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मदद और मार्गदर्शन: डबल इंजन की ताकत से उत्तराखंड को मिली मजबूती, हिमालयी राज्यों में बह रही है विकास की बयार
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सार
चारधाम ऑल वेदर रोड, केदारनाथ पुनर्निर्माण, बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान, मानसखंड मंदिर माला मिशन प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। मोदी पहली बार आदि कैलाश पहुंचने वाले पहले प्रधानमंत्री बने।

उत्तराखंड के गांव, file
- फोटो : Instagram
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विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड के प्रति विशेष स्नेह रहा है। 2014 में मोदी जी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद सच्चे अर्थों में हिमालयी राज्यों के उत्थान को लेकर चिंतन शुरू हुआ। डबल इंजन को भले ही राजनीतिक रूप से देखा जाता हो लेकिन इसने राज्य को दोगुनी ऊर्जा, ताकत व संसाधन दिए हैं। राज्य के विकास की तमाम ऐसी योजनाएं जो दशकों से अटकी थीं, उन्हें गति मिली और भौगोलिक अड़चनें दूर कर राज्य के संसाधनों को मूर्त रूप मिला।

प्रधानमंत्री मोदी जानते थे कि विकास के पुराने मॉडल के चलते हिमालय की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है और पलायन एक गंभीर समस्या है। सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री ने हिमालयी राज्यों के लिए एक अलग विकास का मॉडल की बात कही। पहले ही बजट में भारतमाला प्रोजेक्ट और सतत विकास की अनेक परियोजनाओं के लिए अलग बजट रखा। नतीजा यह है कि कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक न सिर्फ विकास की बयार बह रही है अपितु हर सीमांत के लोग खुद को राष्ट्र की मुख्यधारा का भागीदार समझ रहे हैं। कुछ विघ्नसंतोषी सोच के लोगों ने आरोप लगाया कि मोदी ने उत्तराखंड को क्या दिया।
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2013 में आई केदारनाथ आपदा के समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने तब भी उत्तराखंड की तत्कालीन सरकार को यह पेशकश की थी कि वह केदारनाथ के पुनर्निर्माण का जिम्मा लेने को तैयार हैं लेकिन उनकी पेशकश स्वीकार नहीं किया गया था। इस बार भी उत्तराखंड के अनेक स्थानों में आपदा आई है। खास कर धराली, थराली और अब देहरादून।
हर त्रासदी पर प्रधान मंत्री की पल-पल पर नजर रहती है। अभी तक 1200 करोड़ रुपये की तात्कालिक आर्थिक सहायता दे चुके हैं। दिल्ली- देहरादून एक्सप्रेस बनकर तैयार हो चुका है। इससे दिल्ली से देहरादून का सफर ढाई घंटे में पूरा हो सकेगा। केंद्र के सहयोग से उत्तराखंड में करीब 47 सौ किमी लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया। 250 से अधिक आबादी वाले 199 गांव सड़क से जुड़े। 125 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का निर्माण 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है।
टनकपुर–बागेश्वर और डोईवाला से गंगोत्री-यमुनोत्री तक रेललाइन के सर्वे पर भी सहमति प्रदान कर दी है। इन परियोजनाओं से राज्य में रेल नेटवर्क का विस्तार होगा। डबन इंजन की ताकत से दशकों से लंबित परियोजनाओं को गति मिली है। इसमें सौंग पेयजल परियोजना और लखवाड़ व्यासी जल विद्युत परियोजना शामिल हैं। हल्द्वानी के पास जमरानी बांध का काम भी शुरू हो चुका है। तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे का जल्द निर्माण कार्य शुरू होगा। ऊधमसिंह नगर जिले के किच्छा में एम्स का सेटेलाइट सेंटर पर काम चल रहा है। एम्स ऋषिकेश से देश की पहली हेली एंबुलेंस सेवा की गई।
राज्य को चार गुना अधिक सहायता
2004 से 2014 तक यूपीए सरकार ने उत्तराखंड को 53 हजार करोड़ रुपये प्रदान किए। मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल में उत्तराखंड को साढ़े तीन गुना अधिक यानि एक लाख 86 हजार करोड़ रुपए प्रदान किए जा चुके हैं। सड़कों के लिए 31 हजार करोड़, रेल परियोजना के लिए 40 हजार करोड़, एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के सौ करोड़ राशि केंद्र से मिली है।
- मोदी हर मुश्किल की घड़ी में उत्तराखंड के साथ खड़े रहे हैं। 2013 की केदारनाथ आपदा हो या 2023 में सिलक्यारा सुरंग हादसा हो या फिर धराली व थराली की आपदा में भी पीएम मोदी ने अभिभावक के रूप में सहयोग व मार्गदर्शन किया।