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डॉ. रजनी मोदी ने बताए प्रि-मेनोपॉज और मेनोपॉज के लक्षण, जानें इससे कैसे निपटें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Mohit Mudgal Updated Fri, 20 Mar 2020 06:00 PM IST
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Dr Rajni Modi told the symptoms of pre menopause and menopause in bhumija webinar
डॉ. रजनी मोदी - फोटो : अमर उजाला
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भूमिजा और लिविंग विदाउट मेडिसिन की ओर से महिला स्वास्थ्य से जुड़े अहम मुद्दों पर वैबिनार हुआ। 10 मार्च से शुरू हुआ यह आयोजन 15 मार्च तक चला, जिसमें मोटापा, गठिया (ऑर्थराइटिस), ऑस्टोपोरोसिस, प्रि-मेनोपॉज और मेनोपॉज, हाइपोथाइराइड के अलावा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के बारे में चर्चा हुई। 

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आयुर्वेद, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा (नैचुरोपैथी) के क्षेत्र की अनुभवी महिला चिकित्सकों ने रोज रात आठ बजे इन स्वास्थ्य मुद्दों पर लाइव चर्चा की। आने वाले दिनों में हैल्थ फूड पर काम करने वाली महिला उद्यमी भी अपने अनुभव साझा करेंगी। 
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वैबिनार श्रृंखला के तहत डॉ. रजनी मोदी ने प्रि-मेनोपॉज और मेनोपॉज के लक्षण के साथ इसे ठीक करने के तरीके भी बताए। बता दें कि रजनी मोदी मुंबई में पोषण विशेषज्ञ हैं।  
 
उनके अनुसार, मेनोपॉज एक बीमारी नहीं है यह एक महिला के जीवन में एक प्राकृतिक चरण है जहां प्रजनन हार्मोन गिरावट पर हैं। मेनोपॉज सामान्य रूप से 45 और 55 वर्ष की आयु के बीच होती है। प्रि-मेनोपॉज चरण तब माना जाता है जब अवधि अनियमित हो जाती है। यह केवल तब होता है जब लगातार 12 महीनों तक मासिक धर्म सुचारू रूप से नहीं होता है। 

मेनोपॉज के लक्षण क्या हैं

  • भावनात्मक गड़बड़ी जैसे जलन और संवेदनशीलता जो कभी-कभी अवसाद में बढ़ सकती है। इस समय में हार्मोन पर ऐसे मिजाज को दोष देना सबसे सहीं।
  • जलन होना और अधिक पसीना आना
  • वजन बढ़ना

लक्षणों से कैसे निपटें

  • मेनोपॉज से निपटने के लिए पहले महिलाओं को यह स्वीकार करना होगा कि यह स्थिति उनके लिए नहीं बल्कि परिवार के सदस्यों के लिए भी है। परिवर्तनों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। मेनोपॉज अंडाशय के लिए एक ठहराव है और महिलाओं के वह समय है जब उन्हें जीवन में नई रुचि की और बढ़ना चाहिए।
  • इस समय में मेटाबोलिक दर में गिरावट आती है और इसलिए वजन बढ़ता है, इसलिए वजन कम करने के लिए भोजन को कम करना या छोड़ देना कोई समाधान नहीं है। इसकी जगह आपको अपनी शारीरिक गतिविधि पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इस समय में रोजाना कम से कम 30 मिनट तक चलना जरूरी है।
  • इस समय में रेशेदार आहार लेना महत्वपूर्ण है क्योंकि कब्ज भी मेनोपॉज का लक्षण है।
  • इस समय में तनाव होना भी आम लक्षण हैं और तनाव से चीनी की लालसा होती है और इससे वजन बढ़ता है। इस समय आपको खाने में सफेद चीनी, आटा, रिफाइंड तेल जैसे पदार्थ छोड़ना महत्वपूर्ण है। आप इस समय में अंजीर और खजूर जैसे ड्राई फ्रुट अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं। इसी के साथ शाम 5:00 बजे के बाद फल और मिठाइयां खाना छोड़ें दें। 
  • आम तौर पर मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण भी देखे जाते हैं। इस अवधि के दौरान यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैल्शियम और फास्फोरस में गिरावट शुरू हो जाती है और यह मासपेशियों के घनत्व को प्रभावित करता है।
  • ऐसे में संतरे और रागी जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जो कैल्शियम और फास्फोरस में भरपूर होते हैं।
  • फाइटोएस्ट्रोजेनिक खाद्य पदार्थों का सेवन भी मेनोपॉज के समय लाभदायी है। जिसमें सोयाबीन, तिल और फ्लेक्स सीड शामिल हैं।
  • जब भावनाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तो कुछ डॉक्टर इस समस्या के लिए कृत्रिम हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की सलाह देते हैं। इस चिकित्सा से ज्यादा बेहतर है कि आप आत्म जागरूकता, आत्म स्वीकृति द्वारा मेनोपॉज से लड़े और एंटीऑक्सिडेंट का सेवन करें।
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