मध्य प्रदेश की टीम ने पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीत लिया है। टीम ने इस सीजन बेहतरीन खेल दिखाया और कई पूर्व चैंपियंस को शिकस्त देते हुए चैंपियन बनी। मध्य प्रदेश की टीम इससे पहले सिर्फ एक बार 23 साल पहले यानी 1998-99 सीजन में फाइनल में पहुंची थी। तब कर्नाटक ने एमपी को खिताबी मुकाबले में हराया था। हालांकि, इस बार एमपी ने पहले वाली गलती नहीं की और फाइनल में 41 बार की चैंपियन मुंबई की टीम को छह विकेट से हरा दिया। टीम से इस बार कई नायाब हीरे उभर कर सामने आए, जो भविष्य में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करते हुए दिख सकते हैं।
रणजी ट्रॉफी 2021/22 में मध्य प्रदेश की टीम पूरे टूर्नामेंट में अजेय रही। टीम ने कुल छह मैच खेले, जिसमें से पांच में जीत हासिल की। केरल के खिलाफ ग्रुप मैच ड्रॉ रहा था। इसके अलावा टीम ने बंगाल, पंजाब और गुजरात जैसी पूर्व चैंपियन टीमों को हराया। हम आपको मध्य प्रदेश के इस टूर्नामेंट में सफर के बारे में बता रहे हैं...
ग्रुप स्टेज में मध्य प्रदेश को एलीट ग्रुप-ए में रखा गया था। इस ग्रुप में मध्य प्रदेश के अलावा केरल, गुजरात और मेघालय की टीम थी। मध्य प्रदेश ने ग्रुप स्टेज में तीन में से दो मैचों में जीत हासिल की। टीम 14 अंकों के साथ अपने ग्रुप में टॉप पर रही थी।
राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में खेले गए इस मैच में गुजरात ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला लिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए मध्य प्रदेश ने पहली पारी में शुभम शर्मा के 92 रन की बदौलत 274 रन का स्कोर खड़ा किया। जवाब में गुजरात की टीम ने पहली पारी में 331 रन बनाए और 57 रन की बढ़त हासिल की। मध्य प्रदेश की ओर से तेज गेंदबाज ईश्वर पांडे ने पांच और गौरव यादव ने चार विकेट झटके।
दूसरी पारी में मध्य प्रदेश की टीम ने 251 रन बनाए और गुजरात के सामने 195 रन का लक्ष्य रखा। दूसरी पारी में एमपी की ओर से शुभम शर्मा ने एक बार फिर बेहतरीन पारी खेली और शतक जड़ा। वे 103 रन बनाकर नाबाद रहे। उन्हें रजत पाटीदार का साथ मिला। पाटीदार ने 53 रन बनाए। 195 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी गुजरात की टीम अपनी दूसरी पारी में 37.5 ओवर में 88 रन पर ही सिमट गई। एमपी की ओर से स्पिनर कुमार कार्तिकेय ने पांच विकेट झटके। वहीं, ईश्वर पांडे और शुभम शर्मा ने दो-दो विकेट लिए। गौरव को एक विकेट मिला। इस तरह इस सीजन का अपना पहला मैच मध्य प्रदेश ने 106 रन से जीता।
ग्रुप स्टेज के दूसरे मैच में मध्य प्रदेश के सामने मेघालय की टीम थी। मेघालय के कप्तान पुनीत बिष्ट ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। मध्य प्रदेश के गेंदबाजों ने मेघायल की पहली पारी को 61 रन पर ही समेट दिया। गौरव यादव ने पांच, कार्तिकेय ने दो विकेट झटके। वहीं, ईश्वर पांडे और अनुभव अग्रवाल को एक-एक विकेट मिला। जवाब में मध्य प्रदेश की टीम ने अपनी पहली पारी में छह विकेट पर 499 रन बनाए और पारी घोषित की। टीम की ओर से शुभम शर्मा ने 111 रन और अक्षत रघुवंशी ने 100 रन बनाए।
इसके अलावा रजत पाटीदार ने 86 रन, यश दुबे ने 85 रन और कप्तान आदित्य श्रीवास्तव ने 42 रन की पारी खेली। मध्य प्रदेश को 438 रन की बढ़त हासिल हुई। मेघालय की टीम दूसरी पारी में भी फेल रही और 137 रन पर सिमट गई। एमपी की ओर से अनुभव ने पांच, कार्तिकेय ने तीन और गौरव यादव ने दो विकेट झटके। इस तरह अपने दूसरे ग्रुप मैच में मध्य प्रदेश की टीम ने पारी और 301 रन से जीत हासिल की।
लगातार दो मैच जीत चुके मध्य प्रदेश का अगला मुकाबला केरल से था। सौराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए इस मैच में मध्य प्रदेश के कप्तान आदित्य श्रीवास्तव ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। एमपी की ओर से यश दुबे और रजत पाटीदार की शानदार बल्लेबाजी ने फैन्स का दिल जीत लिया।
यश दुबे ने दोहरा शतक लगाया और 289 रन बनाकर आउट हुए। वहीं, रजत ने 142 रन की पारी खेली। इसके अलावा अक्षत रघुवंशी ने भी 50 रन बनाए। मध्य प्रदेश के कप्तान आदित्य ने नौ विकेट पर 585 रन के बाद पारी घोषित कर दी। जवाब में केरल ने भी अच्छी बल्लेबाजी की और नौ विकेट पर 432 रन बनाए। इस तरह पांच दिन का खेल पूरा हुआ और मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ।
केरल की ओर से पोन्नम राहुल ने 136 रन और कप्तान सचिन बेबी ने 114 रन की पारी खेली। इसके अलावा रोहन कुन्नूमल ने 75 रन बनाए। मध्य प्रदेश की ओर से ईश्वर पांडे और अनुभव अग्रवाल ने तीन-तीन विकेट झटके। वहीं, कार्तिकेय को दो और मिहिर हिरवानी को एक विकेट मिला। इस तरह यह मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ।
एलूर के केएससीए स्टेडियम में खेले गए रणजी ट्रॉफी के चौथे क्वार्टर फाइनल में मध्य प्रदेश के सामने स्टार खिलाड़ियों से सजी पंजाब की टीम थी। पंजाब के पास शुभमन गिल, अभिषेक शर्मा, अनमोलप्रीत सिंह, गुरकीरत सिंह मान, मंदीप सिंह, मयंक मार्कंडेय और सिद्धार्थ कौल जैसे खिलाड़ी थे।
पंजाब के कप्तान अभिषेक शर्मा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। हालांकि, मध्य प्रदेश के गेंदबाजों के आगे पंजाब के स्टार खिलाड़ियों की एक न चली। पंजाब की टीम पहली पारी में 219 रन पर सिमट गई। कप्तान अभिषेक 47 रन, अनमोलप्रीत 47 रन और सनवीर सिंह 41 रन बना सके। शुभमन नौ रन, मंदीप एक रन और गुरकीरत 12 रन ही बना पाए।
मध्य प्रदेश की ओर से पुनीत दुबे और अनुभव अग्रवाल ने तीन-तीन विकेट झटके। वहीं सारांश जैन को दो विकेट मिला। गौरव यादव और कार्तिकेय को एक-एक विकेट मिला। जवाब में मध्य प्रदेश की टीम ने अपनी पहली पारी में 397 रन बनाए और 178 रन की बढ़त हासिल की। एमपी की ओर से शुभम शर्मा ने सबसे ज्यादा 102 रन बनाए। वहीं, हिमांशू मंत्री ने 89 रन और रजत पाटीदार ने 85 रन की पारी खेली। इसके अलावा अक्षत रघुवंशी ने 69 रन बनाए।
पंजाब की दूसरी पारी 203 रन पर सिमट गई और मध्य प्रदेश को 26 रन का लक्ष्य मिला। एमपी की ओर से पंजाब की दूसरी पारी में कार्तिकेय ने छह विकेट और सारांश जैन ने चार विकेट झटके। 26 रन का लक्ष्य मध्य प्रदेश की टीम ने पांच ओवर में बिना कोई विकेट गंवाए हासिल कर लिया। इस तरह एमपी की टीम ने क्वार्टर फाइनल में पंजाब जैसी मजबूत टीम को 10 विकेट से शिकस्त दी।
सेमीफाइनल में मध्य प्रदेश के सामने दो बार की रणजी चैंपियन बंगाल की टीम थी। एलूर के केएससीए स्टेडियम में खेले गए इस मैच में मध्य प्रदेश के कप्तान आदित्य ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। हिमांशू मंत्री के 165 रन और अक्षत रघुवंशी के 63 रन की बदौलत एमपी की टीम ने अपनी पहली पारी में 341 रन का स्कोर खड़ा किया। जवाब में बंगाल की पहली पारी 273 रन पर ही सिमट गई।
बंगाल की ओर से मनोज तिवारी ने 102 रन और शाहबाज अहमद ने 116 रन की पारी खेली। मध्य प्रदेश की ओर से कार्तिकेय, सारांश जैन और पुनीत दुबे ने तीन-तीन विकेट झटके। वहीं, गौरव को एक विकेट मिला। मध्य प्रदेश की टीम जब दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिए उतरी तो उनके पास 68 रन की बढ़त हासिल थी। एमपी की टीम ने दूसरी पारी में 281 रन बनाए और बंगाल के सामने जीत के लिए 350 रन का लक्ष्य रखा।
एमपी की ओर से दूसरी पारी में कप्तान आदित्य श्रीवास्तव ने 82 रन और रजत पाटीदार ने 79 रन की पारी खेली। 350 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी बंगाल की टीम 175 रन पर सिमट गई और मध्य प्रदेश ने यह मैच 174 रन से जीत लिया। एमपी के लिए कुमार कार्तिकेय एकबार फिर चमके और उन्होंने दूसरी पारी में पांच विकेट झटके। इसके अलावा गौरव को तीन और सारांश को दो विकेट मिले।
फाइनल में मध्य प्रदेश के सामने एक या दो बार की नहीं, बल्कि 41 बार की रणजी चैंपियन मुंबई की टीम थी। मुंबई की टीम में एक से बढ़कर एक स्टार मौजूद थे और कई खिलाड़ी फॉर्म में थे। बावजूद इसके मध्य प्रदेश ने आसानी से जीत हासिल की। बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए फाइनल में मुंबई के कप्तान पृथ्वी शॉ ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया।
शानदार फॉर्म में चल रहे सरफराज खान के 134 रन, यशस्वी जायसवाल के 78 रन और कप्तान शॉ के 47 रन की बदौलत मुंबई ने पहली पारी में 374 रन का स्कोर खड़ा किया। मध्य प्रदेश की ओर से गौरव यादव ने चार विकेट झटके। वहीं, अनुभव अग्रवाल को तीन और सारांश जैन को दो विकेट मिले। कार्तिकेय ने एक विकेट लिया।
जवाब में मध्य प्रदेश ने शानदार खेल दिखाते हुए पहली पारी में 536 रन बनाए। टीम की ओर से यश दुबे, शुभम शर्मा और रजत पाटीदार ने शतक जड़ा। यश ने 133 रन, शुभम ने 116 रन और रजत ने 122 रन की पारी खेली। इसके अलावा सारांश ने भी 57 रन बनाए। इनकी बदौलत मध्य प्रदेश की टीम 162 रन की लीड लेने में कामयाब रही।
तीन दिन का खेल निकल चुका था और अब मध्य प्रदेश को बस दो दिन निकालने थे। नियम के मुताबिक रणजी के नॉकआउट मुकाबलों में ड्रॉ होने पर पहली पारी में लीड लेने वाली टीम को जीत मिलती है। हालांकि, मुंबई की टीम ने दूसरी पारी में एड़ीचोटी का जोर लगाया और तेजी से रन बनाने की कोशिश की, लेकिन इस चक्कर में वह जल्दी सारा विकेट गंवा बैठे।
मुंबई की टीम दूसरी पारी में 269 रन ही बना सकी और मध्य प्रदेश को पांचवें दिन 108 रन का लक्ष्य मिला। एमपी की ओर से कार्तिकेय ने चार विकेट और पार्थ-गौरव ने दो-दो विकेट झटके। 108 रन के लक्ष्य को मध्य प्रदेश की टीम ने 29.5 ओवर में चार विकेट गंवाकर हासिल कर लिया। इस तरह मध्य प्रदेश की टीम पहली बार चैंपियन बनी।
विस्तार
मध्य प्रदेश की टीम ने पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीत लिया है। टीम ने इस सीजन बेहतरीन खेल दिखाया और कई पूर्व चैंपियंस को शिकस्त देते हुए चैंपियन बनी। मध्य प्रदेश की टीम इससे पहले सिर्फ एक बार 23 साल पहले यानी 1998-99 सीजन में फाइनल में पहुंची थी। तब कर्नाटक ने एमपी को खिताबी मुकाबले में हराया था। हालांकि, इस बार एमपी ने पहले वाली गलती नहीं की और फाइनल में 41 बार की चैंपियन मुंबई की टीम को छह विकेट से हरा दिया। टीम से इस बार कई नायाब हीरे उभर कर सामने आए, जो भविष्य में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करते हुए दिख सकते हैं।