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बोली अपराजिताएं, दून सुरक्षित, पुलिस भी अच्छी लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति बेहद खराब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Fri, 06 Dec 2019 10:42 AM IST
सार

  • कामकाजी महिलाओं ने विभिन्न सुविधाओं और सेवाओं के आधार पर तैयार किया दून का रिपोर्ट कार्ड
     

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Aparajita 100 million smiles dehradun: discussion on women security
अपराजिता कार्यक्रम - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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महिलाओं के लिए दून पूरी तरह सुरक्षित है। पुलिस भी अच्छी है और महिलाओं से जुड़े ज्यादातर मामलों में समय पर मदद भी उपलब्ध कराती है। लेकिन शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति बेहद खराब है। महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने के दौरान ही होती है। ये कहना है दून की कामकाजी महिलाओं का।

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बृहस्पतिवार को अमर उजाला अपराजिता-कब तक निर्भया कार्यक्रम में शामिल होने पटेलनगर स्थित कार्यालय पहुंची कामकाजी महिलाओं ने ऐसी ही कई अन्य नागरिक सुविधाओं और सेवाओं के मूल्यांकन के आधार पर अपने शहर का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया।
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नागरिक सुविधाओं और सेवाओं का मूल्यांकन करते हुए कामकाजी महिलाओं ने अंक भी दिए। उन्होंने व्यवस्थाओं और सुविधाओं की गुणवत्ता के आधार पर अंक दिए। महिला सुरक्षा के मामले में पुलिस व्यवस्था से काफी हद तक संतुष्ट होते हुए उन्होंने 70 फीसदी अंक दिए। उन्होंने कहा कि अधिकतर बार पुलिस पीड़ित की मदद करती है। लेकिन कई बार पुलिस पहुंचती ही नहीं या फिर बहुत देर से पहुंचती है।

वहीं, नशाखोरी पर लगाम लगा पाने के मामले में उन्होंने दून को फेल घोषित किया। महिलाओं ने कहा कि इसमें पुलिस के साथ ही पैरेंट्स भी जिम्मेदार हैं, जो अपने बच्चों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को उन्होंने महिलाओं के लिए दून की सबसे बड़ी समस्या माना। इसके अलावा उन्होंने दून की सुरक्षा व्यवस्था, नागरिक जागरूकता, सेल्फ डिफेंस, स्ट्रीट लाइट, जिम्मेदार पैरेंटिंग पर भी उन्होंने अंक दिए। 

विक्रम में होती से सबसे ज्यादा छेड़छाड़

कामकाजी महिलाओं ने माना कि दून में छेड़छाड़ और महिलाओं से अभद्रता की ज्यादातर घटनाएं विक्रम में होती हैं। इसके लिए उन्होंने परिवहन और पुलिस अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया। महिलाओं ने कहा कि विक्रम में तीन लोगों की सीट पर जबरदस्ती चार को बिठाया जाता है।

कई बार तीन पुरुषों के बीच एक महिला को बैठने के लिए मजबूर किया जाता है। महिलाओं ने कहा कि परिवहन और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत के चलते विक्रम चालक बेखौफ होकर चार सवारियां बैठाते हैं। कभी पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी खुद बैठकर देखें कि क्या उस सीट पर चार लोग आ भी सकते हैं?

महिलाओं ने खुलकर रखी राय
संवाद में शहर के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाली कामकाजी महिलाओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा समेत अन्य मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। इसमें प्रिया गुलाटी, शिवानी गुप्ता, मनाली, प्रेरणा, संगीता लखेड़ा, मधु तोमर, रजनी शर्मा, मीनू खरबंदा, अंशिका खुराना, डिंपल गिल, ज्योति डोभाल और गीतांजली सक्सेना शामिल रहीं।

दिए इतने अंक

सुविधाएं व सेवाएं            अंक (प्रतिशत में)
पुलिस व्यवस्था-                         70
सुरक्षा व्यवस्था-                          90
नागरिक जागरूकता-                    60
पब्लिक ट्रांसपोर्ट-                        30
सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग-              30
स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था-            50
जिम्मेदार पैरेंटिंग-                         50
नशाखोरी पर लगाम-                   20
छेड़छाड़ पर नकेल-                    80

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