Amar Ujala Junior Chess Festival: मीराबाई चानू ने छात्रों को दिए टिप्स, बोलीं- हार पर कल जीतने की करें तैयारी
Amar Ujala Junior Chess Festival: जूनियर शतरंज प्रतियोगिता में रविवार को पद्मश्री और ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू ने उभरते हुए छात्र खिलाड़ियों को भविष्य में आगे बढ़ने की सलाह दी। प्रतियोगिता में पदक नहीं जीत पाने वाले खिलाड़ियों को हारने पर अपना धैर्य नहीं छोड़ने के लिए कहा है।
विस्तार
Amar Ujala Junior Chess Festival: अमर उजाला नोएडा कार्यालय परिसर में हुई जूनियर शतरंज प्रतियोगिता में रविवार को पद्मश्री और ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू ने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया। भारोत्तोलन खिलाड़ी चानू ने प्रतियोगिता में पदक नहीं जीत पाने वाले खिलाड़ियों को हारने पर अपना धैर्य नहीं छोड़ने की सलाह दी।
मीराबाई चानू बोलीं- जी-तोड़ मेहनत करें
उन्होंने कहा कि आज हारे हैं तो कल फिर उठकर खड़े हों और जीतने की तैयारी में लग जाएं। प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में आईं पद्मश्री विजेता ने बताया कि आगे बढ़ने के लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत की। गरीबी के कारण कई परेशानियां झेलनी पड़ीं, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनकी मेहनत देखकर उनके परिवार ने पूरा साथ दिया। मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने दुनिया में नाम कमाया। इस कामयाबी का श्रेय उन्होंने कोच विजय शर्मा और परिवार को दिया।
मीराबाई चानू बोलीं- जी-तोड़ मेहनत करें
उन्होंने कहा कि आज हारे हैं तो कल फिर उठकर खड़े हों और जीतने की तैयारी में लग जाएं। प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में आईं पद्मश्री विजेता ने बताया कि आगे बढ़ने के लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत की। गरीबी के कारण कई परेशानियां झेलनी पड़ीं, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनकी मेहनत देखकर उनके परिवार ने पूरा साथ दिया। मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने दुनिया में नाम कमाया। इस कामयाबी का श्रेय उन्होंने कोच विजय शर्मा और परिवार को दिया।
ओलंपिक प्रदर्शन पर खुलकर बोलीं मीराबाई चानू
मणिपुर से आने वाली मीराबाई ने बताया कि वर्ष 2015 में रियो ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाने पर उनकी कई जगह आलोचना हुई। उनको कई बार ताने सुनने को मिलते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कुछ दिन की निराशा के बाद उन्होंने अगले ओलंपिक में पदक जीतकर इसका जवाब देने की ठानी। ओलंपिक में जीत हासिल करने के लिए जमकर मेहनत शुरू की। इस प्रशिक्षण के लिए वह सबकुछ भूल गईं। अपनी प्रैक्टिस के लिए ढाई वर्ष तक घर भी नहीं गईं।
चानू ने स्कूली बच्चों का उत्साह बढ़ाया
आखिरकार उन्हें इस मेहनत का फल मिला और वह ओलंपिक में रजत पदक हासिल करने में कामयाब रहीं। चानू ने स्कूली बच्चों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा, जिस तरह के जोश से सभी ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है, उसे कायम रखें। हारने वाले बच्चों के साथ ही जो बच्चे जीत गए हैं वह भी कल से फिर नए जोश के साथ प्रशिक्षण में लग जाएं। लगातार मेहनत और लगन से आगे बढ़ें और एशियाड, ओलंपिक में पदक जीतकर भारत का नाम रोशन करें।
चानू की हर बात पर बजीं तालियां
मीराबाई चानू को जब मंच पर बोलने के लिए कहा गया तो वह हंसते हुए बोलीं कि उन्हें बहुत अधिक भाषण देना नहीं आता है। उन्होंने ग्रैंड मास्टर प्रवीण थिप्से के लिए कहा कि वह शतरंज के बेहद जानकार हैं। वह इसपर बहुत अधिक बोल सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें कितना भी भार उठाने के लिए बोले वह उठा सकती हैं, लेकिन मंच पर बहुत अधिक नहीं बोल सकतीं। उनकी इस बात पर समारोह में बच्चों और अभिभावकों ने जमकर तालियां बजाईं। कार्यक्रम में उपस्थित बालिकाओं में मीरा चानू का खासा आकर्षण दिखा। सवाल पूछने की बारी आई तो तमाम छात्राएं उनसे संवाद के लिए उत्सुक दिखाई दीं।