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सोनिया गांधी को बड़ी राहत: कोर्ट ने FIR दर्ज करने की याचिका की खारिज, नागरिकता से पहले वोटर बनने का था आरोप

पीटीआ, नई दिल्ली Published by: विकास कुमार Updated Thu, 11 Sep 2025 10:51 PM IST
सार

यह याचिका विकास त्रिपाठी नामक शख्स ने दायर की थी, जिसमें उनके भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले मतदाता सूची में नाम शामिल होने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। 

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Court junks plea alleging forgery in inclusion of Sonia Gandhi name in electoral roll
सोनिया गांधी - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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राउज एवेन्यू कोर्ट ने बृहस्पतिवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ दायर एक आपराधिक शिकायत को खारिज कर दिया, जिसमें उन पर भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए जाली दस्तावेज़ बनाने का आरोप लगाया गया था। यह आदेश अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) वैभव चौरसिया ने पारित किया, जिन्होंने शिकायतकर्ता के वकील विकास त्रिपाठी और उनकी सहायता करने वाले वरिष्ठ वकीलों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद कल फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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शिकायत में आरोप लगाया गया था कि गांधी का नाम 1980-81 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल था, जबकि उस समय वह भारतीय नागरिक नहीं थीं। शिकायतकर्ता के अनुसार, मूल रूप से इतालवी नागरिक, गांधी नागरिकता अधिनियम की धारा 5 के तहत 30 अप्रैल, 1983 को ही भारतीय नागरिक बनीं। यह भी आरोप लगाया गया कि उनका नाम 1982 में मतदाता सूची से हटा दिया गया था, लेकिन 1983 में, उनके औपचारिक रूप से भारतीय नागरिक बनने से कुछ समय पहले, फिर से दिखाई दिया। शिकायत में दावा किया गया कि इस क्रम ने चुनाव आयोग को प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर संदेह पैदा किया।
 

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शिकायतकर्ता की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी कि अप्रैल 1983 से पहले गांधी का मतदाता पंजीकरण अनियमित और संभावित रूप से धोखाधड़ी वाला था। उन्होंने कहा कि एक सार्वजनिक प्राधिकरण को गुमराह किया गया था और धोखाधड़ी हुई प्रतीत होती है। शिकायत में राकेश सिंह बनाम सोनिया गांधी मामले में 1985 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया गया था, जिसमें दर्ज किया गया था कि गांधी 30 अप्रैल, 1983 को ही भारतीय नागरिक बनीं। याचिका में एक प्राथमिकी दर्ज करने और कथित अपराधों की पूरी पुलिस जांच की मांग की गई थी। इन दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सोनिया गांधी के खिलाफ शिकायत में किसी भी जांच की आवश्यकता का कोई मामला नहीं बनता। अदालत ने आरोपों को आगे बढ़ाने के लिए अपर्याप्त पाया और दावा किया कि मतदाता पंजीकरण हासिल करने में जालसाजी या धोखाधड़ी की गई थी।

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