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Badrinath: अनूठी परंपरा...स्त्री वेश में सखी बनकर माता लक्ष्मी को बदरी विशाल के सानिध्य में रखते हैं रावल

प्रदीप भंडारी, संवाद न्यूज एजेंसी, बदरीनाथ Published by: अलका त्यागी Updated Wed, 26 Nov 2025 05:00 AM IST
सार

बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के पांच दिनों तक चलने वाली पंच पूजाओं की प्रक्रिया के सबसे आखिरी में माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाता है।

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Badrinath Dham Rawal disguises himself as a female friend and keeps Goddess Lakshmi in company of Badri Vishal
बदरीनाथ धाम - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के दौरान एक अनूठी परंपरा का निर्वहन किया जाता है। बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) मंदिर के कपाट बंद होने से ठीक पहले माता लक्ष्मी को बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान करने के लिए स्त्री वेश धारण करते हैं। माता लक्ष्मी को बदरीनाथ भगवान के सानिध्य में रखने के बाद मंदिर के कपाट शीतकाल में छह माह के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

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बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के पांच दिनों तक चलने वाली पंच पूजाओं की प्रक्रिया के सबसे आखिरी में माता लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाता है। इससे पूर्व रावल माता लक्ष्मी की सखी बनकर स्त्री वेश धारण करते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर से माता लक्ष्मी की प्रतिमा को बदरीनाथ गर्भगृह में स्थापित किया जाता है। यह पल रावल के लिए भावुक करने वाला होता है। छह माह तक रावल भगवान बदरीनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं अब अगले छह माह तक वे इस प्रक्रिया से दूर रहेंगे।
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Badrinath Dham Rawal disguises himself as a female friend and keeps Goddess Lakshmi in company of Badri Vishal

कपाट बंद होने की इस अंतिम प्रक्रिया के बाद रावल उल्टे पांव मंदिर से बाहर आ जाते हैं। बदरीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि जब रावल स्त्री वेश में माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान करते हैं तो वे भावुक हो जाते हैं। परंपरा के अनुसार वह किसी को चेहरा दिखाए बिना मंदिर के कर्मचारियों की उपस्थिति में सीधे अपने आवास पर चले जाते हैं।  

फूलों से सजकर भक्तों को देते हैं दर्शन
बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद हर दिन सुबह अभिषेक के बाद भगवान का आभूषणों से शृंगार किया जाता है लेकिन कपाट बंद होने के दिन भगवान का शृंगार फूलों से किया जाता है। भगवान पुष्प रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। पूरे साल यही एक दिन होता है जब भगवान फूलों से सजकर भक्तों को दर्शन देते हैं। 

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