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Uttarakhand Chunav 2022: उत्तराखंड में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की बड़ी चुनौती, युवाओं-बुजुर्गों तक को दीं खास सुविधाएं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Mon, 14 Feb 2022 02:41 PM IST
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सार
युवाओं को खासतौर से जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियां हुईं तो 80 साल से अधिक आयु के बुजुर्गों को पहली बार घर से मतदान करने का मौका दिया गया है।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
प्रदेश में इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाना बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने खूब जतन किए हैं। स्वीप के माध्यम से जागरूकता के साथ ही विभिन्न एनजीओ की मदद से भी मतदाता जागरूकता अभियान चलाया गया है। युवाओं को खासतौर से जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियां हुईं तो 80 साल से अधिक आयु के बुजुर्गों को पहली बार घर से मतदान करने का मौका दिया गया है।
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2017 में 64.72 प्रतिशत हुआ था मतदान
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के इतिहास के पुराने पन्नों को पलटें तो मतदान प्रतिशत तीन बार ऊपर चढ़ने के बाद, पिछले चुनाव में नीचे गिर गया था। वर्ष 2002 के चुनाव में 54.34 फीसदी मतदान हुआ। वर्ष 2007 के चुनाव में बढ़कर 59.45 फीसदी पहुंच गया। वर्ष 2012 के चुनाव में 66.17 फीसदी मतदान हुआ, लेकिन वर्ष 2017 में गिरकर 64.72 पर आ गया। इस बार मतदान प्रतिशत को बढ़ाने की चुनौती है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने सभी लोगों से ज्यादा से ज्यादा मतदान की अपील की है।
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किस चुनाव में कितने वोटर
2002 : 52,70,375
2007 : 59,85,302
2012 : 63,77,330
2017 : 76,06,688
2022 : 81,72,173
101 सखी बूथों पर महिलाओं को मिलेगी हर सुविधा
प्रदेश के 101 ऐसे बूथ हैं, जिन पर सभी कर्मचारी महिलाएं हैं और यहां वोट डालने आने वाली महिलाओं को सभी सुविधाएं मिल रही है। चुनाव आयोग ने इनको सखी बूथ नाम दिया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि सबसे ज्यादा 19 सखी बूथ हरिद्वार और 18 देहरादून में हैं। उत्तरकाशी, चमोली में तीन-तीन, रुद्रप्रयाग में दो, टिहरी में छह, पौड़ी में दस, पिथौरागढ़ में चार, बागेश्वर में दो, अल्मोड़ा में छह, चंपावत में दो, नैनीताल में 12 और ऊधमसिंह नगर में 18 सखी बूथ हैं। इन बूथों पर महिलाओं को सेनेटरी पैड से लेकर बच्चों को स्तनपान कराने तक की हर सुविधाएं मिलेंगी। उनके साथ आने वाले बच्चों के खेलने की भी व्यवस्था की गई है।
छह बूथों पर केवल दिव्यांग कर्मचारी
चुनाव आयोग ने प्रदेश के छह बूथों को दिव्यांग बूथ बनाया है। इनमें देहरादून और हरिद्वार में दो-दो, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में एक-एक बूथ शामिल हैं। इन बूथों पर मतदान का काम कराने वाले सभी कर्मचारी दिव्यांग होंगे। इसके अलावा प्रदेश में सभी सुविधाओं से युक्त 156 मॉडल बूथ बनाए गए हैं।
चुनाव करा रहे 79 हजार से ज्यादा कर्मचारी
इस बार चुनाव प्रक्रिया में जहां 79 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है तो वहीं राज्य के 36 हजार सुरक्षाकर्मी भी लगाए गए हैं। 23 कंपनी पीएसी और 114 कंपनी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) भी लगाई गई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि 13 हजार 910 पीठासीन अधिकारी, 13 हजार 910 मतदान अधिकारी प्रथम, इतने ही मतदान अधिकारी द्वितीय और इतने ही मतदान अधिकारी तृतीय लगाए गए हैं। 1069 माइक्रो ऑब्जर्वर हैं। 5136 महिला कर्मचारी भी चुनाव ड्यूटी में हैं। अन्य ड्यूटी में लगे लोगों की संख्या 17 हजार 470 है। इस तरह कुल 79 हजार 315 सरकारी कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में लगे हैं।
कितने सुरक्षाकर्मी ड्यूटी पर
राजपत्रित अधिकारी-88
इंस्पेक्टर-182
सब इंस्पेक्टर-1602
महिला सब इंस्पेक्टर- 629
हेड कांस्टेबल- 1103
कांस्टेबल- 10015
महिला कांस्टेबल- 1812
वन दरोगा- 84
वनरक्षक- 823
होमगार्ड-पीआरडी- 20057
पीएसी- 23 कंपनी
सीएपीएफ- 114 कंपनी
जिला : कर्मचारी
उत्तरकाशी-4376
चमोली- 3667
रुद्रप्रयाग-2441
टिहरी-6484
देहरादून-10889
हरिद्वार-13073
पौड़ी गढ़वाल-6805
पिथौरागढ़- 4196
बागेश्वर- 3357
अल्मोड़ा- 5989
चंपावत-2578
नैनीताल- 6463
ऊधमसिंह नगर- 8997
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