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संतुलित हस्तक्षेप: वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का परिप्रेक्ष्य व्यापक, सुधार की पहल को उचित...
अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Tue, 16 Sep 2025 06:11 AM IST
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सुप्रीम कोर्ट
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अमर उजाला
विस्तार
सर्वोच्च न्यायालय ने बहुप्रतीक्षित फैसले में वक्फ संशोधन कानून पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने साफ किया कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन कुछ प्रावधानों पर अंतरिम सुरक्षा दी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन और उपयोग लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है और वक्फ में सुधार की मांग मुस्लिम समुदाय के भीतर से भी उठती रही है। इस संदर्भ में, केंद्र सरकार ने आठ अप्रैल, 2025 को वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को लागू करने का फैसला किया था और शीर्ष अदालत ने इस मामले में दाखिल पांच याचिकाओं पर 22 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अब अदालत ने जिस सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान पर अंतरिम रोक लगाई है, वह था वक्फ का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम पांच वर्ष इस्लाम का पालन करने अनिवार्यता। शीर्ष अदालत ने यह कहा है कि जब तक राज्य सरकारें इस शर्त के अनुपालन के लिए नियम नहीं बनातीं, तब तक यह प्रावधान लागू नहीं होगा। इसके अतिरिक्त अदालत ने उन प्रावधानों पर भी रोक लगाई है, जो कलेक्टर या सरकारी अधिकारी को यह तय करने की शक्ति देते थे कि कोई वक्फ संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं।
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश का यह कहना है कि कलेक्टर कार्यपालिका का अंग होता है, जिस कारण अगर उसे यह शक्ति दी गई, तो यह शक्तियों के पृथक्करण सिद्धांत के खिलाफ होगा। इसके अतिरिक्त, वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को नामांकित करने वाले प्रावधान पर रोक नहीं लगाने के बावजूद शीर्ष अदालत ने कुछ नियम दिए हैं। उनके मुताबिक, केंद्रीय वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या चार और राज्यों के वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक नहीं हो सकेगी।
इसके अतिरिक्त अदालत ने मंशा जाहिर की है कि जहां तक मुमकिन हो, बोर्डों के पदेन सदस्य मुस्लिम हों, हालांकि इसकी जिम्मेदारी सरकार पर ही छोड़ दी गई है। अदालत का मानना है कि संसद द्वारा पारित कानून को दुर्लभतम मामलों में ही बदला जा सकता है।
यह उम्मीद की जानी चाहिए कि लोकसभा और राज्यसभा में करीब 14 घंटे की बहस और संयुक्त संसदीय समिति में छह महीने तक चली चर्चा के बाद अब शीर्ष अदालत के परीक्षण से वक्फ संशोधन कानून सभी दृष्टि से त्रुटिविहीन होगा। ऐसे मसलों को राजनीतिक हितों की दृष्टि से देखने के बजाय व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने पर ही सही दिशा में बढ़ा जा सकता है।