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क्रिकेट मैदानों पर हरियाली का संकट: 18 स्टेडियमों ने नहीं दी जल खपत की जानकारी, NGT कर सकता है कड़ी कार्रवाई

नितिन राजपूत, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 17 Oct 2025 03:31 AM IST
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सार

सीजीडब्ल्यूए की रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम, कानपुर के ग्रीनपार्क समेत 18 मैदानों की रिपोर्ट तलब की है।

Greenery crisis on cricket grounds: 18 stadiums failed to provide water consumption information
एनजीटी - फोटो : संवाद
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विस्तार
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देशभर के सभी क्रिकेट मैदानों में पानी की मासिक और वार्षिक खपत की जानकारी केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) को उपलब्ध करानी होती है जो 18 स्टेडियमों ने नहीं कराई है। सीजीडब्ल्यूए की इस रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम, कानपुर के ग्रीनपार्क समेत 18 मैदानों की रिपोर्ट तलब की है। इसके लिए संबंधित प्रबंधकों को 4 हफ्ते का वक्त दिया गया है। अगली सुनवाई 16 जनवरी 2026 को होगी। तय समय में जवाब उपलब्ध नहीं कराने पर एनजीटी कड़ी कार्रवाई कर सकता है। ऐसे में मैदानों की हरियाली भी प्रभावित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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सीजीडब्ल्यूए ने एनजीटी को जो रिपोर्ट सौंपी है उसके तहत तमिलनाडु, पंजाब, विदर्भ, बंगाल और मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से संचालित क्रिकेट मैदानों की रिपोर्ट मिल गई है। सीजीडब्ल्यूए ने एनजीटी से अनुरोध किया है कि जो क्रिकेट संघ अब तक जवाब नहीं दे सके हैं या जिन्होंने उत्तर नहीं भेजे हैं, उनके खिलाफ उचित निर्देश जारी किए जाएं।
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हरियाणा राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के वकील ने बताया कि उन्होंने अपना जवाब सीजीडब्ल्यूए के वकील को ईमेल के जरिये भेज दिया है। हालांकि, बाकी क्रिकेट मैदानों का प्रबंधन संभालने वाली संस्था की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। यह मामला 15 अप्रैल 2021 को दिए एनजीटी के आदेश के पालन से जुड़ा है, जिसमें मैदानों के रखरखाव के लिए भूजल के उपयोग पर रोक लगाई गई थी। एसटीपी से उपचारित जल के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए यह बात कही गई थी।

अप्रैल, 2021 में एनजीटी ने क्रिकेट मैदानों के लिए भूजल के बढ़ते उपयोग को लेकर आदेश जारी किया था, जिसमें पानी बचाने के लिए हर संभव उपाय किए जाने के लिए कहा गया था। तब तत्कालीन एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और पूर्व विशेषज्ञ सदस्य डॉ. नागिन नंदा की पीठ ने अपने इस आदेश में कहा था कि पीने के पानी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए।

क्रिकेट संघों द्वारा मैदान की सिंचाई के लिए पानी का उपयोग
पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन

  • मासिक उपयोग: 6000 केएलएम (लगभग)
  • वार्षिक उपयोग: 72000केएलवाई
  • पानी का स्रोत: पूरा ताजा पानी, एसटीपी का उपयोग नहीं
  • वर्षा जल संचयन: 2 स्थापित और कार्यरत

विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन

  • मासिक उपयोग: 492 केएलएम (लगभग)
  • वार्षिक उपयोग: 5,904 केएलवाई
  • पानी का स्रोत: पूरा मीठा पानी, एसटीपी का उपयोग नहीं
  • वर्षा जल संचयन: 2018 में इंस्टॉल किया गया और काम कर रहा है

बंगाल का क्रिकेट एसोसिएशन

  • मासिक उपयोग: 1250 केएलएम
  • वार्षिक उपयोग: 15000 केएलवाई
  • पानी का स्रोत: पूरा ताजा पानी, एसटीपी का उपयोग नहीं
  • वर्षा जल संचयन: सीएबी ईडन गार्डन्स में एसटीपी उपचारित जल का उपयोग सुनिश्चित करने व आरडब्ल्यूएचएस और जल भंडारण की स्थापना के लिए कदम उठा रहा

मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन

  • मासिक उपयोग: 4500 केएलएम
  • वार्षिक उपयोग: 54000 केएलवाई
  • पानी का स्रोत: पूरा एसटीपी उपचारित पानी
  • वर्षा जल संचयन: 2 रिंग वेल्स का निर्माण आरडब्ल्यूएचएस पिट्स के रूप में

तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन

  • मासिक उपयोग: 1794 केएलएम
  • वार्षिक उपयोग: 21528 केएलवाई
  • पानी का स्रोत: पूरा एसटीपी उपचारित पानी
  • वर्षा जल संचयन: मजबूत आरडब्ल्यूएचएस स्थापित


(स्त्रोत : सीजीडब्ल्यूए की रिपोर्ट के अनुसार)

मैदान की सिंचाई के लिए मीठा पानी के उपयोग की मांगी थी जानकारी
एनजीटी ने 19 मार्च, 2025 को दिए अपने आदेश में सभी क्रिकेट स्टेडियमों से यह जानकारी मांगी थी कि वे मैदान की सिंचाई के लिए कितनी मात्रा में एसटीपी उपचारित पानी और मीठा पानी का उपयोग कर रहे हैं।

आदेश में कहा गया था कि हर स्टेडियम को मासिक और वार्षिक आधार पर पानी की खपत, मीठे और उपचारित पानी के अनुपात और उसके स्रोत (जैसे- भूजल, नगर निगम की आपूर्ति आदि) की रिपोर्ट देनी होगी। साथ ही बताना था कि क्या वे पानी की कमी के बावजूद मीठे पानी का उपयोग जारी रखना चाहते हैं और उनके स्टेडियमों में वर्षा जल संचयन प्रणाली (आरडब्ल्यूएचएस) लगी है या नहीं।

 

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