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चिंताजनक: उत्तराखंड में पांच साल तक के 60 फीसदी बच्चे एनीमिया से ग्रसित
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: अलका त्यागी
Updated Tue, 21 Sep 2021 11:07 AM IST
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सार
Anemia in children: स्वास्थ्य महानिदेशालय में अभियान के तहत एनीमिया की जांच, उपचार और बचाव पर आधारित टी-3 शिविर आयोजित किया गया।

anemia

विस्तार
उत्तराखंड में पोषाहार खानपान के अभाव और फास्ट फूड के प्रचलन से बच्चे कुपोषण की चपेट में आ रहे हैं। प्रदेश में पांच साल तक 60 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं। वहीं, 42.4 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं और 50.1 प्रतिशत धात्री महिलाओं की सेहत भी एनीमिया से प्रभावित है। अब सरकार प्रदेश भर में एनीमिया मुक्त उत्तराखंड अभियान चलाएगी। जिसमें सभी अस्पतालों, कार्यालयों अलावा सार्वजनिक स्थानों पर भी निशुल्क हीमोग्लोबिन जांच की जाएगी। इसके लिए टी-3 यानी टेस्ट, ट्रीट और टॉक शिविर आयोजित किए जाएंगे।
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स्वास्थ्य महानिदेशालय में अभियान के तहत एनीमिया की जांच, उपचार और बचाव पर आधारित टी-3 शिविर आयोजित किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन निदेशक सोनिका ने शिविर का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं में कुपोषण गंभीर चुनौती है। बच्चों और महिलाओं में पोषण के लिए खानपान विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रदेश में 15 से 19 आयु वर्ग में 20 प्रतिशत किशोर और 42.4 प्रतिशत किशोरियों एनीमिया से पीड़ित हैं।
एनएचएम निदेशक डॉ. सरोज नैथानी ने बताया कि प्रदेश के हर जिले में एनीमिया टेस्ट, ट्रीट और टॉक शिविर आयोजित किए जाएंगे। अस्पतालों, कार्यालयों व सार्वजनिक स्थानों पर हीमोग्लोबिन की निशुल्क जांच की जाएगी। इसके लिए विभाग की ओर से डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर खरीदे जा रहे हैं। इससे सैंपल के 25 सेकेंड में हीमोग्लोबिन जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। सभी जिलों को शिविर लगाने के बारे में आदेश जारी किया गया है।
शिविर में 272 लोगों की हीमोग्लोबिन जांच
स्वास्थ्य महानिदेशालय में आयोजित शिविर में 272 कर्मचारियों और अधिकारियों के हीमोग्लोबिन जांच की गई। जिसमें 12 पुरुष और 25 महिलाएं एनीमिया से ग्रसित पाए गए। एनीमिया से प्रभावित कार्मिकों को बचाव की सलाह देने के साथ ही आईएफए की गोलियां वितरित की गईं।
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