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Delhi Election 2025: सावधान! सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रहेगी पुलिस की नजर, हो सकती है ये बड़ी कार्रवाई

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Thu, 16 Jan 2025 07:51 AM IST
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सार

संयुक्त पुलिस आयुक्त (विशेष शाखा) विक्रमजीत सिंह को सोशल मीडिया निगरानी और साइबर अपराधों के लिए नोडल अधिकारी नामित किया गया है। विक्रमजीत विभिन्न दलों की शिकायतों को संभालेंगे, जिनकी गहन जांच की जाएगी। जरूरत पड़ने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। 

Delhi Election 2025 Police will keep an eye on misuse of social media
पुलिस फाइल फोटो - फोटो : istock
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विस्तार
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दिल्ली पुलिस ने विधानसभा चुनावों के दौरान डीपफेक वीडियो व भ्रामक संदेशों के प्रसार सहित संभावित दुरुपयोग के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और एसएमएस की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। 

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पुलिस प्रवक्ता कार्यालय के अनुसार अधिकारी विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से जारी की गई सामग्री पर कड़ी निगरानी रखेंगे और एसएमएस या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से साझा किए गए आपत्तिजनक संदेशों से जुड़े चुनाव संबंधी मामलों की रिपोर्ट की देखरेख करेंगे। 
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संयुक्त पुलिस आयुक्त (विशेष शाखा) विक्रमजीत सिंह को सोशल मीडिया निगरानी और साइबर अपराधों के लिए नोडल अधिकारी नामित किया गया है। विक्रमजीत विभिन्न दलों की शिकायतों को संभालेंगे, जिनकी गहन जांच की जाएगी। जरूरत पड़ने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। 

टीम चुनाव से संबंधित वायरल हो सकने वाली सामग्री को ट्रैक करने के लिए वास्तविक समय में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की निगरानी करेगी। पुलिस के मुताबिक, ऐसे संदेश और डीपफेक वीडियो भारत के चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए चुनाव कानूनों और निर्देशों का उल्लंघन करके चुनावी प्रक्रिया को बाधित करते हैं। 

हाल ही में पुलिस ने आप के खिलाफ प्रधानमंत्री व गृहमंत्री की एआई-जनरेटेड तस्वीरें और वीडियो पार्टी के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करने के आरोप में पांच एफआईआर दर्ज की हैं। शिकायतें 10 जनवरी और 13 जनवरी को पोस्ट किए गए वीडियो से जुड़ी थीं, जिनमें से एक में 90 के दशक की बॉलीवुड फिल्म के दृश्य में भाजपा नेताओं को चित्रित करने के लिए एआई-डीपफेक तकनीक का उपयोग किया गया था। 

राजधानी के विभिन्न पुलिस थानों में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 175 (चुनाव के संबंध में गलत बयान), धारा 336(2) (जालसाजी), धारा 336(4) (कोई भी गलत दस्तावेज या गलत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड) और धारा 353 (सार्वजनिक अशांति पैदा करने वाली गलत सूचना) के तहत एफआईआर दर्ज की गईं। 

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