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क्यों खेला जाता है बॉक्सिंग-डे टेस्ट?: पिछले 15 साल में इसमें महज दो बार हारे कंगारू, भारत ने दी दोनों शिकस्त
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, मेलबर्न
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Thu, 25 Dec 2025 12:20 PM IST
सार
बॉक्सिंग-डे टेस्ट 26 दिसंबर से शुरू होने वाला एक ऐतिहासिक क्रिकेट मुकाबला है, जिसकी परंपरा 19वीं सदी से चली आ रही है। ऑस्ट्रेलिया में यह टेस्ट आमतौर पर मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेला जाता है। पिछले 15 वर्षों में ऑस्ट्रेलिया को इसमें सिर्फ दो बार हार मिली है और दोनों बार भारत ने उन्हें शिकस्त दी। यही वजह है कि बॉक्सिंग-डे टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे प्रतिष्ठित और रोमांचक अध्याय माना जाता है।
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बॉक्सिंग डे टेस्ट
- फोटो : ANI
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विस्तार
क्रिकेट कैलेंडर में बॉक्सिंग-डे टेस्ट का नाम आते ही रोमांच अपने चरम पर पहुंच जाता है। हर साल 26 दिसंबर से शुरू होने वाला यह टेस्ट मैच सिर्फ एक क्रिकेट मुकाबला नहीं, बल्कि परंपरा, इतिहास और संस्कृति का संगम है। खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया में खेले जाने वाले बॉक्सिंग-डे टेस्ट को साल के सबसे प्रतिष्ठित मुकाबलों में गिना जाता है।
26 दिसंबर को क्रिसमस के अगले दिन बॉक्सिंग डे कहा जाता है। यह नाम मुक्केबाजी से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें ईसाई समाज की परंपराओं में हैं, जहां क्रिसमस के बाद गरीबों, कामगारों और जरूरतमंदों को उपहार दिए जाते थे। इसी वजह से 26 दिसंबर को 'बॉक्सिंग डे' कहा जाने लगा।
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26 दिसंबर को क्रिसमस के अगले दिन बॉक्सिंग डे कहा जाता है। यह नाम मुक्केबाजी से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें ईसाई समाज की परंपराओं में हैं, जहां क्रिसमस के बाद गरीबों, कामगारों और जरूरतमंदों को उपहार दिए जाते थे। इसी वजह से 26 दिसंबर को 'बॉक्सिंग डे' कहा जाने लगा।
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ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड टेस्ट
- फोटो : PTI
बॉक्सिंग-डे टेस्ट की शुरुआत कब हुई?
क्रिकेट में 'बॉक्सिंग डे' शब्द की एंट्री 1892 में हुई, जब ऑस्ट्रेलिया के घरेलू क्रिकेट में क्रिसमस के आसपास मुकाबले खेले जाने लगे। हालांकि, पहला आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग-डे टेस्ट 1950 में खेला गया। 1950-51 की एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया टेस्ट ऐसा पहला इंटरनेशनल मैच माना जाता है, जिसका एक दिन बॉक्सिंग डे पर पड़ा, लेकिन 1974-75 एशेज सीरीज से यह परंपरा पक्की हो गई कि 26 दिसंबर से शुरू होने वाला टेस्ट ही ‘बॉक्सिंग-डे टेस्ट’ कहलाएगा।
क्रिकेट में 'बॉक्सिंग डे' शब्द की एंट्री 1892 में हुई, जब ऑस्ट्रेलिया के घरेलू क्रिकेट में क्रिसमस के आसपास मुकाबले खेले जाने लगे। हालांकि, पहला आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग-डे टेस्ट 1950 में खेला गया। 1950-51 की एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया टेस्ट ऐसा पहला इंटरनेशनल मैच माना जाता है, जिसका एक दिन बॉक्सिंग डे पर पड़ा, लेकिन 1974-75 एशेज सीरीज से यह परंपरा पक्की हो गई कि 26 दिसंबर से शुरू होने वाला टेस्ट ही ‘बॉक्सिंग-डे टेस्ट’ कहलाएगा।
ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड
- फोटो : PTI
बॉक्सिंग-डे को लेकर प्रचलित कहानियां
दुनिया में अलग-अलग देशों में बॉक्सिंग-डे के दिन को लेकर अलग-अलग कहानियां हैं। कई देशों में इसका कनेक्शन क्रिसमस बॉक्स से बताया जाता है, वहीं कई जगहों पर चर्च में त्योहार के दिन गरीबों को गिफ्ट में दिए जाने वाले बॉक्स से जोड़ा जाता है।
बॉक्सिंग-डे क्यों? (पहली कहानी- चर्च में क्रिसमस पर रखा जाता है बॉक्स)
बॉक्सिंग डे से जुड़ी पहली कहानी यह है कि चर्च में क्रिसमस के दौरान एक बॉक्स रखा जाता है। चर्च आने वाले लोग इस बॉक्स में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए गिफ्ट रखते हैं। क्रिसमस के अगले दिन उस बॉक्स को खोला जाता है और गिफ्ट में मिले सामानों को गरीबों में बांट दिया जाता है। क्रिश्चियन लोगों की शादी भी चर्च में होती है। शादी में मिले गिफ्ट को बॉक्स में रखा जाता है और उसे 26 दिसंबर को खोलने की परंपरा है।
दुनिया में अलग-अलग देशों में बॉक्सिंग-डे के दिन को लेकर अलग-अलग कहानियां हैं। कई देशों में इसका कनेक्शन क्रिसमस बॉक्स से बताया जाता है, वहीं कई जगहों पर चर्च में त्योहार के दिन गरीबों को गिफ्ट में दिए जाने वाले बॉक्स से जोड़ा जाता है।
बॉक्सिंग-डे क्यों? (पहली कहानी- चर्च में क्रिसमस पर रखा जाता है बॉक्स)
बॉक्सिंग डे से जुड़ी पहली कहानी यह है कि चर्च में क्रिसमस के दौरान एक बॉक्स रखा जाता है। चर्च आने वाले लोग इस बॉक्स में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए गिफ्ट रखते हैं। क्रिसमस के अगले दिन उस बॉक्स को खोला जाता है और गिफ्ट में मिले सामानों को गरीबों में बांट दिया जाता है। क्रिश्चियन लोगों की शादी भी चर्च में होती है। शादी में मिले गिफ्ट को बॉक्स में रखा जाता है और उसे 26 दिसंबर को खोलने की परंपरा है।
ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड
- फोटो : PTI
बॉक्सिंग-डे क्यों? (दूसरी कहानी- मेहनती लोगों को सलाम करने का दिन)
दरअसल, बॉक्सिंग-डे के पीछे एक दिलचस्प कहानी भी है। क्रिसमस के दिन भी छुट्टी न लेकर काम करने वालों के लिए इस दिन का नाम बॉक्सिंग डे पड़ा। इस दिन उनके काम की तारीफ की जाती है। छुट्टी न लेकर काम करने का जज्बा ही बॉक्सिंग डे कहलाता है। क्रिकेटर्स भी त्योहार में अपने घर पर न रहकर मैच खेलते हैं, तो इस वजह से बॉक्सिंग डे का कनेक्शन मैचों से भी जोड़ दिया गया।
बॉक्सिंग-डे क्यों? (कहानी नंबर-तीन: क्रिसमस बॉक्स)
वेस्टर्न क्रिश्चियनिटी के कैलेंडर के मुताबिक क्रिसमस डे के अगले दिन (26 दिसंबर) को बॉक्सिंग डे कहते हैं। आयरलैंड और स्पेन जैसे कई देशों में इसे सेंट स्टीफंस डे भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि क्रिसमस के अगले दिन लोग एक-दूसरे को क्रिसमस (गिफ्ट) बॉक्स गिफ्ट करते हैं। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक, बॉक्सिंग डे क्रिसमस की छुट्टी के बाद हफ्ते का पहला दिन होता है। छुट्टियों के बाद कई लोग काम पर जाते हैं और उनके मालिक क्रिमसम उपहार के रूप में उन्हें बॉक्स गिफ्ट करते हैं। इसलिए इस दिन का नाम बॉक्सिंग डे पड़ा।
दरअसल, बॉक्सिंग-डे के पीछे एक दिलचस्प कहानी भी है। क्रिसमस के दिन भी छुट्टी न लेकर काम करने वालों के लिए इस दिन का नाम बॉक्सिंग डे पड़ा। इस दिन उनके काम की तारीफ की जाती है। छुट्टी न लेकर काम करने का जज्बा ही बॉक्सिंग डे कहलाता है। क्रिकेटर्स भी त्योहार में अपने घर पर न रहकर मैच खेलते हैं, तो इस वजह से बॉक्सिंग डे का कनेक्शन मैचों से भी जोड़ दिया गया।
बॉक्सिंग-डे क्यों? (कहानी नंबर-तीन: क्रिसमस बॉक्स)
वेस्टर्न क्रिश्चियनिटी के कैलेंडर के मुताबिक क्रिसमस डे के अगले दिन (26 दिसंबर) को बॉक्सिंग डे कहते हैं। आयरलैंड और स्पेन जैसे कई देशों में इसे सेंट स्टीफंस डे भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि क्रिसमस के अगले दिन लोग एक-दूसरे को क्रिसमस (गिफ्ट) बॉक्स गिफ्ट करते हैं। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक, बॉक्सिंग डे क्रिसमस की छुट्टी के बाद हफ्ते का पहला दिन होता है। छुट्टियों के बाद कई लोग काम पर जाते हैं और उनके मालिक क्रिमसम उपहार के रूप में उन्हें बॉक्स गिफ्ट करते हैं। इसलिए इस दिन का नाम बॉक्सिंग डे पड़ा।
ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड
- फोटो : PTI
बॉक्सिंग-डे' शब्द क्रिकेट से कब जुड़ा?
माना जाता है कि बॉक्सिंग डे की क्रिकेट में एंट्री 1892 में हुई थी। उसी साल ऐतिहासिक मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में शेफिल्ड शील्ड टूर्नामेंट में विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच क्रिसमस के दौरान एक मैच हुआ था। इसके बाद हर साल दोनों टीमों के बीच क्रिसमस के दौरान मैच होने लगे और यह एक परंपरा बन गई। हर मैच में बॉक्सिंग डे का दिन जरूर शामिल होता था। हालांकि, यह जरूरी नहीं था कि वह मैच 26 दिसंबर से शुरू हो।
1950-51 में पहला इंटरनेशनल बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच एशेज सीरीज में खेला गया था। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच मैच 22 दिसंबर से शुरु हुआ था और मैच का पांचवां दिन बॉक्सिंग डे के दिन पड़ा था। 1953 से 1967 के बीच एक ऐसा दौर भी आया जब कोई भी मैच बॉक्सिंग डे (26 दिसंबर) के दिन नहीं खेला गया। 1974-75 एशेज सीरीज का तीसरा मैच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड और बॉक्सिंग डे (26 दिसंबर) के दिन शुरु हुआ। यहीं से बॉक्सिंग डे टेस्ट की शुरुआत हुई। तब से लेकर अब तक ऑस्ट्रेलिया में सभी बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में ही खेले जाते हैं।
माना जाता है कि बॉक्सिंग डे की क्रिकेट में एंट्री 1892 में हुई थी। उसी साल ऐतिहासिक मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में शेफिल्ड शील्ड टूर्नामेंट में विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच क्रिसमस के दौरान एक मैच हुआ था। इसके बाद हर साल दोनों टीमों के बीच क्रिसमस के दौरान मैच होने लगे और यह एक परंपरा बन गई। हर मैच में बॉक्सिंग डे का दिन जरूर शामिल होता था। हालांकि, यह जरूरी नहीं था कि वह मैच 26 दिसंबर से शुरू हो।
1950-51 में पहला इंटरनेशनल बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच एशेज सीरीज में खेला गया था। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच मैच 22 दिसंबर से शुरु हुआ था और मैच का पांचवां दिन बॉक्सिंग डे के दिन पड़ा था। 1953 से 1967 के बीच एक ऐसा दौर भी आया जब कोई भी मैच बॉक्सिंग डे (26 दिसंबर) के दिन नहीं खेला गया। 1974-75 एशेज सीरीज का तीसरा मैच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड और बॉक्सिंग डे (26 दिसंबर) के दिन शुरु हुआ। यहीं से बॉक्सिंग डे टेस्ट की शुरुआत हुई। तब से लेकर अब तक ऑस्ट्रेलिया में सभी बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में ही खेले जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड
- फोटो : PTI
बॉक्सिंग-डे टेस्ट सिर्फ मेलबर्न में ही क्यों?
ऑस्ट्रेलिया में लगभग सभी बॉक्सिंग-डे टेस्ट मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) में ही खेले जाते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है मेलबर्न की ऐतिहासिक विरासत और इसकी विशाल दर्शक क्षमता। एक लाख से ज्यादा दर्शकों की क्षमता वाला यह मैदान बॉक्सिंग-डे पर खचाखच भर जाता है और यही वजह है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने इसे इस परंपरा का स्थायी केंद्र बना दिया।
ऑस्ट्रेलिया में लगभग सभी बॉक्सिंग-डे टेस्ट मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) में ही खेले जाते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है मेलबर्न की ऐतिहासिक विरासत और इसकी विशाल दर्शक क्षमता। एक लाख से ज्यादा दर्शकों की क्षमता वाला यह मैदान बॉक्सिंग-डे पर खचाखच भर जाता है और यही वजह है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने इसे इस परंपरा का स्थायी केंद्र बना दिया।
ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड
- फोटो : PTI
बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया का जबरदस्त दबदबा
आंकड़े बताते हैं कि बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया लगभग अजेय रहा है। 2011 से अब तक खेले गए 14 घरेलू बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को सिर्फ दो बार हार का सामना करना पड़ा है। इन 14 मुकाबलों में 10 मैच ऑस्ट्रेलिया ने जीते, दो मुकाबले ड्रॉ रहे और सिर्फ दो टेस्ट में कंगारुओं को हार मिली। यह आंकड़े बताते हैं कि मेलबर्न पर बॉक्सिंग-डे टेस्ट में कंगारू टीम कितनी मजबूत रही है।
आंकड़े बताते हैं कि बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया लगभग अजेय रहा है। 2011 से अब तक खेले गए 14 घरेलू बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को सिर्फ दो बार हार का सामना करना पड़ा है। इन 14 मुकाबलों में 10 मैच ऑस्ट्रेलिया ने जीते, दो मुकाबले ड्रॉ रहे और सिर्फ दो टेस्ट में कंगारुओं को हार मिली। यह आंकड़े बताते हैं कि मेलबर्न पर बॉक्सिंग-डे टेस्ट में कंगारू टीम कितनी मजबूत रही है।
भारतीय टीम
- फोटो : ANI
भारत ने ही तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का घमंड
सबसे दिलचस्प बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया को बॉक्सिंग-डे टेस्ट में मिली दोनों हार भारत के खिलाफ ही आईं। 2018 बॉक्सिंग-डे टेस्ट में विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और पहली बार मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉक्सिंग-डे टेस्ट जीता। इसके बाद 2020 बॉक्सिंग-डे टेस्ट में एडिलेड में 36 रन पर ऑलआउट होने और हारने के बाद टीम इंडिया ने मेलबर्न बॉक्सिंग डे टेस्ट में शानदार वापसी की थी। अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर इतिहास रच दिया था। इन दोनों जीतों ने साबित कर दिया कि बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया भी अजेय नहीं है।
क्यों खास होता है बॉक्सिंग-डे टेस्ट?
बॉक्सिंग-डे टेस्ट सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि भावनाओं का उत्सव है। छुट्टियों के दौरान स्टेडियम में उमड़ती भीड़, पारिवारिक माहौल और साल के आखिरी बड़े मुकाबले का रोमांच, इन सबका मेल इसे खास बनाता है। क्रिकेटरों के लिए भी यह सम्मान की बात होती है कि वे बॉक्सिंग-डे टेस्ट का हिस्सा बनें।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया को बॉक्सिंग-डे टेस्ट में मिली दोनों हार भारत के खिलाफ ही आईं। 2018 बॉक्सिंग-डे टेस्ट में विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और पहली बार मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉक्सिंग-डे टेस्ट जीता। इसके बाद 2020 बॉक्सिंग-डे टेस्ट में एडिलेड में 36 रन पर ऑलआउट होने और हारने के बाद टीम इंडिया ने मेलबर्न बॉक्सिंग डे टेस्ट में शानदार वापसी की थी। अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर इतिहास रच दिया था। इन दोनों जीतों ने साबित कर दिया कि बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया भी अजेय नहीं है।
क्यों खास होता है बॉक्सिंग-डे टेस्ट?
बॉक्सिंग-डे टेस्ट सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि भावनाओं का उत्सव है। छुट्टियों के दौरान स्टेडियम में उमड़ती भीड़, पारिवारिक माहौल और साल के आखिरी बड़े मुकाबले का रोमांच, इन सबका मेल इसे खास बनाता है। क्रिकेटरों के लिए भी यह सम्मान की बात होती है कि वे बॉक्सिंग-डे टेस्ट का हिस्सा बनें।