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आसमानी हलचल: 22 सितंबर से होगी सर्दियों की शुरुआत, इसी दिन एक विशाल एस्टेरोइड भी आएगा धरती के बेहद करीब
गिरीश रंजन तिवारी, अमर उजाला, नैनीताल
Published by: अलका त्यागी
Updated Tue, 21 Sep 2021 05:49 PM IST
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सार
सौरमंडल में सूर्य अपनी निर्धारित कक्षा में चक्कर लगाता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी है और सूर्य के चक्कर लगा रही है।

धरती के नजदीक आ रहा विशाल एस्टेरोइड
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
देश के मैदानी भागों में भले ही गर्मी पड़ रही है लेकिन 22 सितंबर को दिन और रात बराबर होने के बाद बृहस्पतिवार से सर्दी का मौसम शुरू हो जाएगा। अब रातें बड़ी और दिन छोटे होने लगेंगे। बुधवार को एक विशाल एस्टेरोइड भी धरती के बेहद करीब आएगा।
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सितंबर का इक्विनॉक्स यानी विषुव आमतौर पर 22 या 23 सितंबर को पड़ता है। बहुत ही कम अवसरों पर यह 21 सितंबर या 24 सितंबर को पड़ता है। 21 सितंबर का विषुव तो कई सदियों से नहीं हुआ है। हालांकि वर्तमान सदी में यह दो बार 2092 और 2096 में पड़ेगा, जबकि 24 सितंबर का विषुव इससे पूर्व 1931 में पड़ा था और अगली बार 2303 में पड़ेगा।
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सौरमंडल में सूर्य अपनी निर्धारित कक्षा में चक्कर लगाता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी है और सूर्य के चक्कर लगा रही है। 21 मार्च और 22 सितंबर को पृथ्वी की भूमध्य रेखा बिल्कुल सूर्य के सामने पड़ती है। इस कारण दिन और रात्रि का समय बराबर हो जाता है। 21 मार्च को जब ये स्थिति बनती है तो उत्तरी गोलार्ध में गर्मी और जब यह स्थिति 22 सितंबर को बनती है तो सर्दियों की शुरुआत होती है। दक्षिणी गोलार्ध में इसके उलट स्थिति बनती है।
हालांकि सूर्य की किरणें वातावरण में सुबह और शाम को तिरछी पड़ने के कारण दिन-रात ठीक 12 घंटे के ही न होकर इसमें चंद मिनटों का अंतर होता है। भारत में इस वर्ष यह अंतर लगभग सात मिनट का रहेगा। 22 सितंबर को कुतुबमीनार से तीन से चार गुने बड़े आकार का एक एस्टेरोइड 2021 एनवाई 1 पृथ्वी के बहुत नजदीक से गुजरेगा। इसका आकार लगभग 300 मीटर का है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसके आकार और पृथ्वी से निकटता को देखते हुए इसे संभावित खतरनाक की श्रेणी में रखा है। आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान एरीज के वैज्ञानिकों के अनुसार, 2021 एनवाई 1 पृथ्वी के नजदीक से गुजरने वाले 17 नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स में से एक है। यह 33600 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से 22 सितंबर को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा।
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