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Cyber Crime: जालसाजों के नेटवर्क में 'खाकी' ने लगाई सेंध, लाइव ठगी रोकी; नोएडा पुलिस को पुरस्कार देने की घोषणा

अमर उजाला नेटवर्क, नोएडा Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 06 Nov 2025 06:57 AM IST
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Cyber Crime: Police crack down on fraudsters' network, stop live fraud
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मैं मौत को छूकर टक से वापस आ सकता हूं...नवाजुद्दीन सिद्दकी का यह डायलॉग तो आपको याद ही होगा। नोएडा पुलिस ने कुछ इसी तरह किया है। उसने जालसाजों के नेटवर्क में सेंध लगाते हुए ठगी के गाल में समा चुके सात लोगों के करीब पांच करोड़ रुपये बचाए हैं। ये सभी पांच अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं। यूपी में पहली बार ठगों पर ऐसी कार्रवाई हुई है। डीजीपी ने नोएडा पुलिस को पुरस्कार देने की घोषणा की है। 

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दरअसल, इन पीड़ितों को स्टॉक मार्केट में निवेश पर 50 से 100 फीसदी तक मुनाफे का लालच दिया गया था। ये अब तक ठगों को 12 से 40 लाख रुपये दे भी चुके थे। अब बड़ी (एक करोड़ रुपये से अधिक) रकम निवेश करने की तैयारी में थे लेकिन ऐन वक्त पर नोएडा पुलिस की साइबर सेल ने ठगों की चाल को पकड़ते हुए इन पीड़ितों से संपर्क किया और निवेश से रोका।
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एडीसीपी साइबर शैव्या गोयल ने बताया कि साइबर क्राइम यूनिट ठगी करने वाले गैंग पर नजर रखी हुई है। सक्रियता से इंटेलिजेंस आधारित कार्रवाई करते हुए उन नागरिकों को समय रहते पहचान लिया जो लंबे समय से ऑनलाइन निवेश के साइबर फ्रॉड में फंसे थे। ठगों के प्रभाव में आकर रकम भेज रहे थे। इसके लिए साइबर कमांडो सचिन धामा के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी। 

तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और राजस्थान के हैं पीड़ित
उन्होंने बताया कि टीम ने आई4सी (इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर) और एनपीसीआई (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) के सहयोग से मिले साइबर व वित्तीय इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया तब साइबर अपराधों से जुड़े वित्तीय लेन-देन को देखा। इसमें कुछ ऐसे पीड़ितों का पता चला जो साइबर फ्रॉड में लाइव फंसे थे। तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और राजस्थान से जुड़े कुल सात लोगों की पहचान की गई। ये सभी  पिछले कई महीनों से जाल में फंसे हुए थे। सोशल मीडिया ग्रुप में जोड़कर इन्हें स्टॉक मार्केट व अन्य निवेश की योजनाएं दिखाई जा रही थीं।

यूपी में पहली बार ऐसी कार्रवाई,  डीजीपी ने की नोएडा पुलिस को पुरस्कार देने की घोषणा
पुलिस की टीम गृह मंत्रालय के एजेंसियों की मदद से काम कर रही थी। डाटा विश्लेषण के दौरान संदिग्ध वित्तीय प्रवाह का पता चला। इसके बाद टीम ने सक्रियता बढ़ाई और सोशल मीडिया ग्रुप में जुड़े पीड़ितों से संपर्क किया। अब पुलिस उन खातों की जांच कर रही है जिनमें रकम ट्रांसफर कराई गई है। इन खातों को फ्रीज कराया जा रहा है। ये सभी लोग सोशल मीडिया पर मिले लिंक के आधार पर ही साइबर जालसाजों के चंगुल में फंसे थे।

भाषा बनी बाधा, स्थानीय पुलिस से ली मदद
तमिलनाडु निवासी एक शख्स भी इसी तरह जाल में फंस गया था। नोएडा पुलिस ने उस व्यक्ति को ट्रैक कर लिया लेकिन वह न तो हिंदी समझता था और न ही अंग्रेजी। इस कारण उससे संवाद करना कठिन हो रहा था। ऐसे में नोएडा पुलिस की साइबर टीम ने तमिलनाडु पुलिस के सहयोग से स्थानीय भाषा में संवाद की व्यवस्था की। तब पता चला कि वह पहले ही 40 लाख रुपये का निवेश कर चुका है। एक करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की तैयारी में था।

बैंक कर्मचारी को बचाया
एक बैंक कर्मचारी को साइबर पुलिस टीम ने बड़ी आर्थिक ठगी से बचा लिया। वह 14 लाख रुपये ट्रांसफर कर चुका था। आगे और राशि लगाने की तैयारी में था। इसी दौरान टीम ने संदिग्ध लेन-देन की पहचान कर उससे संपर्क किया और उसे ठगी की सच्चाई से अवगत कराया।

मोटे रिर्टन का दिया था झांसा, लोन लेने की थी तैयारी
बातचीत में पुलिस को पता चला कि कुछ लोग लोन लेने की तैयारी में थे। कुछ लोगों ने लोन ले लिया था। जालसाजों ने इन लोगों को 50 से 100 फीसदी तक रिटर्न का लालच दिया था। इनके एप में बढ़ी हुई गलत रकम दिख रही थी।

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