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उत्तराखंड शिक्षक भर्ती: क्योंकि दूसरे राज्यों से आईं बहुएं; इसलिए नहीं मिल पाएगा आरक्षण, पढ़ें पूरा मामला

बिशन सिंह बोरा, अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 25 Nov 2025 05:00 AM IST
सार

महिला अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र संबंधित जिले के जिलाधिकारियों की ओर से जारी किए गए थे। यही वजह थी कि जिला स्तर से प्रकरण की जांच कराई गई।

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Uttarakhand Teacher Recruitment Daughters-in-law have come from other states they will not able get reservatio
- फोटो : freepik.com
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विस्तार
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उत्तराखंड के बाहर से आईं बहुओं को शिक्षक भर्ती में आरक्षण नहीं मिलेगा। मूल रूप से उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्यों की रहने वालीं इन महिलाओं का विवाह उत्तराखंड में हुआ है। इनकी ओर से पति के आरक्षण के आधार पर भर्ती के लिए आवेदन किया गया था। शिक्षा विभाग के मुताबिक जिला स्तर से प्रकरण की जांच के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।

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प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 2906 पदों पर हुई भर्ती में न सिर्फ यूपी से डीएलएड कर कुछ युवा भर्ती हो गए बल्कि मूल रूप से यूपी एवं अन्य राज्यों की रहने वाली कुछ महिलाओं ने भी पति की जाति के आधार पर शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर दिया।
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शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इन महिला अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र संबंधित जिले के जिलाधिकारियों की ओर से जारी किए गए थे। यही वजह थी कि जिला स्तर से प्रकरण की जांच कराई गई। हालांकि जांच में इनके प्रमाणपत्र सही मिले हैं, लेकिन अन्य प्रदेशों की महिलाओं को पति के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसमें अधिकतर मामले हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले के हैं।

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अपर शिक्षा निदेशक कुमाऊं जीएस सोन बताते हैं कि जो महिलाएं सामान्य अभ्यर्थियों की मेरिट में आई उन्हें नियुक्ति दी जा चुकी है। जबकि अन्य के प्रकरण को शासन को यह कहते हुए भेजा जा चुका है कि इन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। अपर शिक्षा निदेशक बताते हैं कि एससी, एसटी और ओबीसी को पिता के आधार पर ही आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। शिक्षा निदेशालय के मुताबिक विभाग को शिक्षक भर्ती के लिए इस तरह के 30 आवेदन मिले थे।

आरक्षण पैतृक आधार पर माना जाता है। यदि कोई अपने पिता के घर से एससी, एसटी या ओबीसी है तो उसे उसी आधार पर आरक्षण का लाभ दिया जाता है।
-डॉ.धनसिंह रावत, शिक्षा मंत्री

शिक्षक भर्ती आरक्षण मामले में कुछ महिला अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी गई, जो इसके खिलाफ कोर्ट चली गई थीं। बताया गया है कि उन्हें कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है।
- कमला बड़वाल, उप निदेशक बेसिक शिक्षा

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