर्बादी घटेगी, किसानों को उपभोक्ता मूल्य का बड़ा हिस्सा मिलेगा और छोटे प्रोसेसर व एफपीओ-आधारित उद्यम अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। दीर्घकाल में यह भारत को मूल्य संवर्धित कृषि-निर्यातों में अहम स्थान दिला सकता है।
लॉजिस्टिक्स पर उच्च कर दरों ने माल ढुलाई की लागत बढ़ा दी थी। अब वाणिज्यिक वाहनों पर कर 28 से घटाकर 18 फीसदी कर दिया गया है। माल-वाहन बीमा पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति दी गई है। इससे परिवहन खर्च घटेगा, फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान कम होंगे और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। इसे ग्रामीण कोल्ड चेन और डिजिटल लॉजिस्टिक्स प्लेटफार्मों से जोड़ा जाए, तो यह संपूर्ण आपूर्ति शृंखला को बदल सकता है। जीएसटी 2.0 केवल कर कटौती भर नहीं है, बल्कि यह किसानों, सहकारी संस्थाओं और छोटे उद्यमों को विकास के केंद्र में रखने का नीति संकेत है। खेती की लागत घटाकर, टिकाऊ इनपुट को प्रोत्साहित कर, सहायक गतिविधियों को बल देकर और मूल्य शृंखलाओं को सशक्त बनाकर यह जीएसटी को बोझ से समृद्धि के साधन में बदल देता है। जीएसटी 2.0 का लक्ष्य भारतीय कृषि को सशक्त कर विकसित भारत की परिकल्पना के अनुरूप आगे बढ़ाना है।