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Dehradun News: दोहा मंदिर में नाचा काठ का हाथी, स्याणा ने फेंकी भिरूडी
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दोहा में काठ के हाथी पर बैठे स्याणा। स्रोत : जागरूक पाठक
- फोटो : संवाद
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- ग्रामीणों ने होला जलाकर एक दूसरे को दी पर्व की बधाई
- जौनसार बावर में बूढ़ी दीपावली की धूम
संवाद न्यूज एजेंसी
साहिया। जौनसार में बूढ़ी दीपावली का आगाज हो गया है। पहले दिन ग्रामीणों ने भीमल की सूखी लकड़ियों से बनाया होला जलाकर एक दूसरे को पर्व की बधाई दी। वहीं खत शैली के दोहा गांव में विराजमान छत्रधारी चालदा महासू व बौठा महासू मंदिर में काठ के हाथी नृत्य से पर्व की शुरुआत की गई। खत के 25 गांवों के ग्रामीणों ने देवताओं के नाम से होला जलाया। खत की ओर से एकत्रित किए गए अखरोट की भिरूडी फेंकी गई।
जौनसार बावर क्षेत्र की एक अलग ही संस्कृति एवं परंपरा रही है। यहां के अधितर गांवों में दीपावली के एक माह बाद बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है। अमावस्या के दिन छोटी दीपावली से पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत हुई। बाजगी समाज के लोगों ने अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं को ढोल की धुन के साथ होला जलाने की परंपरा को निभाया। उसके बाद नाचते गाते हुए गांव के लोगों ने पंचायती आंगन में आकर देवताओं को प्रणाम किया। रात से पंचायती आंगन में हारुल नृत्य का दौर शुरू हो गया।
खत शैली के 25 गांवों के लोग दोहा गांव स्थित छत्रधारी चालदा महासू देवता के मंदिर में एकत्र हुए। मंदिर में काठ के बने हाथी को नचाया गया। गांव के स्याणा अर्जुन सिंह चौहान को हाथी पर सवार हुए। पंचायत आंगन में हाथी को पांच चक्कर लगाए गए। इस बीच हास्य कलाकारों ने भी लोगों को खूब हंसाया। सुबह चार बजे मंदिर में पूजा अर्चना के बाद होला जलाया गया।
गांव और खत स्याणा ने खत से एकत्र किए गए अखरोट की भिरूडी मंदिर के आंगन में फेंकी। लोगों ने अखरोट को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। पंचायती आंगन में पूरे दिन हारुल नृत्य के कार्यक्रम चलते रहे। इस दौरान देव पुजारी अतर जोशी, खत स्याणा एवं मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेंद्र तोमर, अतर सिंह चौहान, महावीर सिंह चौहान, पूर्व ब्लाक प्रमुख मठोर सिंह, विक्रम सिंह, विद्या जोशी, राजेन्द्र सिंह, बारु जोशी, संजय जोशी, श्याम सिंह चौहान, कुंदन सिंह चौहान आदि उपस्थित रहे।
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- जौनसार बावर में बूढ़ी दीपावली की धूम
संवाद न्यूज एजेंसी
साहिया। जौनसार में बूढ़ी दीपावली का आगाज हो गया है। पहले दिन ग्रामीणों ने भीमल की सूखी लकड़ियों से बनाया होला जलाकर एक दूसरे को पर्व की बधाई दी। वहीं खत शैली के दोहा गांव में विराजमान छत्रधारी चालदा महासू व बौठा महासू मंदिर में काठ के हाथी नृत्य से पर्व की शुरुआत की गई। खत के 25 गांवों के ग्रामीणों ने देवताओं के नाम से होला जलाया। खत की ओर से एकत्रित किए गए अखरोट की भिरूडी फेंकी गई।
जौनसार बावर क्षेत्र की एक अलग ही संस्कृति एवं परंपरा रही है। यहां के अधितर गांवों में दीपावली के एक माह बाद बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है। अमावस्या के दिन छोटी दीपावली से पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत हुई। बाजगी समाज के लोगों ने अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं को ढोल की धुन के साथ होला जलाने की परंपरा को निभाया। उसके बाद नाचते गाते हुए गांव के लोगों ने पंचायती आंगन में आकर देवताओं को प्रणाम किया। रात से पंचायती आंगन में हारुल नृत्य का दौर शुरू हो गया।
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खत शैली के 25 गांवों के लोग दोहा गांव स्थित छत्रधारी चालदा महासू देवता के मंदिर में एकत्र हुए। मंदिर में काठ के बने हाथी को नचाया गया। गांव के स्याणा अर्जुन सिंह चौहान को हाथी पर सवार हुए। पंचायत आंगन में हाथी को पांच चक्कर लगाए गए। इस बीच हास्य कलाकारों ने भी लोगों को खूब हंसाया। सुबह चार बजे मंदिर में पूजा अर्चना के बाद होला जलाया गया।
गांव और खत स्याणा ने खत से एकत्र किए गए अखरोट की भिरूडी मंदिर के आंगन में फेंकी। लोगों ने अखरोट को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। पंचायती आंगन में पूरे दिन हारुल नृत्य के कार्यक्रम चलते रहे। इस दौरान देव पुजारी अतर जोशी, खत स्याणा एवं मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेंद्र तोमर, अतर सिंह चौहान, महावीर सिंह चौहान, पूर्व ब्लाक प्रमुख मठोर सिंह, विक्रम सिंह, विद्या जोशी, राजेन्द्र सिंह, बारु जोशी, संजय जोशी, श्याम सिंह चौहान, कुंदन सिंह चौहान आदि उपस्थित रहे।