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Dehradun News: हैकाथाॅन 3.0 में विकसित किया डार्क वेब व डीप वेब इंटेलिजेंस टूल
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hackothon
- फोटो : संवाद
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हैकाथाॅन 3.0 में छात्रों ने मौजूदा साइबर खतरों और उनकी पहचान से संबंधित महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर और टूल विकसित किए। इनमे डार्कवेब व डीप वेब इंटेलीजेंस टूल, छिपे हुए ऑनलाइन बाजार की पहचान करने संबंधी तकनीकें शामिल हैं।
उत्तराखंड पुलिस की से कराए गए हैकाथाॅन में 1500 से ज्यादा छात्रों ने हिस्सा लिया। इनमें से विजेता छात्रों और टीमों को डीजीपी दीपम सेठ ने बृहस्पतिवार को पुलिस लाइन में सम्मानित किया। डीजीपी दीपम सेठ ने बताया कि हैकाथाॅन का तीसरा संस्करण कराने वाली उत्तराखंड पुलिस देश की पहली पुलिस बनी है। इससे पहले दो हैकाथाॅन में छात्रों और विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर डवलप किए जिनकी मदद से पुलिस वर्तमान में साइबर अपराधों के खिलाफ लड़ रही है। इसी क्रम में यह तीसरा संस्करण 27 अक्तूबर से आठ नवंबर तक आयोजित कराया गया था।
हैकाथॉन में 1500 छात्रों, 250 टीमों, और प्रेरणादायक 200 महिला कोडर्स की भागीदारी रही। नौ नवंबर को आयोजित प्रारंभिक राउंड में सभी टीमों ने छह घंटे की समयावधि में अपनी कांसेप्ट प्रेजेंटेशन जमा की। इनकी समीक्षा के बाद 15 टीमों का चयन ऑन-साइट फाइनल के लिए किया गया। यहां उन्हें अपने विचारों को वास्तविक, कार्यशील प्रोटोटाइप में बदलने की चुनौती दी गई।
फाइनल 18 नवंबर को पुलिस लाइन देहरादून में आयोजित किया गया। इसमें 13टीमों ने 36 घंटे तक हैकाथॉन में भाग लिया। इसमें उन्होंने ऐसी तकनीकी समाधान प्रस्तुत किए जो कानून प्रवर्तन और सार्वजनिक सुरक्षा के भविष्य को बदलने की क्षमता रखते हैं। इनमें टीम-15 को प्रथम, टीम वॉल्देबग एंड एल्गोरिदम ने दूसरा और टीम बाइट शील्ड एंड क्वाड्राटेक ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
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ये टूल और प्रणालियां कीं विकसित
- थ्रेट एक्टर प्रोफाइलिंग ऑटोमेशन
- त्वरित थ्रेट एक्टर पहचान के लिए स्वचालित ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस टूल
- डार्क वेब एवं डीप वेब इंटेलिजेंस टूल्स
- छिपे हुए ऑनलाइन बाज़ारों पर अवैध गतिविधियों की निगरानी करने वाली प्रणाली।
- कानून प्रवर्तन के लिए सुरक्षित संचार प्रणाली।
- पुलिस इकाइयों के लिए सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड और छेड़छाड़-रोधी संचार प्लेटफॉर्म।
- डिजिटल मनी ट्रेल एवं क्रिप्टो इंटेलिजेंस सिस्टम।
- संदिग्ध क्रिप्टो लेनदेन का पता लगाने के लिए ब्लॉकचेन आधारित ट्रेसिंग टूल।
- नेटवर्क एवं पैकेट फोरेंसिक प्लेटफॉर्म।
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उत्तराखंड पुलिस की से कराए गए हैकाथाॅन में 1500 से ज्यादा छात्रों ने हिस्सा लिया। इनमें से विजेता छात्रों और टीमों को डीजीपी दीपम सेठ ने बृहस्पतिवार को पुलिस लाइन में सम्मानित किया। डीजीपी दीपम सेठ ने बताया कि हैकाथाॅन का तीसरा संस्करण कराने वाली उत्तराखंड पुलिस देश की पहली पुलिस बनी है। इससे पहले दो हैकाथाॅन में छात्रों और विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर डवलप किए जिनकी मदद से पुलिस वर्तमान में साइबर अपराधों के खिलाफ लड़ रही है। इसी क्रम में यह तीसरा संस्करण 27 अक्तूबर से आठ नवंबर तक आयोजित कराया गया था।
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हैकाथॉन में 1500 छात्रों, 250 टीमों, और प्रेरणादायक 200 महिला कोडर्स की भागीदारी रही। नौ नवंबर को आयोजित प्रारंभिक राउंड में सभी टीमों ने छह घंटे की समयावधि में अपनी कांसेप्ट प्रेजेंटेशन जमा की। इनकी समीक्षा के बाद 15 टीमों का चयन ऑन-साइट फाइनल के लिए किया गया। यहां उन्हें अपने विचारों को वास्तविक, कार्यशील प्रोटोटाइप में बदलने की चुनौती दी गई।
फाइनल 18 नवंबर को पुलिस लाइन देहरादून में आयोजित किया गया। इसमें 13टीमों ने 36 घंटे तक हैकाथॉन में भाग लिया। इसमें उन्होंने ऐसी तकनीकी समाधान प्रस्तुत किए जो कानून प्रवर्तन और सार्वजनिक सुरक्षा के भविष्य को बदलने की क्षमता रखते हैं। इनमें टीम-15 को प्रथम, टीम वॉल्देबग एंड एल्गोरिदम ने दूसरा और टीम बाइट शील्ड एंड क्वाड्राटेक ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
ये टूल और प्रणालियां कीं विकसित
- थ्रेट एक्टर प्रोफाइलिंग ऑटोमेशन
- त्वरित थ्रेट एक्टर पहचान के लिए स्वचालित ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस टूल
- डार्क वेब एवं डीप वेब इंटेलिजेंस टूल्स
- छिपे हुए ऑनलाइन बाज़ारों पर अवैध गतिविधियों की निगरानी करने वाली प्रणाली।
- कानून प्रवर्तन के लिए सुरक्षित संचार प्रणाली।
- पुलिस इकाइयों के लिए सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड और छेड़छाड़-रोधी संचार प्लेटफॉर्म।
- डिजिटल मनी ट्रेल एवं क्रिप्टो इंटेलिजेंस सिस्टम।
- संदिग्ध क्रिप्टो लेनदेन का पता लगाने के लिए ब्लॉकचेन आधारित ट्रेसिंग टूल।
- नेटवर्क एवं पैकेट फोरेंसिक प्लेटफॉर्म।