दिल्ली दंगों में घनी आबादी और तंग गलियां पुलिस के लिए बनीं चुनौती
दिल्ली हिंसा को लेकर गृहमंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के हिंसाग्रस्त इलाकों की धनी आबादी और तंग सकरी गलियां पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनीं। इन पतली पतली गलियों में पुलिस के वाहन ले जाना मुश्किल था जिस कारण वहां सुरक्षा बलों को पहुंचने में समय लगा।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया, दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच की दो एसआईटी पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी की देखरेख में मामले की जांच कर रही हैं। दोषियों की गिरफ्तारी और सुबूत इकट्ठा करने में पुलिस की 40 टीमें जुटी हुई हैं। रेड्डी ने एक लिखित जवाब में बताया, उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाके देश के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में शुमार हैं।
दिल्ली पुलिस ने हिंसा से निपटने के लिए पूरी तरह पेशेवर रवैया अपनाया लेकिन इतनी घनी आबादी वाली पतली पतली गलियों में पहुंचना इनके लिए चुनौती था। इस दौरान 100 पुलिस वालों को चोट पहुंची। इसके बावजूद पुलिस ने सुनिश्चित किया कि हिंसा को रोका जाए और शहर के अन्य हिस्सों में फैलने नहीं दिया जाए।
763 मामले दर्ज, 3304 लोग गिरफ्तार
रेड्डी ने एक अन्य सवाल पर बताया कि दिल्ली पुलिस ने 12 मार्च तक 763 मामले दर्ज किए हैं जिनमें 51 मामले हथियार कानून के तहत हैं। 3304 लोगों की गिरफ्तारी हुई। पुलिस के मुताबिक हिंसा में 545 लोग घायल हुए और 52 लोगों की मौत हुई। उन्होंने कहा, दिल्ली ने 9 मार्च को हाईकोर्ट से हिंसा के दौरान निजी और सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए आयोग गठित करने की मांग की है।
सोशल मीडिया से हटेंगे 110 भड़काऊ वीडियो
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़काने में सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल हुआ था। अज्ञात लोगों ने फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर और व्हाट्स ऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भड़काऊ पोस्ट और वीडियो डालकर हिंसा की आग में घी डाला था।
जांच के दौरान पुलिस को ये वीडियो मिल गए हैं। साइबर सेल ने ऐसी 110 भड़काऊ पोस्ट को हटाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म को पत्र लिखा है। पुलिस के अनुरोध पर ऐसी 74 पोस्ट को हटा भी लिया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही बाकी पोस्ट को भी हटा लिया जाएगा।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि हिंसा मामले की जांच क्राइम ब्रांच की एसआईटी कर रही है। हिंसा फैलाने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल के कारण ही एसआईटी ने साइबर क्राइम यूनिट को भी जांच में शामिल किया। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर चल रहे ज्यादातर वीडियो झूठे थे। इनमें वीडियो या तस्वीरों को एडिट कर डाला गया था।
जांच के दौरान साइबर सेल में 27 मामले दर्ज कर छानबीन शुरू की गई तो पता चला कि ऐसी ज्यादातर पोस्ट अज्ञात आईडी से डाली गईं। पुलिस अब इन लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, हिंसा मामले में अब तक 2800 लोगों की पहचान की गई है। इनमें 350 से अधिक दिल्ली से बाहर के हैं।