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हैप्पी बर्थडे युवराज सिंह: लोगों को कभी हार न मानना सिखाया, 12 नंबर की जर्सी ही क्यों पहनी? पढ़ें दिलचस्प राज
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Fri, 12 Dec 2025 11:31 AM IST
सार
युवराज सिंह केवल क्रिकेटर नहीं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने खेल के मैदान पर और जीवन की लड़ाइयों में कभी हार नहीं मानी। उनका जीवन, 12 नंबर की जर्सी और मैदान पर उनका निडर प्रदर्शन, हर पीढ़ी को यह सिखाता है कि संघर्ष और आत्मविश्वास से किसी भी चुनौती को मात दी जा सकती है।
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युवराज का बर्थडे
- फोटो : Twitter
भारत के पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। 12 दिसंबर 1981 को चंडीगढ़ में जन्मे युवराज ने अपने जीवन के 44 साल पूरे कर लिए हैं। मैदान पर वह हमेशा मैच विजेता के रूप में जाने गए। टीम इंडिया के लिए कठिन हालात में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी से कई अहम मैच जिताए। वह दो बार भारत की विश्व विजेता क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे और 2011 क्रिकेट विश्व कप में उनकी भूमिका अमूल्य रही। युवराज ने न केवल खेल में बल्कि जीवन की चुनौतियों में भी कभी हार नहीं मानी। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के बाद उन्होंने वापसी की और अपने करियर को नई बुलंदियों तक पहुंचाया।
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युवराज सिंह
- फोटो : Twitter
युवराज का 12 नंबर का करिश्मा
युवराज ने अपने करियर में हमेशा 12 नंबर की जर्सी पहनी। यह सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि उनके जीवन और करियर का प्रतीक बन गया। इसका कारण भी बेहद रोचक है। उनका जन्म 12 दिसंबर को, 12 बजे दोपहर, चंडीगढ़ के सेक्टर 12 में हुआ था। यही कारण है कि उन्होंने अपनी जर्सी में हमेशा यह नंबर अपनाया और यह नंबर उनके लिए भाग्यशाली साबित हुआ।
युवराज ने अपने करियर में हमेशा 12 नंबर की जर्सी पहनी। यह सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि उनके जीवन और करियर का प्रतीक बन गया। इसका कारण भी बेहद रोचक है। उनका जन्म 12 दिसंबर को, 12 बजे दोपहर, चंडीगढ़ के सेक्टर 12 में हुआ था। यही कारण है कि उन्होंने अपनी जर्सी में हमेशा यह नंबर अपनाया और यह नंबर उनके लिए भाग्यशाली साबित हुआ।
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युवराज का बर्थडे
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2007 टी20 वर्ल्ड कप: छह छक्कों का करिश्मा
युवराज सिंह ने 2007 के टी-20 क्रिकेट विश्व कप में क्रिकेट प्रेमियों को एक अविस्मरणीय पल दिया। इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर में उन्होंने छह छक्के लगाकर इतिहास रचा। इस प्रदर्शन ने न केवल भारत को जीत दिलाई, बल्कि युवराज को युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना दिया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 30 गेंद में 70 रन की धमाकेदार पारी ने भारत को फाइनल में पहुंचाया और फिर टीम इंडिया खिताब जीतने में कामयाब रही। चाहे नेटवेस्ट सीरीज हो या टी20 विश्व कप 2007, युवराज ने हमेशा टीम इंडिया को मुश्किल परिस्थितियों से निकाला, कभी अपनी बल्लेबाजी से, तो कभी अपनी गेंदबाजी से वह कमाल दिखाते रहे।
युवराज सिंह ने 2007 के टी-20 क्रिकेट विश्व कप में क्रिकेट प्रेमियों को एक अविस्मरणीय पल दिया। इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर में उन्होंने छह छक्के लगाकर इतिहास रचा। इस प्रदर्शन ने न केवल भारत को जीत दिलाई, बल्कि युवराज को युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना दिया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 30 गेंद में 70 रन की धमाकेदार पारी ने भारत को फाइनल में पहुंचाया और फिर टीम इंडिया खिताब जीतने में कामयाब रही। चाहे नेटवेस्ट सीरीज हो या टी20 विश्व कप 2007, युवराज ने हमेशा टीम इंडिया को मुश्किल परिस्थितियों से निकाला, कभी अपनी बल्लेबाजी से, तो कभी अपनी गेंदबाजी से वह कमाल दिखाते रहे।
युवराज का बर्थडे
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2011 विश्व कप: देश का हीरो
2011 के क्रिकेट विश्व कप में युवराज ने गेंद और बल्ले दोनों से भारत को जीत दिलाई। उनकी बहादुरी और आत्मविश्वास ने साबित किया कि संकट की घड़ी में एक खिलाड़ी कैसे पूरी टीम की उम्मीदों को जिंदा रख सकता है। इस टूर्नामेंट में युवराज की गेंदबाजी और महत्वपूर्ण पारियों ने उन्हें देश का नायक बना दिया। लगभग हर मैच में वह भारत के संकटमोचक बने। सेमीफाइनल और फाइनल में उनके महत्वपूर्ण योगदान ने टीम को मुश्किल हालात में संभाला। उनकी निडर बल्लेबाजी और गेंदबाज़ी ने भारत को इतिहास रचने में मदद की।
युवराज ने अपने अनुभव और कौशल से टीम के युवाओं को आत्मविश्वास दिया। कैंसर जैसी बीमारी से उबरने के बाद उन्होंने इस विश्व कप में देश के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का जादू दिखाया, और उन्हें भारतीय क्रिकेट का सच्चा हीरो माना गया। वहीं, नॉकआउट्स में तो युवी ने कमाल का प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में उन्होंने दो विकेट लिए और 65 गेंद में नाबाद 57 रन बनाकर मैच फिनिश किया।
फिर पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में भी उन्होंने दो विकेट निकाले। फिर श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में उन्होंने दो विकेट लिए और धोनी के साथ मिलकर भारत को विश्व विजेता बनाया। उन्होंने टूर्नामेंट में आठ पारियों में 90.50 की औसत और 86.19 के स्ट्राइक रेट से 362 रन बनाए। साथ ही 15 विकेट भी झटके। वह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने।
2011 के क्रिकेट विश्व कप में युवराज ने गेंद और बल्ले दोनों से भारत को जीत दिलाई। उनकी बहादुरी और आत्मविश्वास ने साबित किया कि संकट की घड़ी में एक खिलाड़ी कैसे पूरी टीम की उम्मीदों को जिंदा रख सकता है। इस टूर्नामेंट में युवराज की गेंदबाजी और महत्वपूर्ण पारियों ने उन्हें देश का नायक बना दिया। लगभग हर मैच में वह भारत के संकटमोचक बने। सेमीफाइनल और फाइनल में उनके महत्वपूर्ण योगदान ने टीम को मुश्किल हालात में संभाला। उनकी निडर बल्लेबाजी और गेंदबाज़ी ने भारत को इतिहास रचने में मदद की।
युवराज ने अपने अनुभव और कौशल से टीम के युवाओं को आत्मविश्वास दिया। कैंसर जैसी बीमारी से उबरने के बाद उन्होंने इस विश्व कप में देश के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का जादू दिखाया, और उन्हें भारतीय क्रिकेट का सच्चा हीरो माना गया। वहीं, नॉकआउट्स में तो युवी ने कमाल का प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में उन्होंने दो विकेट लिए और 65 गेंद में नाबाद 57 रन बनाकर मैच फिनिश किया।
फिर पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में भी उन्होंने दो विकेट निकाले। फिर श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में उन्होंने दो विकेट लिए और धोनी के साथ मिलकर भारत को विश्व विजेता बनाया। उन्होंने टूर्नामेंट में आठ पारियों में 90.50 की औसत और 86.19 के स्ट्राइक रेट से 362 रन बनाए। साथ ही 15 विकेट भी झटके। वह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने।
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युवराज का बर्थडे
- फोटो : Twitter
कैंसर से लड़ाई और जीत
2011 के विश्व कप जीतने के कुछ ही महीनों बाद, युवराज सिंह को कैंसर का पता चला, जब उन्हें फेफड़ों में एक कैंसरस ट्यूमर मिला। यह खबर उनके लिए और क्रिकेट की दुनिया के लिए झटका था, क्योंकि वह अपने करियर के चरम पर थे। युवराज ने इलाज के लिए यूएसए में कीमोथेरेपी ली और कई साइकिल के बाद उन्होंने कैंसर को मात दी। वह मार्च 2012 में पूरी तरह स्वस्थ होकर भारत लौटे और जल्द ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की। इस युद्ध के बाद उन्होंने 'YouWeCan' नाम की संस्था शुरू की, ताकि कैंसर जागरूकता बढ़ाई जा सके और मरीजों को सहायता मिल सके।
2011 के विश्व कप जीतने के कुछ ही महीनों बाद, युवराज सिंह को कैंसर का पता चला, जब उन्हें फेफड़ों में एक कैंसरस ट्यूमर मिला। यह खबर उनके लिए और क्रिकेट की दुनिया के लिए झटका था, क्योंकि वह अपने करियर के चरम पर थे। युवराज ने इलाज के लिए यूएसए में कीमोथेरेपी ली और कई साइकिल के बाद उन्होंने कैंसर को मात दी। वह मार्च 2012 में पूरी तरह स्वस्थ होकर भारत लौटे और जल्द ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की। इस युद्ध के बाद उन्होंने 'YouWeCan' नाम की संस्था शुरू की, ताकि कैंसर जागरूकता बढ़ाई जा सके और मरीजों को सहायता मिल सके।