Delhi Blast: 'सह-साजिशकर्ता' जसिर बिलाल को 10 दिन की NIA की हिरासत में भेजा, बम धमाके का है आरोपी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने लाल किला विस्फोट मामले में कथित सक्रिय सह-षड्यंत्रकारी जसिर बिलाल वानी को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया है। आरोपी को कोर्ट ने एनआईए की हिरासत में भेज दिया है।
विस्तार
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि अनंतनाग के काजीगुंड के रहने वाले वानी को सोमवार को श्रीनगर में ड्रोन को मॉडिफाई करके और बम ब्लास्ट से पहले रॉकेट बनाने की कोशिश करके आतंकी हमले करने के लिए टेक्निकल सपोर्ट देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वानी को प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज अंजू बजाज चांदना की कोर्ट में पेश किया गया ।
एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से जसिर बिलाल वानी उर्फ दानिश को गिरफ्तार किया था, जिसे इस आतंकी साजिश में शामिल एक महत्वपूर्ण सहयोगी माना जा रहा है। यह गिरफ्तारी मामले में पहले से पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ और तकनीकी जांच से मिली सूचनाओं के आधार पर की गई है। एनआईए की टीम पिछले कई दिनों से घाटी में छापेमारी और पूछताछ कर रही थी।
रविवार को दिल्ली से गिरफ्तार हुआ था आमिर रशीद
गौरतलब है कि इससे पहले एजेंसी ने हमला करने वाले आत्मघाती हमलावर के सहयोगी आमिर रशीद अली को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। जिस कार का इस्तेमाल विस्फोट में किया गया, वह उसके नाम पर पंजीकृत थी, जिसे लेकर एनआईए लगातार उसके नेटवर्क और अन्य सहयोगियों की तलाश में थी।
मुख्य आरोपी आमिर राशिद अली को 10 दिन की एनआईए रिमांड
लाल किले के बाहर 10 नवंबर को हुए कार बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को आरोपी आमिर राशिद अली को पेश किया था। एनआईए ने दावा किया कि आरोपी ने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर नबी को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराया और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की थी। इस विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई थी।
दक्षिण कश्मीर के पाम्पोर निवासी आमिर राशिद अली को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पटियाला हाउस कोर्ट परिसर स्थित प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना की अदालत में पेश किया गया। मीडिया को कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, जिससे कार्यवाही लगभग इन-कैमरा हो गई। अदालत ने आरोपी को 10 दिन की रिमांड पर भेजा है।
एनआईए की रिमांड अर्जी में कहा गया कि आरोपी की हिरासत में पूछताछ पूरी साजिश को उजागर करने के लिए जरूरी है। रिमांड पेपर के अनुसार, विस्फोट में इस्तेमाल कार आमिर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। उसने उमर नबी को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया और हमले से पहले उसके लिए दिल्ली में सुरक्षित ठिकाना भी मुहैया कराया।
एजेंसी ने अदालत को बताया कि विस्फोट की तीव्रता और सटीकता जानबूझकर इस तरह डिजाइन की गई थी कि जनता में भय पैदा हो और घबराहट फैले। यह कृत्य देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने तथा धमकी देने के इरादे से किया गया था। एनआईए ने यह भी बताया कि जांच के लिए आमिर को कश्मीर ले जाया जाएगा।
कोर्ट परिसर में सैन्य बलों का सख्त पहरा
कोर्ट परिसर के बाहर दिल्ली पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की भारी तैनाती रही। दंगा-नियंत्रण उपकरणों से लैस जवानों को भी तैनात रखा गया था। पेशी होने से पहले ही कोर्टरूम से मीडियाकर्मियों को भी बाहर कर दिया गया था।
इसके अलावा कोर्टरूम से जुड़ी इमारत में भी प्रवेश से रोका जा रहा था। जांच से पता चला है कि विस्फोट से पहले आमिर ही आखिरी व्यक्ति था जिससे आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर नबी के संपर्क में था। कार खरीदने के लिए आमिर विशेष रूप से दिल्ली आया था और बाद में वही गाड़ी व्हीकल बोर्न इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (वीबीआईईडी) के रूप में इस्तेमाल हुई।