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Uttarakhand Samvad: बंजर भूमि पर जंगल उगाने वालीं दादी की सम्मान पाकर डबडबाईं आंखें; रक्षामंत्री ने लगाया गले

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: आकाश दुबे Updated Mon, 19 Jun 2023 11:02 PM IST
सार

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी के निकट के छोटे से गांव पसालत की रहने वाली दादी मां प्रभा देवी पर्यावरण प्रहरी की वह मिसाल हैं, जिन्हें अभी तक वह सम्मान नहीं मिल पाया, जिसकी वह हकदार हैं। सादा और संतत्व जीवन जीने वाली प्रभा देवी ने एक बंजर भूमि को हरे-भरे जंगल में तब्दील कर दिया है।

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Uttarakhand Samvad 2023 Defense Minister hugs Prabha Devi Semwal who grows forest on barren land
पर्यावरण प्रहरी प्रभा देवी सेमवाल को गले लगाते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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उम्र के 82 बसंत पार चुकीं प्रभा देवी सेमवाल मंच पर सम्मान लेने पहुंचीं तो उनकी आंखें डबडबा गईं। बहुत कुछ कहना चाहती थीं, लेकिन शब्द जैसे गले में अटक गए। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनकी इन भावनाओं के ज्वार-भाटे को गले लगाकर शांत किया। तालियों की गड़गड़ाहट ने प्रभा के काम और उनके संतत्व को तब तक सम्मान दिया, जब तक वह मंच पर रहीं।

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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी के निकट के छोटे से गांव पसालत की रहने वाली दादी मां प्रभा देवी पर्यावरण प्रहरी की वह मिसाल हैं, जिन्हें अभी तक वह सम्मान नहीं मिल पाया, जिसकी वह हकदार हैं। सादा और संतत्व जीवन जीने वाली प्रभा देवी ने एक बंजर भूमि को हरे-भरे जंगल में तब्दील कर दिया है। उन्हें अपना जन्मदिन या जन्म का साल याद नहीं है, लेकिन वह अपने जंगल के हर पेड़-पौधे को अच्छी तरह पहचानती हैं।

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पिछले 50 सालों से वह जंगलों को सहेजने में जुटी हैं। दशकों की मेहनत के बाद आज उनके पास अपना खुद का जंगल है। प्रभा देवी के जंगल में इमारती लकड़ी से लेकर रीठा, बांझ, बुरांस और दालचीनी के पेड़ हैं। प्रभा देवी के तीन बेटे और तीन बेटियां परिवार के साथ अलग-अलग स्थानों पर रहते हैं। वह मां को अपने साथ ले जाना चाहते हैं, लेकिन प्रभा अपने उन बच्चों (पेड़-पौधों) को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, जिन्हें उन्होंने खुद के बच्चों की तरह पाला है।

अमर उजाला ने अपने संवाद कार्यक्रम में प्रभा देवी के इस काम के लिए उन्हें सम्मानित किया। पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रभा देवी किसी बच्चे की तरह संकुचाई सी बैठी रहीं। जब उन्हें मंच पर सम्मान लेने के लिए आमंत्रित किया गया, वह भावुक हो गईं। बहुत आदर से उन्होंने मंच का प्रणाम किया और अपने बोली-भाषा में तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हॉल में उपस्थित हर अतिथि का इस्तकबाल किया। यह एक बेहद भावुक क्षण था, जिसने हर किसी का दिल जीत लिया।

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