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Virat-Anushka: संत प्रेमानंद महाराज ने कोहली-अनुष्का को बताया- कैसे बरसेगी कृपा, पूछा- खुश हो? मिला यह जवाब
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Tue, 13 May 2025 12:40 PM IST
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सार
कोहली और अनुष्का ने संत प्रेमानंद के आश्रम में साढ़े तीन घंटे से भी ज्यादा समय बिताया। दोनों सुबह करीब छह बजे आश्रम पहुंचे और करीब साढ़े नौ बजे वहां से निकल गए।

विराट-अनुष्का और संत प्रेमानंद
- फोटो : Youtube screengrab

विस्तार
टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा मंगलवार सुबह वृंदावन पहुंचे। यहां उन्होंने श्रीराधे हित केली कुंज आश्रम में संत प्रेमानंद महाराज से भेंट की। इस दौरान दोनों ने संत महाराज से आशीर्वाद लिया और आध्यात्मिक चर्चा में भाग लिया। संन्यास के बाद यह उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति मानी जा रही है। संन्यास के बाद सीधे आध्यात्मिक शांति की तलाश में वह वृंदावन पहुंचे।
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विराट ने सोमवार को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था
विराट ने सोमवार को इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिये टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का एलान किया था। उन्होंने एक भावुक पोस्ट के जरिये अपने 14 साल के टेस्ट करियर पर विराम लगाने की पुष्टि की थी। विराट ने कहा था कि उन्होंने इस प्रारूप से काफी सबक लिया है। विराट टी20 अंतरराष्ट्रीय से पहले ही संन्यास ले चुके हैं और अब सिर्फ वनडे में खेलते दिखाई पड़ेंगे। विराट आईपीएल 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम का भी हिस्सा हैं और कुछ दिनों बाद वह आरसीबी टीम से जुड़ जाएंगे और पहली बार टीम को चैंपियन बनाने की कोशिश करेंगे।
विराट ने सोमवार को इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिये टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का एलान किया था। उन्होंने एक भावुक पोस्ट के जरिये अपने 14 साल के टेस्ट करियर पर विराम लगाने की पुष्टि की थी। विराट ने कहा था कि उन्होंने इस प्रारूप से काफी सबक लिया है। विराट टी20 अंतरराष्ट्रीय से पहले ही संन्यास ले चुके हैं और अब सिर्फ वनडे में खेलते दिखाई पड़ेंगे। विराट आईपीएल 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम का भी हिस्सा हैं और कुछ दिनों बाद वह आरसीबी टीम से जुड़ जाएंगे और पहली बार टीम को चैंपियन बनाने की कोशिश करेंगे।
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संत प्रेमानंद के आश्रम में साढ़े तीन घंटे रहे कोहली-अनुष्का
कोहली और अनुष्का ने संत प्रेमानंद के आश्रम में साढ़े तीन घंटे से भी ज्यादा समय बिताया। दोनों सुबह करीब छह बजे आश्रम पहुंचे और करीब साढ़े नौ बजे वहां से निकल गए। यह पहली बार नहीं है जब विराट संत प्रेमानंद से मिलने पहुंचे हैं। वह इससे पहले जनवरी 2023 में इसी साल जनवरी में भी मिलने पहुंचे थे। अब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने संत प्रेमानंद से गहन चर्चा की। इस दौरान विराट ने पूछा कि असफलता से कैसे बाहर निकला जाए? इस पर प्रेमानंद ने कहा कि अभ्यास करना जारी रखें।
कोहली और अनुष्का ने संत प्रेमानंद के आश्रम में साढ़े तीन घंटे से भी ज्यादा समय बिताया। दोनों सुबह करीब छह बजे आश्रम पहुंचे और करीब साढ़े नौ बजे वहां से निकल गए। यह पहली बार नहीं है जब विराट संत प्रेमानंद से मिलने पहुंचे हैं। वह इससे पहले जनवरी 2023 में इसी साल जनवरी में भी मिलने पहुंचे थे। अब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने संत प्रेमानंद से गहन चर्चा की। इस दौरान विराट ने पूछा कि असफलता से कैसे बाहर निकला जाए? इस पर प्रेमानंद ने कहा कि अभ्यास करना जारी रखें।
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— 🧢1⃣0⃣ (@CapXSid) May 13, 2025
Virat Kohli and Anushka Sharma visit Premanand Ji Maharaj in Vrindavan. ❤️
Last time he visted,mahraj said,
" Sanyaas lelo "#ViratKohli𓃵 #ViratKohli #AnushkaSharmapic.twitter.com/x2AnJA2jtA pic.twitter.com/hvghAHcmyP
विराट-अनुष्का से संत प्रेमानंद की बातचीत के प्रमुख अंश
संत प्रेमानंद: क्या आप खुश हैं?
विराट कोहली: हां ठीक हूं।
संत प्रेमानंद: हां ठीक ही रहना चाहिए। हम आपको अपने प्रभु का विधान बताते हैं। जब प्रभु किसी पर कृपा करते हैं, ये वैभव मिलना कृपा नहीं है, ये पुण्य है। पुण्य से एक घोर पापी को भी वैभव मिलता है। ये वैभव बढ़ना या यश बढ़ना भगवान की कृपा नहीं मानी जाती है। भगवान की कृपा मानी जाती है अंदर का चिंतन बदलना। जिससे आपके अनंत जन्मों के संस्कार भस्म होकर और अगला जो है वो बड़ा उत्तम होगा। अंदर की चिंतन से होता है बाहर से कुछ नहीं होता है। अंदर का चिंतन हमलोगों का स्वभाव बन गया बैरमुखी। बैरमुखी मतलब बाहर। बाहर यानी यश, कीर्ति, लाभ, विजय, इससे हमें सुख मिलता है। अंदर से कोई मतलब नहीं रखता कोई। अब क्या होता है जब भगवान कृपा करते हैं तो संत समागम देते हैं। दूसरी बार जब कृपा होती है तो विपरीतता देते हैं और फिर अंदर से एक रास्ता देते हैं। ये परम शांति का रास्ता है। भगवान शांति का रास्ता देते हैं और जीव को अपने पास बुला लेते हैं। बिना प्रतिकूलता के संसार का राग नष्ट नहीं होता। किसी को वैराग्य होता है तो संसार की प्रतिकूलता देखकर वैराग्य होता है। सबकुछ हमारे अनुकूल है तो हम आनंदित होकर उसका भोग करते हैं, जब हमारे ऊपर प्रतिकूलता आती है तब हमें ठेस पहुंचती है कि इतना झूठा संसार। इसके बाद अंदर से भगवान रास्ता देते हैं कि ये सही है। बिना प्रतिकूलता के इस संसार को छुड़ाने की कोई औषधि नहीं रखी। आज तक जितने बड़े महापुरुष हुए हैं, जिनका जीवन बदला है, उनका जीवन प्रतिकूलता का दर्शन करके बदला है। तो कभी प्रतिकूलता आए तो उस समय आनंदित होकर समझें कि अब मेरे ऊपर भगवान की कृपा हो रही है। मुझे सतमार्ग पर चलने की प्रेरणा मिल रही है। अपना सुधार कर लो, अपने जीवन को सत्य में ले आओ तो अगला जो होगा वो बहुत जोर का होगा। अगर इस जन्म में भगवत की प्राप्ति नहीं हुई, तो भगवान श्रीकृष्णा ने गीता में कहा है- भक्त का नाश नहीं होता। मैं कुलवान, धनवान के कुल में जन्म देता हूं और फिर पुन: भक्ति का माहौल देता हूं, पूर्व का जो भजन छूटा हुआ है, वहीं से उसको ऊपर उठाता हूं। बिल्कुल ऐसे रहो जैसे रह रहे हो, बिल्कुल संसारिक बनकर रहो, लेकिन कोशिश करें कि अंदर का चिंतन आपका बदल जाए। अंदर के चिंतन में धन बढ़ाने की भावना न रह जाए। अंदर के चिंतन में रहे- प्रभु बहुत जन्म व्यतीत हो गए, अब एक बार आपसे मिलना चाहते हैं। मुझे अब बस आप चाहिए, संसार नहीं। तो इससे बात बन जाएगी। इसलिए आनंदपूर्वक भगवान के नाम का जप करो, बिल्कुल चिंता मत करो।
अनुष्का शर्मा: बाबा क्या नाम जप से हो जाएगा?
संत प्रेमानंद: पूरा। ये हम अपने जीवन का अनुभव बताते हैं। सांखयोग, अष्टांगयोग, कर्मयोग और भक्तियोग, चारों योगों में प्रवेश रहा है। स्वयं भगवान शंकर से बढ़कर तो कोई ज्ञानी नहीं है। सनकादि से बढ़कर कोई ज्ञानी नहीं है। सनकादि 'हरिशरणम, हरिशरणम' हमेशा जपते रहते हैं। भगवान शिव राम राम राम राम जपते रहते हैं। हम वृंदावनवासी प्रिया प्रितम के उपासी राधा राधा जपते हैं। जो राम में रा है और जो धा है वो रस देने वाली वस्तु है। हमारी तार्किक बुद्धि रही है श्रद्धालु बुद्धि नहीं रही है। तो अगर आप राधा राधा जपते हो तो इसी जन्म में भगवत की प्राप्ति होगी। हमारी आखिरी सांस अगर राधा कहती है तो सीधे श्री जी की प्राप्ति, भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। इसमें कोई संशय नहीं और किसी साधन की कोई आवश्यकता नहीं। अगर आप राधा लिख रहे हो तो मन भागेगा नहीं। तो चाहे 10 बार लिखो या 100 बार लिखो, लेकिन एक अभ्यास बनाओ। कुछ समय शांति से स्नान आदि करके राधा-राधा लिखें और फिर उसी का चिंतन भी करें। इसे अपना जीवन बना लें फिर आप परिणाम खुद देख लेना। कोई घाटे का सौदा तो है नहीं। ठीक है।
इसके बाद विराट और अनुष्का ने संत प्रेमानंद के आगे शीश झुका के उन्हें प्रणाम किया। फिर वहां अनुष्का और विराट को संतों ने चुनरी ओढ़ाई। संत प्रेमानंद ने कहा खूब आनंदित रहो और भगवान का नाम जप करते रहो।
संत प्रेमानंद: क्या आप खुश हैं?
विराट कोहली: हां ठीक हूं।
संत प्रेमानंद: हां ठीक ही रहना चाहिए। हम आपको अपने प्रभु का विधान बताते हैं। जब प्रभु किसी पर कृपा करते हैं, ये वैभव मिलना कृपा नहीं है, ये पुण्य है। पुण्य से एक घोर पापी को भी वैभव मिलता है। ये वैभव बढ़ना या यश बढ़ना भगवान की कृपा नहीं मानी जाती है। भगवान की कृपा मानी जाती है अंदर का चिंतन बदलना। जिससे आपके अनंत जन्मों के संस्कार भस्म होकर और अगला जो है वो बड़ा उत्तम होगा। अंदर की चिंतन से होता है बाहर से कुछ नहीं होता है। अंदर का चिंतन हमलोगों का स्वभाव बन गया बैरमुखी। बैरमुखी मतलब बाहर। बाहर यानी यश, कीर्ति, लाभ, विजय, इससे हमें सुख मिलता है। अंदर से कोई मतलब नहीं रखता कोई। अब क्या होता है जब भगवान कृपा करते हैं तो संत समागम देते हैं। दूसरी बार जब कृपा होती है तो विपरीतता देते हैं और फिर अंदर से एक रास्ता देते हैं। ये परम शांति का रास्ता है। भगवान शांति का रास्ता देते हैं और जीव को अपने पास बुला लेते हैं। बिना प्रतिकूलता के संसार का राग नष्ट नहीं होता। किसी को वैराग्य होता है तो संसार की प्रतिकूलता देखकर वैराग्य होता है। सबकुछ हमारे अनुकूल है तो हम आनंदित होकर उसका भोग करते हैं, जब हमारे ऊपर प्रतिकूलता आती है तब हमें ठेस पहुंचती है कि इतना झूठा संसार। इसके बाद अंदर से भगवान रास्ता देते हैं कि ये सही है। बिना प्रतिकूलता के इस संसार को छुड़ाने की कोई औषधि नहीं रखी। आज तक जितने बड़े महापुरुष हुए हैं, जिनका जीवन बदला है, उनका जीवन प्रतिकूलता का दर्शन करके बदला है। तो कभी प्रतिकूलता आए तो उस समय आनंदित होकर समझें कि अब मेरे ऊपर भगवान की कृपा हो रही है। मुझे सतमार्ग पर चलने की प्रेरणा मिल रही है। अपना सुधार कर लो, अपने जीवन को सत्य में ले आओ तो अगला जो होगा वो बहुत जोर का होगा। अगर इस जन्म में भगवत की प्राप्ति नहीं हुई, तो भगवान श्रीकृष्णा ने गीता में कहा है- भक्त का नाश नहीं होता। मैं कुलवान, धनवान के कुल में जन्म देता हूं और फिर पुन: भक्ति का माहौल देता हूं, पूर्व का जो भजन छूटा हुआ है, वहीं से उसको ऊपर उठाता हूं। बिल्कुल ऐसे रहो जैसे रह रहे हो, बिल्कुल संसारिक बनकर रहो, लेकिन कोशिश करें कि अंदर का चिंतन आपका बदल जाए। अंदर के चिंतन में धन बढ़ाने की भावना न रह जाए। अंदर के चिंतन में रहे- प्रभु बहुत जन्म व्यतीत हो गए, अब एक बार आपसे मिलना चाहते हैं। मुझे अब बस आप चाहिए, संसार नहीं। तो इससे बात बन जाएगी। इसलिए आनंदपूर्वक भगवान के नाम का जप करो, बिल्कुल चिंता मत करो।
अनुष्का शर्मा: बाबा क्या नाम जप से हो जाएगा?
संत प्रेमानंद: पूरा। ये हम अपने जीवन का अनुभव बताते हैं। सांखयोग, अष्टांगयोग, कर्मयोग और भक्तियोग, चारों योगों में प्रवेश रहा है। स्वयं भगवान शंकर से बढ़कर तो कोई ज्ञानी नहीं है। सनकादि से बढ़कर कोई ज्ञानी नहीं है। सनकादि 'हरिशरणम, हरिशरणम' हमेशा जपते रहते हैं। भगवान शिव राम राम राम राम जपते रहते हैं। हम वृंदावनवासी प्रिया प्रितम के उपासी राधा राधा जपते हैं। जो राम में रा है और जो धा है वो रस देने वाली वस्तु है। हमारी तार्किक बुद्धि रही है श्रद्धालु बुद्धि नहीं रही है। तो अगर आप राधा राधा जपते हो तो इसी जन्म में भगवत की प्राप्ति होगी। हमारी आखिरी सांस अगर राधा कहती है तो सीधे श्री जी की प्राप्ति, भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। इसमें कोई संशय नहीं और किसी साधन की कोई आवश्यकता नहीं। अगर आप राधा लिख रहे हो तो मन भागेगा नहीं। तो चाहे 10 बार लिखो या 100 बार लिखो, लेकिन एक अभ्यास बनाओ। कुछ समय शांति से स्नान आदि करके राधा-राधा लिखें और फिर उसी का चिंतन भी करें। इसे अपना जीवन बना लें फिर आप परिणाम खुद देख लेना। कोई घाटे का सौदा तो है नहीं। ठीक है।
इसके बाद विराट और अनुष्का ने संत प्रेमानंद के आगे शीश झुका के उन्हें प्रणाम किया। फिर वहां अनुष्का और विराट को संतों ने चुनरी ओढ़ाई। संत प्रेमानंद ने कहा खूब आनंदित रहो और भगवान का नाम जप करते रहो।