GST: महंगा हुआ खाना, महिलाओं की रसोई का बजट भी गड़बड़ाया, जानें आज से क्या-क्या दायरे में आएंगे
पहले खाद्य तेलों के दाम में बढ़ोतरी, फिर घरेलू गैस सिलिंडर, अब पैकेट बंद अनाजों को जीएसटी के दायरे में लाने पर महिलाओं ने ऐतराज जताया है। बढ़ती महंगाई से महिलाओं की रसोई का बजट भी गड़बड़ाएगा। वहीं व्यापारियों ने अनाज पर जीएसटी लगाने का विरोध किया है।

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जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों के दायरे में खुला दूध, दही और पनीर बेचने वाले नहीं आएंगे। उधर, व्यापारियों ने कहा कि ठीक है इसका असर हम पर नहीं पड़ेगा, लेकिन बिक्री जरूर प्रभावित होगी।
पैकेट बंद अनाज पर जीएसटी वापस ले सरकार
केंद्र सरकार ने पैकेट बंद, डिब्बा बंद, लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सोयाबीन, मटर, गेहूं का आटा, गुड़ सहित अन्य अनाजों को जीएसटी के दायरे में लाया गया है। व्यापारियों ने अनाज पर जीएसटी लगाने का विरोध किया है। व्यापारियों ने इसे वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इससे दोबारा से इंस्पेक्टर राज शुरू हो जाएगा और व्यापारियों का उत्पीड़न बढ़ेगा।व्यापारियों की जुबानी
केंद्र सरकार व्यापारियों के उत्पीड़न पर तुली है। सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। अनाज पर जीएसटी लगने से उपभोक्ता पर महंगाई की मार पड़ेगी। व्यापारी अनाजों पर लगने वाले जीएसटी का विरोध कर रहे हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो फिर इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा।- राजकुमार अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष, देवभूमि उत्तरांचल उद्योग व्यापार मंडल
- नरेश अग्रवाल, जिलाध्यक्ष प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल
पैकेट बंद अनाज पर जीएसटी लगने से फायदा भी होगा और नुकसान भी। अनाज में होने वाली मिलावट रुक जाएगी। नुकसान यह होगा कि अनाज के दाम बढ़ जाएंगे। अनाज पर जीएसटी लगाने से कोई भी व्यापारी खुश नहीं है। व्यापारी विरोध कर रहे हैं।
- राजेश भट्ट, अध्यक्ष नगर उद्योग महासंघ
डिब्बा बंद और पैकेट बंद अनाज पर जीएसटी लगाने का असर गरीबों और मध्य वर्ग के लोगों पर नहीं पड़ेगा। गरीब और मध्यम वर्ग के लोग पैकेट बंद अनाज नहीं खरीदते, वह खुला अनाज ही खरीदते हैं। अनाज पर जीएसटी लगाने का हर कोई व्यापारी विरोध कर रहा है। अनाज पर लगी जीएसटी वापस ली जानी चाहिए।
- प्रतीक कालिया, महामंत्री, नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल
महिलाओं ने कहा गृहस्थी चलाना हुआ मुश्किल
पहले खाद्य तेलों के दाम में बढ़ोतरी, फिर घरेलू गैस सिलिंडर, अब पैकेट बंद अनाजों को जीएसटी के दायरे में लाने पर महिलाओं ने ऐतराज जताया है। महिलाओं का कहना है कि एक साल से लगातार बढ़ रही महंगाई के कारण गृहस्थी चलाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने अगर यही हाल रहा तो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए घर का राशन जुटाना मुश्किल हो जाएगा।
पैकेट बंद अनाज को जीएसटी के दायरे में लाना केंद्र सरकार का यह कदम गलत है। एक साल से लोगों महंगाई की मार झेल रहे हैं। उसके बाद भी सरकार किसी प्रकार की रियायत नहीं दे रही है। पहले खाद्य तेलों के दाम बढ़ाए, फिर रसोई गैस के, और अब पैकेट बंद अनाज को जीएसटी के दायरे में लाने से आम लोगों पर महंगाई की मार पड़ेगी। -रूपा, गृहणी
केंद्र सरकार की ओर से महंगाई को कम करने के कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं। जिन वस्तुओं जैसे डीजल, पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना था उन्हें नहीं लाया जा रहा है। इसके उलट डिब्बा बंद, पैकेट बंद अनाज और अन्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे लाया गया है इससे आम आदमी को जीना मुश्किल हो गया है। - रजनी, गृहणी
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केंद्र सरकार ने अनाज को जीएसटी के दायरे में नहीं लाने वादा किया था। केंद्र सरकार का ध्येय किसी भी तरह से अपना राजकोष बढ़ाना रह गया है। अनाज को जीएसटी में दायरे में लाने से पहले कर चोरी रोकने के ठोस इंतजाम किए जाने थे। हर तरह से मध्यम वर्गीय परिवार वाला ही पिस रहा है। गृहस्थी चलाना मुश्किल हो रहा है।- अंशु, गृहणी