खुशखबर: वर्षों से ठप 18 भवन निर्माण परियोजनाएं होंगी पूरी, 10,500 खरीदारों को मिलेगा घर, जानें पूरा मामला
यूपी रेरा की धारा-8 के तहत ऐसी परियोजनाओं के पुनरुद्धार (रिहैबिलिटेशन) की व्यवस्था है। इसमें खरीदारों के समूह (अलॉटीज एसोसिएशन) के खुद आगे आने पर रेरा परियोजनाओं को पूरा कराने का अधिकार देता है।
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वर्षों से ठप पड़ी परियोजनाओं के चलते घर पाने की उम्मीद छोड़ चुके खरीदारों को जल्द ही उनके सपनों का आशियाना मिलेगा। उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) की धारा-8 व 15 के जरिये ऐसी 18 परियोजनाओं का निर्माण फिर से शुरू करने जा रहा है, जो वर्षों से ठप पड़ी हैं। इनमें करीब 10,500 खरीदार फंसे हुए हैं। ये परियोजनाएं गौतमबुद्धगर, लखनऊ व गाजियाबाद में स्थित हैं।
यूपी रेरा के सचिव राजेश कुमार त्यागी ने बताया कि पैसों के अभाव, प्रवर्तकों (प्रमोटर्स), निदेशकों की ढिलाई व अन्य वजहों से ठप पड़ी परियोजनाओं में से कई ऐसी हैं, जिनके खरीदार खुद आगे आकर परियोजनाओं को पूरा कराना चाहते हैं। यूपी रेरा की धारा-8 के तहत ऐसी परियोजनाओं के पुनरुद्धार (रिहैबिलिटेशन) की व्यवस्था है। इसमें खरीदारों के समूह (अलॉटीज एसोसिएशन) के खुद आगे आने पर रेरा परियोजनाओं को पूरा कराने का अधिकार देता है। हालांकि, इसके लिए संगठन को वित्तीय व्यवस्था, निर्माण कार्य की योजना, समेत अन्य बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी देनी होती है। वैसे तो इसमें मूल प्रवर्तक ही शामिल होते हैं लेकिन खरीदारों का समूह चाहे तो अन्य निर्माता को भी लेकर आ सकते हैं। रेरा इसकी जानकारी राज्य सरकार को भी देता है।
धारा-8 व 15 के जरिए बड़ी संख्या में आवंटियों को घर मिलने जा रहे हैं। वर्ष 2017 से अब तक 47,671 शिकायतें यूपी रेरा को मिली हैं, जो पूरे देश की 38 फीसदी हैं। इसमें से 42,600 शिकायतों का निपटारा हो चुका है। -राजेश कुमार त्यागी, सचिव यूपी रेरा
- सेक्शन-8 के जरिये प्रदेश में 14 परियोजनाओं को पूरा किया जाएगा। इनका निर्माण पूरा होने पर करीब 7000 खरीदारों को घर मिलेगा।
- वहीं, धारा-15 के जरिये चार परियोजनाओं को पूरा कराया जाएगा। इनके पूरा होने पर 3500 खरीदारों को घर का कब्जा मिलेगा।
- यूपी रेरा ने 29 जुलाई को परियोजना का निर्माण शुरू करने के लिए निर्देशित किया गया था।
- यूपी रेरा की धारा-8 और 15 के तहत खरीदारों की सहमति से पूरा होगा निर्माण
जेपी की परियोजना के चार टावर का हुआ निर्माण
जेपी ग्रींस कैलिप्सो कोर्ट-2, ऐसी ही परियोजना है जिसके 4 टावरों का सेक्शन-8 के जरिये निर्माण पूरा हो चुका है। परियोजना के टावर 7,8,11 व 12 के 304 खरीदारों को कब्जा (पजेशन) मिल गया है। सेक्शन-8 में एक और तरीका है, जिसमें यदि डेवलपर न भी आए तो अलॉटीज एसोसिएशन खुद ही इसे पूरा कर सकते हैं।
ऐसे पूरी होंगी परियोजनाएं
सेक्शन-8 के तहत
गौतमबुद्धनगर : एलिगेंट स्प्लेंडर, जेपी कैलिप्सो कोर्ट, जेपी नाइट कोर्ट, नोविना ग्रींस, ला-पैलेसिया, ला-गैलेक्सिया, संपदा लिविया व अथकान कासा ग्रांड शामिल हैं।
गाजियाबाद : एपल 7, ला कासा-अंसल एक्वापोलिस, स्प्रिंग व्यू हाइट्स, वसुंधरा ग्रांड, यूटोपिया एस्टेट शामिल है।
लखनऊ : प्लूमेरिया होम्स का निर्माण सेक्शन-8 के जरिए पूरा होगा।
सेक्शन-15 के तहत
गौतमबुद्धनगर की बिज लाइफ व ओह माइ गॉड परियोजना को क्रमश: एचएसएल सॉफ्टवेयर प्रा. लि. को स्थानांतरित किया गया है। वहीं, लखनऊ की ब्लिस डिलाइट परियोजना को आरआर सिविलटेक को स्थानांतरित किया गया है। वहीं, सेक्शन-15 के जरिए ही लखनऊ की कियारा रेसीडेंसी का निर्माण पूरा हो चुका है।
यह कहता है सेक्शन-15
सेक्शन-15 में परियोजना तीसरे पक्ष के द्वारा पूरी की जाती है। इसमें पैसे के अभाव में मूल प्रमोटर के द्वारा प्रोजेक्ट को पूरा न कर पाने की स्थिति में भूमिहीन प्रमोटर के द्वारा परियोजना को पूरा कराया जाता है। शर्त यह है कि दो तिहाई खरीदार इस बात पर सहमत हों कि तीसरी पार्टी परियोजना को पूरा करे। रेरा इस पर सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला करता है।