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रुड़की निकाय चुनाव 2019: ...तो हरिद्वार में भाजपा का सिंबल अब जीत की गारंटी नहीं!

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal Updated Tue, 26 Nov 2019 03:34 PM IST
सार

  • बड़ा सवाल : नेटवर्क शानदार, रणनीति धारदार तो क्यों मिली हार?
  • सीएम ने कहा, रुड़की नगर निगम में हार से मिली सीख, जिताऊ को ही देना चाहिए टिकट

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Roorkee Municipal Corporation Election 2019 BJP symbol in Haridwar no longer guaranteed to win
त्रिवेंद्र सिंह रावत - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
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विस्तार
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हरिद्वार जनपद में भाजपा का सिंबल क्या अब जीत की गारंटी नहीं रहा? जब पार्टी का सांगठनिक नेटवर्क शानदार है। उसकी रणनीति धारदार है तो फिर रुड़की नगर निगम के मेयर पद पर पार्टी को करारी शिकस्त का सामना क्यों करना पड़ा?

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क्या पार्टी ने जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर चहेतों और खुशामद करने वालों को टिकट देने की कीमत चुकाई है? भाजपा के सियासी हलकों में गरमा रहे ये प्रश्न फिलहाल निरुत्तर हैं। इन सवालों के बीच पार्टी सदमे में है और संगठन और सरकार के नेतृत्व के पास हाथ मलने के सिवाय कोई चारा नहीं है।
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सोमवार को रुड़की नगर निगम में पार्टी की पराजय का सवाल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समक्ष भी उठा। सवाल का पहला अल्फाज मीडिया कर्मियों की जुबां पर आने से पहले ही उन्होंने जवाब दाग दिया। उन्होंने कहा,‘ देखिये वहां जो कुछ भी हुआ, वो अपेक्षित था। उसे स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है।

यह भी स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं कि हमने जिताऊ से ज्यादा वरिष्ठता का ध्यान रखा। जिस कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाया गया वो बहुत वरिष्ठ हैं। जनता कुछ और चाहती थी। वहां सीख मिली कि जिताऊ को ही टिकट देना चाहिए। कई बार कार्यकर्ता का सम्मान रखना होता है।’ इतना नहीं उन्होंने कहा कि वोट भाजपा को ही पड़ा चाहे ‘ए’ को पड़ा या ‘बी’ को। ‘बी’ से उनका आशय सीधे सीधे गौरव गोयल से है, जो भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव जीते। 
 

पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो पिछले करीब दो साल से मेयर पद के चुनाव की तैयारी कर रहे गौरव गोयल जिताऊ प्रत्याशी थे, ये फीड बैक पार्टी के पास था। लेकिन उसने गौरव की दावेदारी को नजरअंदाज किया। जबकि पार्टी हरिद्वार नगर निगम के मेयर पद पर हुए चुनाव की हार सबक पहले ले चुकी थी।

रुड़की में प्रत्याशी चयन के मामले में भाजपा ने अपनी गलती को दोहराया। जमीनी और जिताऊ कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर टिकट देने का खामियाजा पार्टी ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भुगता है। हालांकि मुख्यमंत्री इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि बगावत से प्रभावित यह पहला इस तरह का परिणाम है। 

उनकी मानें तो भाजपा के अलावा कोई और राजनीतिक दल चुनाव में था ही नहीं। प्रदेश में भाजपा बहुत मजबूत है और आगे भी मजबूती का प्रदर्शन करती रहेगी। लेकिन प्रश्न यही है कि जिताऊ को नजरअंदाज करके जनाधार विहीन को टिकट दिए जाएंगे तो पार्टी कैसे मजबूती बनाए रखेगी? हरिद्वार में भाजपा बहुत सशक्त है।

वहां सांसद उसका है। 11 में से आठ विधायक उसके हैं। उनमें से एक को पार्टी बाहर कर चुकी है। रुड़की विधानसभा में भी भाजपा काबिज है। इतनी मजबूत होने के बावजूद उसकी पराजय स्तब्ध करने वाली तो है ही। हरिद्वार और रुड़की नगर निगमों के चुनाव में भाजपा की हार के बाद अब ये प्रश्न मौजूद है कि क्या हरिद्वार में ‘कमल’ जीत की गारंटी है? 

रुड़की नगर निगम के मेयर पद पर पार्टी की पराजय की समीक्षा होगी। इस चुनाव में मेयर और पार्षद पद पर कई बागी चुनाव लड़े। उनके चुनाव मैदान में होने से पार्टी को नुकसान हुआ।
- अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

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