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दर्द में दून: नदी के दूसरे छोर से अपने घरों को निहार रहे लोग, भगवान से कर रहे सुरक्षित रखने की प्रार्थना

संवाद न्यूज एजेंसी, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Wed, 17 Sep 2025 01:01 PM IST
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सार

दून घाटी में सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात बादल आफत बनकर बरसे। विभिन्न स्थानों पर नदी में बहने और मलबे में दबने से 17 लोगों की मौत हो गई, जबकि 13 से अधिक लोग लापता हैं। हालांकि मौठ नदी में दो पुराने शव भी मिले हैं। प्रशासन ने 13 की मौत, तीन घायल और 13 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है। 

Dehradun disaster victims in pain praying to God to keep their homes safe
देहरादून आपदा - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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हे विधाता कन रुठि तू, त्वै तें दया भि नि आई... नदी के दूसरे छोर से अपने घरों को निहार रहे हर किसी व्यक्ति की जुबान पर बस यही बात थी। हर कोई यही कह रहा था कि जान तो बच गई लेकिन जीवनभर की खून-पसीने की कमाई उनके मकान खतरे की जद में है।

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बस यही चिंता सता रही थी कि यदि नदी का पानी बढ़ा तो उनके जीवन की पूंजी उसमें समा न जाए। ऐसे में हर प्रभावित भगवान से उनके घरों को सुरक्षित रखने की प्रार्थना कर रहा था। आपदा पीड़ित पुष्पा, अंशिका, मोतीलाल वर्मा और नीरज कुमार रात से ही अपने घर के बाहर बैठे हैं। उनकी आंखों में आंसूओं के साथ खौफ भी साफ नजर आ रहा है।
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उनका कहना है कि वे करीब 25 वर्षों से यहां पर रह रहे हैं यह पहली बार है जब कुदरत ने इस तरह का कहर बरपाया है। आज उनके लिए जीवन बचाने के साथ ही अपनी पूंजी बचाना मुश्किल हो गया है। बताया के रात में पहले करीब एक बजे और दूसरी बार करीब साढ़े चार बजे बादल फटा तो नदी में बहकर आए पत्थर उनके घर से टकराने लगे।

बहाव तेज हुआ था तो ऊपर से भारी मात्रा में मलबा आ गया।
कहा कि उन सभी के घर सहस्त्रधारा नदी के किनारे है। जब बहाव तेज हुआ था तो ऊपर से भारी मात्रा में मलबा आ गया। इसके बाद रात में ही प्रशासन ने उन्हें घरों से निकलने के लिए कहा। वे तभी से बाहर बैठे हैं। 

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गहने साथ ले आए हैं
आपदा पीड़ित लोगों ने बताया कि वे अपने घरों से गहने और पढ़ाई संबंधी व अन्य जरूरी दस्तावेज ले आए हैं। बाकि सामान घरों पर ही मौजूद है। वे सभी सुबह से भूखे भी है। कहा कि अगर घर ढहा तो जिंदगी की आस और गाढ़ी कमाई डूब जाएगी। क्षेत्र में कई दुकानें हैं जो नदी के किनारे बनी हुई हैं।
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