India Israel: पूर्वोत्तर से 5800 यहूदियों को इस्राइल ले जाएगी नेतन्याहू सरकार; 2030 तक पुनर्वास योजना मंजूर
बेनी मेनशे समुदाय का दावा है कि वे 2,700 वर्ष पूर्व निर्वासित मेनशे जनजाति के वंशज हैं, जिसे इस्त्राइल की खोई हुई जनजातियों में गिना जाता है।
विस्तार
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम व मणिपुर में रह रहे बेनी मेनशे यहूदी समुदाय के सभी 5,800 लोगों को इस्राइल लाया जाएगा। यह निर्णय रविवार को कैबिनेट बैठक में किया गया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह कदम इस्राइल के उत्तर क्षेत्र को मजबूत करेगा।
करीब 2.7 करोड़ डॉलर खर्च होंगे
यहूदियों की अंतरराष्ट्रीय संस्था ज्यूइश एजेंसी फॉर इस्राइल ने भी इस ऐतिहासिक कदम बताया है। फैसले के तहत बेनी मेनशे यहूदियों को वर्ष 2030 तक लाया जाएगा। इनमें से 1,200 लोगों की 2026 में ही वापसी होगी। पहली बार ज्यूइश एजेंसी पूरी प्रक्रिया संभालेगी। इस पूरी योजना पर करीब 2.7 करोड़ डॉलर खर्च होंगे। आने वाले दिनों में रब्बियों का सबसे बड़ा दल भारत भेजा जाएगा, जो करीब 3,000 लोगों के इंटरव्यू करेगा, जिनके प्रथम श्रेणी के रिश्तेदार पहले से इस्राइल में रहते हैं।
ये भी पढ़ें:- संयुक्त राष्ट्र की चौंकाने वाली रिपोर्ट: दुनिया में हर 10वें मिनट एक महिला की हत्या, हर दिन 137 महिलाओं की मौत
2,700 वर्ष पहले निर्वासन
बेनी मेनशे समुदाय का दावा है कि वे 2,700 वर्ष पूर्व निर्वासित मेनशे जनजाति के वंशज हैं, जिसे इस्त्राइल की खोई हुई जनजातियों में गिना जाता है। यहूदी धर्म अपनाने व इस्राइल के चीफ रब्बी से पहचान मिलने से पूर्व कई लोग ईसाई धर्म मानते थे। करीब 2,500 बेनी मेनशे यहूदी पहले से ही इस्राइल में हैं और बड़ी संख्या में सेना में सेवा दे रहे हैं।
2,500 से अधिक लोग पहले ही इस्राइल में बसे
वर्तमान में लगभग 2,500 बेनी मेनशे यहूदी पहले से इस्राइल में रह रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या इस्राइल रक्षा बल में योगदान दे रही है। ज्यूइश एजेंसी का कहना है कि विस्तारित योजना से समुदाय के हजारों सदस्यों को अपने ऐतिहासिक घर लौटने का अवसर मिलेगा और यह इस्राइल के उत्तरी क्षेत्र को जनसंख्या व रक्षा के नजरिए से मजबूत करेगा।