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Delhi: कागजों में ही हो रहा है वायु प्रदूषण की शिकायतों का निपटारा, निस्तारण में नगर निगम और जल बोर्ड फिसड्डी

नितिन राजपूत, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Mon, 12 May 2025 03:33 AM IST
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सार

प्रदूषण से संबंधित शिकायतों का निपटारा केवल कागजों और फाइलों में ही किया जा रहा है। जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

Delhi : Air pollution complaints are being resolved only on paper
वायु प्रदूषण - फोटो : Freepik.com
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विस्तार
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प्रदूषण को कम करने के लिए जिन एजेंसियों व विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह लापरवाही बरत रहे हैं। प्रदूषण से संबंधित शिकायतों का निपटारा केवल कागजों और फाइलों में ही किया जा रहा है। जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। प्रशासन की ओर से प्रदूषण की रोकथाम को लेकर किए गए दावे अधूरे है।

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इसका खुलासा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के समीर एप पर प्राप्त वायु प्रदूषण से संबंधित शिकायतों के निवारण की स्थिति में हुआ है। इस एप का उपयोग वायु प्रदूषण से संबंधित शिकायतों को दर्ज करने और ट्रैक करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। लोग तस्वीरों के साथ शिकायतें साझा करते हैं और एप के माध्यम से सुझाव दे सकते हैं।
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सीपीसीबी के मुताबिक सभी 13 विभागों से प्राप्त शिकायतों में से लगभग 40 फीसदी शिकायतें सुधार के इंतजार में है। केवल चार विभागों ने ही कुल प्राप्त शिकायतों का 100 फीसदी समाधान किया है। प्रदूषण से जुड़ी शिकायतों के निपटारे में सबसे फिसड्डी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) है।

इसके बाद दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) है, जोकि शिकायतों पर ध्यान ही नहीं दे रही है। यही नहीं जहां सरकार डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दे रही है, वहां भी एजेंसियां प्राप्त शिकायतों के सुधार के मामले में सुस्ती दिखा रही है। सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक शिकायत एमसीडी को प्राप्त हुई हैं। इसमें 5264 शिकायत में से केवल 2658 शिकायतों को ठीक किया गया है। यानी 50 फीसदी शिकायतों को सुलझाया ही नहीं गया है।

जिम्मेदार विभाग शिकायतों के मामले में बेखबर
वहीं, डीजेबी को 183 शिकायतें मिलीं जिसमें से 121 शिकायतों का निपटारा हुआ, जोकि 66 फीसदी ही है। बाकी 34 प्रतिशत शिकायतों पर अभी तक एजेंसी ने ध्यान ही नहीं दिया है। यह सभी शिकायतें 15 अक्तूबर, 2021 से लेकर 7 मई 2024 तक समीर एप में प्राप्त हुईं हैं। इससे बाहरी के साथ स्थानीय प्रदूषक दिल्ली को गैस चैंबर बना रहे हैं।

आबोहवा को प्रदूषित होने से बचाएंगे करीब पौने चार लाख पेड़

दिल्ली की आबोहवा को प्रदूषित होने से बचाने में करीब पौने चार लाख पेड़-पौधे मददगार बनेंगे। शैक्षणिक सत्र 2025-26 में सरकारी स्कूल, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल और निजी स्कूलों में विशेष पौधरोपण अभियान चलेगा। इसके तहत एक लाख पेड़, दो लाख छोटे वृक्ष और 70 हजार बैंबू स्कूल परिसर में लगाएं जाएंगे। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय की विज्ञान एवं टीवी शाखा ने सर्कुलर जारी किया है।

विशेष पौधरोपण अभियान को लेकर कार्ययोजना जारी की गई है। सर्कुलर के अनुसार प्रदूषण कम करने के लिए स्कूल परिसर में हरित क्षेत्र बढ़ाया जाएगा। वन महोत्सव के तहत एक जुलाई से 27 जुलाई तक विशेष पौधरोपण अभियान चलेगा। सभी स्कूलों को 50 फीसदी लक्ष्य 27 जुलाई तक यानी हरियाली तीज तक प्राप्त करना होगा। स्कूल वन विभाग की ओर से संचालित नर्सरी से निशुल्क पौधे प्राप्त कर सकेंगे।

पौधे लगाने के बाद नियमित करनी होगी निगरानी
इको क्लब के प्रभारी और स्टाफ सदस्य छात्रों के साथ मिलकर पौधे लगाएंगे। साथ ही नियमित तौर पर निगरानी करनी होगी। मौजूदा सत्र में सभी स्कूलों को कम से कम 100 पेड़, 180 छोटे वृक्ष और 70 बैंबू लगाने होंगे। यह सब गतिविधियां एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत होंगी। इसको मेरी लाइफ पोर्टल पर भी अपलोड करना होगा। स्कूलों को हरित बनाने के लिए छात्रों के बीच नुक्कड़ नाटक, चित्रकला, पोस्टर बनाने, निबंध और नारा लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी।

हर माह रिपोर्ट होगी तैयार
सभी जिलों के उप शिक्षा निदेशकों को हरियाली तीज के अवसर तक अधिकतम पौधरोपण अभियान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही सर्कुलर में सभी स्कूलों के प्रमुखों हर माह के वृक्षारोपण अभियान की रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इसके अलावा पेड़ों के बचने की दर को लेकर भी अलग से रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

अलग-अलग किस्म के लगेंगे पेड़
स्कूलों में अलग-अलग 42 किस्म के पौधे लगाए जाएंगे। अमलतास, पिलखन, खजूर, जामुन, इमली, बेर, देसी बबूल, आंवला , खैर, कुसुम, पीलू, ढाक सहित कई पौधे शामिल हैं।
 
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