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Kapil Dev: टेस्ट और सीमित प्रारूप के लिए भारतीय टीम को चाहिए अलग-अलग कोच? कपिल देव ने दी प्रतिक्रिया
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शोभित चतुर्वेदी
Updated Thu, 11 Dec 2025 07:46 PM IST
सार
भारतीय टीम के लिए टेस्ट और सीमित प्रारूप के लिए अलग-अलग कोच को लेकर अब कपिल देव ने प्रतिक्रिया दी है। कपिल देव हालांकि, इससे सहमत नहीं हैं।
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कपिल देव
- फोटो : PTI
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विस्तार
भारतीय टीम का प्रदर्शन हाल ही में टेस्ट प्रारूप में उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा है, लेकिन सीमित ओवर के प्रारूप में टीम ने दम दिखाया है। इसके बाद से यह बहस शुरू हो गई कि क्या टेस्ट और सीमित ओवर प्रारूप के लिए अलग-अलग कोच होने चाहिए? अब इसे लेकर पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने भी प्रतिक्रिया दी है। कपिल इस विचार से सहमत नहीं हैं और उनका कहना है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को कोचिंग का वही तरीका अपनाना चाहिए जो भारतीय क्रिकेट के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
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घरेलू जमीन पर टेस्ट में निराशाजनक रहा है प्रदर्शन
गौतम गंभीर जब से टीम के मुख्य कोच बने हैं, तब से घरेलू मैदान पर भारत का टेस्ट में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। भारत को घरेलू जमीन पर पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 से हार का सामना करना पड़ा था, जबकि हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम को टेस्ट सीरीज 0-2 से गंवानी पड़ी। इसके बाद से ही अलग-अलग प्रारूप के लिए अलग कोच बनाने की मांग ने जोर पकड़ा है। कपिल से जब टेस्ट और सीमित ओवर प्रारूप में अलग कोच को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता। मैं इसका जवाब नहीं दे सकता। आपको सोचना होगा कि क्या होना चाहिए। जो भी क्रिकेट के लिए अच्छा हो, मुझे लगता है कि उन्हें वही करना चाहिए।
गौतम गंभीर जब से टीम के मुख्य कोच बने हैं, तब से घरेलू मैदान पर भारत का टेस्ट में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। भारत को घरेलू जमीन पर पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 से हार का सामना करना पड़ा था, जबकि हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम को टेस्ट सीरीज 0-2 से गंवानी पड़ी। इसके बाद से ही अलग-अलग प्रारूप के लिए अलग कोच बनाने की मांग ने जोर पकड़ा है। कपिल से जब टेस्ट और सीमित ओवर प्रारूप में अलग कोच को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता। मैं इसका जवाब नहीं दे सकता। आपको सोचना होगा कि क्या होना चाहिए। जो भी क्रिकेट के लिए अच्छा हो, मुझे लगता है कि उन्हें वही करना चाहिए।
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भारतीय टीम को 1983 विश्व कप दिलाने वाले कप्तान कपिल ने इस बात को खारिज कर दिया कि सोशल मीडिया के जमाने में उनके खेलने के दिनों के मुकाबले एथलीट बनना ज्यादा मुश्किल है। उन्होंने कहा, नहीं, यह हमेशा एक जैसा ही होता है। तब भी मुश्किल था, अब भी मुश्किल है। तब भी आसान था और अब भी आसान है। आपकी सोच ज्यादा जरूरी है।
क्या कपिल को पसंद है कोई खास प्रारूप?
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कोई खास प्रारूप पसंद है तो कपिल ने कहा कि उन्हें खेल के सभी प्रारूपों में मजा आता है। उन्होंने कहा, मुझे बस क्रिकेट पसंद है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दो गेंदों का क्रिकेट हो या 100 गेंदों का या 100 ओवर का या 10 ओवर का। क्रिकेट तो क्रिकेट है। गोल्फ तो गोल्फ है, आप कोई भी प्रारूप खेलें। आखिर में आप गोल्फ का मजा लेते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कोई खास प्रारूप पसंद है तो कपिल ने कहा कि उन्हें खेल के सभी प्रारूपों में मजा आता है। उन्होंने कहा, मुझे बस क्रिकेट पसंद है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दो गेंदों का क्रिकेट हो या 100 गेंदों का या 100 ओवर का या 10 ओवर का। क्रिकेट तो क्रिकेट है। गोल्फ तो गोल्फ है, आप कोई भी प्रारूप खेलें। आखिर में आप गोल्फ का मजा लेते हैं।