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देश सेवा करने का सपना देख रहे उत्तराखंड के युवाओं के लिए सरकार का बड़ा तोहफा

ब्यूरो/अमर उजाला, देहरादून Updated Wed, 15 Nov 2017 08:06 AM IST
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Military forces recruitment in uttarakhand
जवान - फोटो : file photo
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राज्य के युवाओं को सैन्य बलों की भर्ती के लिए तैयार किए जाने का सरकार प्रयास कर रही है। इसके पहले युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण देने की तैयारी है।

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परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए राज्य सरकार कुमाऊं और गढ़वाल में दो केंद्र स्थापित करेगी। यह निर्णय सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और सेना के बंगलूरू सिलेक्शन सेंटर के कमांडेंट मेजर जनरल वीपीएस भाकुनी की मुलाकात के दौरान लिया गया।
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मे.ज. भाकुनी ने मुख्यमंत्री के समक्ष एक प्रस्तुतीकरण दिया, जिसमें बताया कि वर्तमान में एनडीए और सीडीएस परीक्षाओं की सफलता दर आईएएस परीक्षा से भी कम है। सिविल सेवाओं के मुकाबले लगभग डेढ़ गुना अधिक अभ्यर्थी एनडीए और सीडीएस जैसी परीक्षाओं में आवेदन करते हैं, लेकिन सेना में भर्ती के लिए समग्र व्यक्तित्व परीक्षण (कॉम्प्रेहेन्सिव पर्सनेल्टी टेस्ट) के कड़े मानकों के कारण सफलता दर कम होती है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड एक सैनिक बाहुल्य राज्य है और यहां के युवाओं में सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। युवाओं को उनकी क्षमता के अनुरूप आवश्यक जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान कर एनडीए और सीडीएस परीक्षाओं में उनकी सफलता का प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है।

 

सीएम ने कहा, व्यक्तित्व विकास की कार्यशालाएं जरूरी

Military forces recruitment in uttarakhand
trivendra singh rawat
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि व्यक्तित्व विकास की कार्यशालाएं सिर्फ सैन्य सेवाएं ही नहीं वरन अन्य सरकारी सेवाओं और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भी युवाओं के लिए लाभप्रद होंगी।

बैठक में तय हुआ कि प्रथम चरण में कुमाऊं और गढ़वाल में प्रशिक्षण कार्यशालाएं (ट्रेनिंग वर्कशॉप) ऐसे स्कूल-कॉलेज के भवनों में संचालित होंगी, जहां पर्याप्त अवस्थापना सुविधाएं हों। ये कार्यशालाएं दो से तीन सप्ताह की होंगी,

जहां युवाओं को एनडीए और सीडीएस की चयन प्रक्रिया के अनुरूप व्यक्तित्व विकास, साक्षात्कार एवं अन्य शारीरिक परीक्षणों के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। सैनिक कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग से समन्वय कर प्रशिक्षण कार्यशालाओं के लिए स्थाई केन्द्र के रूप में स्कूल या कॉलेज के भवन चयनित करेंगे जहां नियमित पठन-पाठन के साथ-साथ कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जा सके।

मे.ज. भाकुनी के मुताबिक पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होने पर प्रति वर्ष दस हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सकता है। द्वितीय चरण में 11वीं-12वीं के छात्र-छात्राओं के लिए राज्य सरकार द्वारा स्थायी मिलिट्री/सैनिक स्कूल खोलने पर भी विचार किया जा सकता है।
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