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Constitution Day: 'संविधान की शक्ति ने साधारण व्यक्ति को पीएम पद तक पहुंचाया', PM मोदी का देशवासियों को पत्र

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 26 Nov 2025 10:05 AM IST
सार

National Constitution Day: पीएम ने इस पत्र में आगे मतदान के अधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी पर भी जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल और कॉलेज संविधान दिवस को मनाते हुए उन युवाओं को सम्मानित करें जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर पहली बार मतदाता बने हैं।

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Constitution Day PM Narendra Modi Rahul Gandhi Amit Shah Constitutional duties democracy news and updates
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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भारत आज संविधान दिवस मना रहा है। इस खास दिन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों के लिए चिट्ठी लिखी। पीएम ने अपील की है कि भारत के नागरिकों को अपने सांविधानिक कर्तव्यों को निभाना चाहिए, क्योंकि यह एक मजबूत लोकतंत्र का आधार हैं। पीएम ने अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए पत्र में संविधान की शक्ति पर बात की उन्होंने कहा कि यह संविधान की ही ताकत थी जिसकी वजह से ही गरीब परिवार से आने वाले एक साधारण व्यक्ति प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा। 
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पीएम ने इस पत्र में आगे मतदान के अधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी पर भी जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल और कॉलेज संविधान दिवस को मनाते हुए उन युवाओं को सम्मानित करें जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर पहली बार मतदाता बने हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी के इस विचार को याद किया कि अधिकार, कर्तव्यों के पालन से उत्पन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि कर्तव्यों का पालन सामाजिक और आर्थिक प्रगति की नींव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज लिए गए निर्णय और नीतियां आने वाली पीढ़ियों के जीवन को आकार देंगी। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे विकसित भारत के संकल्प की ओर बढ़ते हुए अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखें।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारा संविधान एक ऐसा पवित्र दस्तावेज है, जो निरंतर देश के विकास का सच्चा मार्गदर्शक बना हुआ है। ये भारत के संविधान की ही शक्ति है जिसने मुझ जैसे गरीब परिवार से निकले साधारण व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचाया है। संविधान की वजह से मुझे 24 वर्षों से निरंतर सरकार के मुखिया के तौर पर काम करने का अवसर मिला है। मुझे याद है, साल 2014 में जब मैं पहली बार संसद भवन में प्रवेश कर रहा था, तो सीढ़ियों पर सिर झुकाकर मैंने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को नमन किया। साल 2019 में जब चुनाव परिणाम के बाद मैं संसद के सेंट्रल हॉल में गया था, तो सहज ही मैंने संविधान को सिर माथे लगा लिया था।"

संविधान निर्माताओं का किया स्मरण
मोदी ने अपनी चिट्ठी में संविधान निर्माताओं को भी याद किया। उन्होंने कहा, "संविधान दिवस पर हम डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद समेत उन सभी महान विभूतियों का स्मरण करते हैं, जिन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में अपना अहम योगदान दिया है। डॉक्टर बाबासाहेब अम्बेडकर की भूमिका को भी हम सभी याद करते हैं, जिन्होंने असाधारण दूरदृष्टि के साथ इस प्रक्रिया का निरंतर मार्गदर्शन किया। संविधान सभा में कई प्रतिष्ठित महिला सदस्य भी थीं, जिन्होंने अपने प्रखर विचारों और दृष्टिकोण से हमारे संविधान को समृद्ध बनाया।"

पीएम ने अपने पुराने अनुभव का जिक्र करते हुए कहा, "साल 2010 में जब संविधान के 60 वर्ष हुए थे, तब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। हमने संविधान के प्रति कृतज्ञता और निष्ठा प्रकट करने के लिए एक प्रयास किया। 2010 के उस साल में गुजरात में ‘संविधान गौरव यात्रा’ निकाली गई थी। इस पवित्र ग्रंथ की प्रतिकृति को एक हाथी के ऊपर रखकर मैंने उस भव्य यात्रा की अगुवाई की थी।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "जब संविधान के 75 वर्ष पूरे हुए, तो ये हमारी सरकार के लिए ऐतिहासिक अवसर बनकर आया। हमें देशभर में विशेष अभियान चलाने का सौभाग्य मिला। संविधान के 75 वर्ष होने पर हमारी सरकार ने संसद का विशेष सत्र आयोजित किया और राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान भी चलाया। ये अभियान जन-भागीदारी का बड़ा उत्सव बन गया।"

पीएम मोदी ने इस वर्ष संविधान दिवस की गिनाईं विशेषताएं
प्रधानमंत्री ने अपने पत्र में इस वर्ष का संविधान दिवस को कई कारणों से विशेष बताया। उन्होंने कहा, "यह वर्ष सरदार पटेल जी और भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जयंती का है। सरदार पटेल जी के नेतृत्व और सूझबूझ ने देश का राजनीतिक एकीकरण सुनिश्चित किया। ये सरदार पटेल जी की ही प्रेरणा है जिसने हमारी सरकार को जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की दीवार गिराने के लिए प्रेरित किया। आर्टिकल 370 हटने के बाद वहां भारत का संविधान पूरी तरह लागू हो गया है और लोगों को संविधान प्रदत्त सभी अधिकार मिले हैं। भगवान बिरसा मुंडा जी का जीवन आज भी हमें जनजातीय समुदाय के लिए न्याय, गरिमा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने की प्रेरणा देता है।"

उन्होंने कहा, "इस साल हम वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव भी मना रहे हैं। वंदे मातरम हर दौर में प्रासंगिक रहा है। इसके शब्दों में हम भारतीयों के सामूहिक संकल्प की गूंज निरंतर सुनाई देती रही है। इस वर्ष हम श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के 350वें वर्ष को भी मना रहे हैं। उनका जीवन और शहादत की गाथा आज भी हमें प्रेरित करती है।"
 

महात्मा गांधी के वक्तव्य को याद किया
पीएम ने आगे कहा, "इन सभी का जीवन हमें उस कर्तव्य को सर्वोपरि रखने की प्रेरणा देता है, जिसे हमारे संविधान ने भी सबसे अहम बताया है। हमारे संविधान का आर्टिकल 51A मौलिक कर्तव्यों को समर्पित है। ये कर्तव्य हमें सामाजिक और आर्थिक प्रगति प्राप्त करने का रास्ता दिखाते हैं। महात्मा गांधी ने हमेशा नागरिकों के कर्तव्यों पर बल दिया था। वे मानते थे कि जब हम ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, तो हमें अधिकार भी स्वत: मिल जाते हैं।"

राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को सर्वोपरि रखने का किया आह्वान
प्रधानमंत्री ने देश के भविष्य के मार्ग पर चर्चा करते हुए कहा, "देखते ही देखते इस सदी के 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। अब आने वाला समय हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण है। साल 2047 तक आजादी के 100 वर्ष हो जाएंगे। साल 2049 में संविधान निर्माण के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। हम आज जो नीतियां बनाएंगे, जो निर्णय लेंगे, उसका प्रभाव आने वाले वर्षों पर...आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा। हमारे सामने विकसित भारत का लक्ष्य है इसलिए हमें राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखते हुए ही आगे बढ़ना है।"

"हमें राष्ट्र के प्रति, समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा। देश ने हमें कितना कुछ दिया है। इसके लिए हम सबके मन में कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। जब हम इस भावना से जीवन जीते हैं, तो कर्तव्य अपने आप जीवन का स्वभाव बन जाता है। अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए हमें अपने हर काम को पूरी क्षमता और पूरी निष्ठा से करने का प्रयास करना होगा। हमारा हर कार्य संविधान की शक्ति बढ़ाने वाला हो। हमारा हर कार्य देशहित से जुड़े उद्देश्यों को पूरा करने वाला हो। हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने का दायित्व हम सबका है। जब हम अपने काम को कर्तव्य की भावना के साथ करेंगे तो देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति कई गुना बढ़ जाएगी।"

मतदाताओं को दिया अहम संदेश
प्रधानमंत्री ने युवा मतदाताओं को संदेश देते हुए कहा, |"संविधान ने हमें मतदान का अधिकार दिया है। एक नागरिक के तौर पर हमारा कर्तव्य है कि मतदान का कोई अवसर छोड़े नहीं। हमें 26 नवंबर को स्कूलों में, कॉलेजों में उन युवाओं के लिए विशेष सम्मान समारोह आयोजित करने चाहिए, जो 18 वर्ष के हो रहे हैं। हमें उन्हें यह महसूस कराना चाहिए कि वे अब केवल छात्र या छात्रा नहीं, बल्कि नीति निर्माण की प्रक्रिया के सक्रिय सहभागी हैं। स्कूलों में हर वर्ष 26 नवंबर को फर्स्ट-टाइम वोटर्स का सम्मान करने की परंपरा विकसित होनी चाहिए। जब हम इस तरह युवाओं में जिम्मेदारी और गर्व का भाव जगाएंगे, तो वे जीवनभर लोकतंत्र के मूल्यों के प्रति समर्पित रहेंगे। यही समर्पण एक सशक्त राष्ट्र की नींव बनता है।"

पीएम ने पत्र के अंत में आह्वान करते हुए कहा, "आइए, इस संविधान दिवस पर हम अपने महान राष्ट्र के कर्तव्यनिष्ठ नागरिक के रूप में अपने दायित्वों का पालन करने का संकल्प दोहराएं। ऐसा करके ही हम विकसित और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना अहम योगदान दे सकेंगे।"

"हमें राष्ट्र के प्रति, समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा। देश ने हमें कितना कुछ दिया है। इसके लिए हम सबके मन में कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। जब हम इस भावना से जीवन जीते हैं, तो कर्तव्य अपने आप जीवन का स्वभाव बन जाता है। अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए हमें अपने हर काम को पूरी क्षमता और पूरी निष्ठा से करने का प्रयास करना होगा। हमारा हर कार्य संविधान की शक्ति बढ़ाने वाला हो। हमारा हर कार्य देशहित से जुड़े उद्देश्यों को पूरा करने वाला हो। हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने का दायित्व हम सबका है। जब हम अपने काम को कर्तव्य की भावना के साथ करेंगे तो देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति कई गुना बढ़ जाएगी।"

मतदाताओं को दिया अहम संदेश
प्रधानमंत्री ने युवा मतदाताओं को संदेश देते हुए कहा, |"संविधान ने हमें मतदान का अधिकार दिया है। एक नागरिक के तौर पर हमारा कर्तव्य है कि मतदान का कोई अवसर छोड़े नहीं। हमें 26 नवंबर को स्कूलों में, कॉलेजों में उन युवाओं के लिए विशेष सम्मान समारोह आयोजित करने चाहिए, जो 18 वर्ष के हो रहे हैं। हमें उन्हें यह महसूस कराना चाहिए कि वे अब केवल छात्र या छात्रा नहीं, बल्कि नीति निर्माण की प्रक्रिया के सक्रिय सहभागी हैं। स्कूलों में हर वर्ष 26 नवंबर को फर्स्ट-टाइम वोटर्स का सम्मान करने की परंपरा विकसित होनी चाहिए। जब हम इस तरह युवाओं में जिम्मेदारी और गर्व का भाव जगाएंगे, तो वे जीवनभर लोकतंत्र के मूल्यों के प्रति समर्पित रहेंगे। यही समर्पण एक सशक्त राष्ट्र की नींव बनता है।"

पीएम ने पत्र के अंत में आह्वान करते हुए कहा, "आइए, इस संविधान दिवस पर हम अपने महान राष्ट्र के कर्तव्यनिष्ठ नागरिक के रूप में अपने दायित्वों का पालन करने का संकल्प दोहराएं। ऐसा करके ही हम विकसित और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना अहम योगदान दे सकेंगे।"
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