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Faridabad News: बल्लभगढ़ और ग्रेटर फरीदाबाद से दूर है वन स्टॉप सेंटर
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नहीं पहुंच पाती हैं यौन शोषण, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं
संवाद न्यूज एजेंसी
बल्लभगढ़। पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिए बीके अस्पताल में वन स्टॉप सेंटर बनाया गया है। जिसे सखी सेंटर भी कहा जाता है। यहां यौन शोषण, घरेलू हिंसा, तस्करी, सम्मान संबंधी अपराधों, एसिड अटैक, बाल यौन शोषण, बाल विवाह व अन्य अपराधों से पीड़ित महिलाएं आ सकती है। लेकिन इस सेंटर का फायदा बल्लभगढ़ और ग्रेटर फरीदाबाद में रहने वाली महिलाएं व बच्चे नहीं उठा पा रहे हैं। क्योंकि यह सेंटर उनके घरों से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है।
इस सेंटर पर महिलाओं व बच्चों की काउंसलिंग की जाती है। जब तक महिलाओं की समस्या का निराकरण नहीं हो जाता वह यहां रह सकती हैं। वन स्टॉप सेंटर की संचालिका मीनू ने बताया कि उनके पास हर महीने 200 से अधिक केस आते हैं। जिनकी समस्या का समाधान वह काउंसलिंग के जरिये करती हैं।
जिले में हैं 100 से अधिक गांव
स्मार्ट सिटी में करीब 100 से अधिक गांव हैं। जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं रहती हैं। उन गांव में प्रताड़ित महिलाओं को अगर सहायता लेनी होती है, वन स्टॉप सेंटर काफी दूरी पर बना हुआ है। जिस वजह से वे महिलाएं वन स्टॉप सेंटर का लाभ नहीं उठा पा रही हैं।
घर जैसा माहौल दिया जाता है
सेंटर में महिलाओं को घर जैसा माहौल दिया जाता है। पीड़ित महिलाएं बिना किसी डर झिझक से अपना पक्ष रख सकती हैं। इस केंद्र में रहने वाली महिलाओं की काउंसलिंग के साथ-साथ कानूनी सहायता, आपातकालीन सहायता, स्वास्थ्य सेवा, पुलिस सहायता, मनोवैज्ञानिक परामर्श व पांच दिनों के लिए आश्रय जैसी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराई जाती है।
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संवाद न्यूज एजेंसी
बल्लभगढ़। पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिए बीके अस्पताल में वन स्टॉप सेंटर बनाया गया है। जिसे सखी सेंटर भी कहा जाता है। यहां यौन शोषण, घरेलू हिंसा, तस्करी, सम्मान संबंधी अपराधों, एसिड अटैक, बाल यौन शोषण, बाल विवाह व अन्य अपराधों से पीड़ित महिलाएं आ सकती है। लेकिन इस सेंटर का फायदा बल्लभगढ़ और ग्रेटर फरीदाबाद में रहने वाली महिलाएं व बच्चे नहीं उठा पा रहे हैं। क्योंकि यह सेंटर उनके घरों से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है।
इस सेंटर पर महिलाओं व बच्चों की काउंसलिंग की जाती है। जब तक महिलाओं की समस्या का निराकरण नहीं हो जाता वह यहां रह सकती हैं। वन स्टॉप सेंटर की संचालिका मीनू ने बताया कि उनके पास हर महीने 200 से अधिक केस आते हैं। जिनकी समस्या का समाधान वह काउंसलिंग के जरिये करती हैं।
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जिले में हैं 100 से अधिक गांव
स्मार्ट सिटी में करीब 100 से अधिक गांव हैं। जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं रहती हैं। उन गांव में प्रताड़ित महिलाओं को अगर सहायता लेनी होती है, वन स्टॉप सेंटर काफी दूरी पर बना हुआ है। जिस वजह से वे महिलाएं वन स्टॉप सेंटर का लाभ नहीं उठा पा रही हैं।
घर जैसा माहौल दिया जाता है
सेंटर में महिलाओं को घर जैसा माहौल दिया जाता है। पीड़ित महिलाएं बिना किसी डर झिझक से अपना पक्ष रख सकती हैं। इस केंद्र में रहने वाली महिलाओं की काउंसलिंग के साथ-साथ कानूनी सहायता, आपातकालीन सहायता, स्वास्थ्य सेवा, पुलिस सहायता, मनोवैज्ञानिक परामर्श व पांच दिनों के लिए आश्रय जैसी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराई जाती है।