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Yashasvi Jaiswal: क्या भारतीय चयनकर्ताओं ने तय कर लिया यशस्वी का व्हाइट-बॉल रोल? दिलीप वेंगसरकर ने उठाए सवाल

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: स्वप्निल शशांक Updated Thu, 25 Dec 2025 03:56 PM IST
सार

यशस्वी जायसवाल शानदार फॉर्म और प्रभावशाली आंकड़ों के बावजूद व्हाइट-बॉल क्रिकेट में लगातार अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। दिलीप वेंगसरकर जैसे दिग्गजों का मानना है कि यह न सिर्फ खिलाड़ी के साथ अन्याय है, बल्कि टीम इंडिया के हित में भी नहीं। सवाल अब भी कायम है। क्या चयनकर्ताओं ने वाकई जायसवाल की व्हाइट-बॉल भूमिका तय की है, या यह प्रतिभा यूं ही मौके का इंतजार करती रहेगी?

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Unclear Future: Have India’s Selectors Defined Yashasvi Jaiswal’s White-Ball Role?
यशस्वी जायसवाल - फोटो : PTI
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विस्तार
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भारतीय क्रिकेट में यशस्वी जायसवाल का नाम उस पीढ़ी से जुड़ा है, जिसने रोहित शर्मा और विराट कोहली के बाद तीनों फॉर्मेट में स्थायी जगह बनाने की क्षमता दिखाई है। तकनीक, टेंपो कंट्रोल, शॉट्स की रेंज और मानसिक मजबूती, आधुनिक क्रिकेट की हर कसौटी पर खरे उतरने वाले जायसवाल के बावजूद, व्हाइट-बॉल क्रिकेट में उनका भविष्य अब भी सवालों के घेरे में है। खासकर तब, जब उन्हें आईसीसी पुरुष टी20 वर्ल्ड कप की टीम से बाहर रखा गया।
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वेंगसरकर की कड़ी टिप्पणी
पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने चयनकर्ताओं की सोच पर सीधा सवाल उठाया है। उनका मानना है कि जायसवाल को बार-बार बाहर करना समझ से परे है। वेंगसरकर ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यशस्वी जायसवाल को बार-बार बिना किसी गलती के बाहर किया जा रहा है। वह सभी फॉर्मेट में शानदार फॉर्म में है और मुझे समझ नहीं आता कि टीम में जगह बनाने के लिए उसे और क्या करना होगा।'
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अनुभव के नाम पर फिर कट गया नाम
साल 2024 में टी20 वर्ल्ड कप के दौरान चयनकर्ताओं ने अमेरिका और कैरेबियन की मुश्किल परिस्थितियों का हवाला देते हुए अनुभव को तरजीह दी। नतीजतन, विराट कोहली और रोहित शर्मा को मौका मिला और जायसवाल को बाहर बैठना पड़ा। सात महीने बाद वनडे क्रिकेट में भी यही कहानी दोहराई गई। चैंपियंस ट्रॉफी के लिए शुरुआती 15 में शामिल होने के बावजूद, मुख्य कोच गौतम गंभीर के चौथे स्पिनर की जिद के चलते जायसवाल को अंतिम टीम से बाहर कर दिया गया।

फॉर्म नजरअंदाज, विकल्प बदले
जब शुभमन गिल को टी20 योजनाओं से हटाया गया, तो जायसवाल की वापसी की उम्मीद थी, लेकिन चयनकर्ताओं ने एक अलग रास्ता चुना। दूसरे विकेटकीपर को ओपनर की भूमिका में उतार दिया गया और ईशान किशन की एंट्री हुई, जिन्हें सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी फाइनल में 49 गेंदों का शतक लगाने का फायदा मिला। यह बात लगभग अनदेखी रह गई कि जायसवाल ने कुछ ही दिन पहले उसी हरियाणा टीम के खिलाफ 230 से ज्यादा के लक्ष्य का पीछा करते हुए 50 गेंदों में शतक जड़ा था।

आंकड़े जो सवाल उठाते हैं
जायसवाल ने आखिरी बार जुलाई 2024 में श्रीलंका के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय खेला था। इसके बाद उन्हें टेस्ट क्रिकेट पर फोकस करने को कहा गया, लेकिन उनके टी20 आंकड़े चयन नीति पर सवाल खड़े करते हैं।उनके आखिरी पांच टी20I स्कोर हैं- 93, 12, 40, 30 और 10, वो भी लगभग 200 के स्ट्राइक रेट से। वेंगसरकर का दो टूक कहना है, 'किसी भी हाल में किसी मैच विनर को टीम से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए।'

आत्मविश्वास पर असर की चेतावनी
वेंगसरकर ने यह भी चेताया कि लगातार बाहर बैठाना खिलाड़ी के आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा, 'अगर किसी खिलाड़ी को यह महसूस कराया जाए कि वह किसी एक फॉर्मेट के लिए जरूरी नहीं है, तो उसका आत्मविश्वास गिरना तय है। यह खेल आत्मविश्वास का है और आत्मविश्वास तभी आता है, जब प्रदर्शन को लगातार समर्थन मिले।'

उम्र साथ, लेकिन मौके सीमित
रविवार को 24 साल के होने जा रहे जायसवाल के पास समय जरूर है, लेकिन बार-बार बड़े टूर्नामेंट्स से बाहर रहना किसी भी खिलाड़ी की लय और पहचान पर असर डालता है। खासकर टी20 क्रिकेट में, जहां निरंतरता ही सबसे बड़ी पूंजी होती है।
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