संचार सुविधा देने में नेपाल ने भारत को पीछे छोड़ा, बात करने के लिए नापनी पड़ती है मीलों की दूरी
नेपाल के गांवों में संचार क्रांति तेजी से बढ़ रही है। भारत का सीमांत क्षेत्र आज भी इस मामले में बहुत पीछे हैं। नेपाल से लगे सीमांत गांवों में आज भी मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलने से लोगों को बात करने के लिए मीलों दूर जाना पड़ता है।
भारत के महाकाली नदी के किनारे और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में आज भी संचार सुविधा नहीं है। संचार क्रांति में नेपाल के प्रदेश नंबर सात के जिले उत्तराखंड से बहुत आगे हैं। धारचूला तहसील और नदी घाटी से लगे दर्जनों गांवों में भारतीय संचार कंपनियों का नेटवर्क कम, नेपाल की कंपनियों का नेटवर्क अधिक काम करता है।
नेपाल के प्रदेश नंबर सात के पहाड़ी जिले बैतड़ी, दार्चुला, डडेलधूरा, डोटी, अछाम, बजांग, बाजुरा के सभी क्षेत्रों में संचार सुविधा है, जबकि उत्तराखंड के धारचूला से लगे दारमा के 14, मल्ला दारमा के तीन, चौंदास के पांच, व्यास के सात गांवों और पांगला, जिप्ती और सिमखोला में भारतीय नेटवर्क काम नहीं करता।
साथ ही नदी घाटी के तड़ीगांव, बल्तड़ी, सीमू, कानड़ी, गेठिगाड़ा, तालेश्वर, खर्कतड़ी, खोलाकटियानी, सिमपानी, अमतड़ी, रणुवा और चकद्वारी गांवों के लोग नेपाली सिम का प्रयोग करते हैं। इन गांवों में नेपाली टेलीकॉम की नमस्ते और स्काई सेवा काम करती है। इसके अलावा, निजी कंपनी के एंसेल, स्मार्ट का नेटवर्क काम करता है।
काफी महंगी हैं नेपाल होने वाली काल दरें
भारत से बीएसएनएल सहित निजी कंपनी एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन से नेपाल की जाने वाली कॉल की दरें बहुत महंगी हैं। निजी कंपनियों के सिम में 21 का टैरिफ डालने के बाद 12 रुपये प्रति मिनट के हिसाब से कॉल होती है। इसके विपरीत नेपाल से भारत 2.50 रुपये प्रति मिनट की दर से कॉल होती है। नेपाल के अधिकांश इलाकों में पूरा नेटवर्क काम करता है। बैतड़ी में अभी टूजी और थ्री सेवा उपलब्ध है।
संचार सेवाओं को बढ़ावा देने पर ज्यादा ध्यान
नेपाल टेलीकॉम कंपनी के शाखा प्रमुख सूरत बहादुर खड़का ने बताया नेपाल सरकार ने संचार सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा ध्यान दिया है। उन्होंने बताया बैतड़ी की चार नगरपालिकाओं और छह गांवों का 90 प्रतिशत क्षेत्र संचार नेटवर्क से जुड़ चुका है। नेपाल की संचार क्रांति का नुकसान भारत को सीधे तौर पर हो रहा है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन सीमा से लगे छांगरु व गुंजी के हजारों लोग नेपाली सिम का प्रयोग कर रहे हैं, जिस कारण भारत को संचार से होने वाली आय का घाटा उठाना पड़ रहा है। नेपाल में संचार सेवा सेटेलाइट से जुड़ी है, जबकि भारत में संचार सेवा ओएफसी से जुड़ी है।
भारत में थ्रीजी का खर्चा काफी ज्यादा है। इसमें सब्सिडी नहीं मिलती है। सीमांत क्षेत्र में संचार सेवा में सुधार किया जा रहा है। इसके अंतर्गत धारचूला के सांपा और झूलाघाट में मोबाइल टावर लगा दिए गए हैं।
अनिल कुमार गुप्ता महाप्रबंधक दूर संचार निगम अल्मोड़ा