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Team India: विभाजित कोचिंग के समर्थन में उतरे हरभजन सिंह, बोले- इस विकल्प पर भारत को बढ़ना चाहिए आगे

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शोभित चतुर्वेदी Updated Sat, 19 Jul 2025 09:22 PM IST
सार

भारत ने कभी भी विभाजित कोचिंग नहीं चुनी है, लेकिन हरभजन ने सुझाव दिया कि लाल गेंद और सफेद गेंद वाले क्रिकेट में अलग-अलग कोचों का इस्तेमाल करना गलत नहीं है क्योंकि खिलाड़ी और टीमें अलग-अलग होती हैं।

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Harbhajan Singh said that India should consider the option of split coaching and explained the reason
हरभजन सिंह - फोटो : BCCI
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भारतीय टीम के पूर्व अनुभवी स्पिनर हरभजन सिंह का मानना है कि भारत को लाल गेंद और सफेद गेंद वाले क्रिकेट के लिए अलग-अलग कोचिंग के विकल्प पर विचार करना चाहिए। पिछले साल टी20 विश्व कप के बाद भारतीय टीम के मुख्य कोच बनने वाले गौतम गंभीर की अगुआई में भारत ने वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में शानदार प्रदर्शन किया है। गंभीर की देखरेख में भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी जीती, जबकि उनके कार्यकाल के दौरान टीम ने खेल के सबसे छोटे प्रारूप में अभी तक कोई सीरीज नहीं हारी है।
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कोच के तौर पर गंभीर का रिकॉर्ड
बतौर कोच गंभीर ने टी20 मैचों में 13 जीत दर्ज की है, जबकि दो मैचों में हार मिली है जिसमें श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज जीत शामिल हैं। वनडे में उनके नाम 11 मैचों में 8 जीत, दो हार और एक टाई का रिकॉर्ड है। हालांकि, टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो उनका रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है। बांग्लादेश को हराने के बाद भारत को न्यूजीलैंड के हाथों घरेलू मैदान पर करारी हार का सामना करना पड़ा और फिर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया से 1-3 से हार का सामना करना पड़ा। 23 जुलाई से शुरू होने वाले मैनचेस्टर टेस्ट से पहले भारतीय टीम मौजूदा सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ 1-2 से पीछे है। भारत ने गंभीर के नेतृत्व में 13 में से सिर्फ 4 टेस्ट जीते हैं, जबकि 8 हारे हैं और एक मैच ड्रॉ रहा है।
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भारत ने कभी भी विभाजित कोचिंग नहीं चुनी है, लेकिन हरभजन ने सुझाव दिया कि लाल गेंद और सफेद गेंद वाले क्रिकेट में अलग-अलग कोचों का इस्तेमाल करना गलत नहीं है क्योंकि खिलाड़ी और टीमें अलग-अलग होती हैं। पूर्व स्पिनर ने कहा कि इस विकल्प से कोचों समेत सभी का काम का बोझ कम होगा। उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, मुझे लगता है कि अगर इसे लागू किया जा सकता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आपके पास अलग-अलग प्रारूप के लिए अलग-अलग टीमें और अलग-अलग खिलाड़ी होते हैं। अगर हम ऐसा कर पाते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प है। इससे कोचों समेत सभी का काम का बोझ कम होगा। इसलिए अगर ऐसा हो पाता है, तो यह कोई बुरा विकल्प नहीं है।

हरभजन बोले- कोच को भी समय चाहिए होता है
हरभजन ने कहा कि एक कोच को भी किसी भी सीरीज की तैयारी के लिए समय चाहिए होता है, चाहे वह किसी भी प्रारूप की हो। पूर्व स्पिनर ने कहा कि अगर एक कोच पर साल भर बहुत ज्यादा काम का बोझ डाला जाए तो यह अच्छा नहीं होगा। उन्होंने कहा, आपके कोच को भी किसी सीरीज की तैयारी के लिए समय चाहिए होता है। जैसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच टेस्ट, फिर इंग्लैंड में, फिर कहीं और। इसलिए कोच तैयारी कर सकता है और तय कर सकता है कि उसकी टीम कैसी होनी चाहिए। यही बात सीमित ओवर प्रारूप के कोच के लिए भी लागू होती है। उसे भी तैयारी के लिए समय चाहिए होगा।
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