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दिल्ली में बेलगाम भूजल दोहन: सरकार ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट; विशेषज्ञ बोले- एनसीआर में कड़ी नीति की दरकार
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 19 Sep 2025 06:19 AM IST
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एनजीटी
- फोटो : संवाद
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दिल्ली में भूजल के अवैध दोहन पर लगाम कसने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी में बोरवेल और टैंकरों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यह रिपोर्ट एनजीटी के 28 मई के आदेश के अनुपालन में पेश की गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली के साथ जब तक संपूर्ण एनसीआर में भूजल दोहन और संचयन पर कठोर नियम नहीं बनाए जाएंगे तब तक इस संकट से पूरी तरह निजात नहीं मिलेगी। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के सभी राजस्व जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी अवैध बोरवेल की शिकायत मिलते ही तत्काल कार्रवाई हो। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया है कि शिकायत मिलने के एक महीने के भीतर ऐसे बोरवेल की पहचान कर उसे सील करना अनिवार्य होगा। यदि कोई अधिकारी लापरवाही बरतता है तो उसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की जाएगी। जल बोर्ड ने यह भी कहा है कि अब दिल्ली में केवल जीपीएस-युक्त टैंकरों से ही पानी की आपूर्ति होगी। इसके लिए 12 सितंबर को राजस्व विभाग ने आदेश जारी किए हैं, जिसके तहत सभी टैंकरों का पंजीकरण दिल्ली जल बोर्ड या नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) में अनिवार्य होगा।
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भूजल घटने के मुख्य कारण : केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में घरेलू और औद्योगिक दोनों तरह की जरूरतों के लिए भूजल का दोहन उसकी प्राकृतिक पुनर्भरण क्षमता से कहीं अधिक है। आईआईटी-दिल्ली के जल संसाधन विशेषज्ञ प्रो. मनोज मिश्रा बताते हैं कि दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरी क्षेत्रों में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कागज पर है। यही कारण है कि हर साल होने वाली 600-700 मिमी बारिश भी धरती में नहीं उतर पाती। पर्यावरणविद् सुनीता नारायण (सीएसई) कहती हैं, कंक्रीट के जंगल में बदल गया है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, दिल्ली और एनसीआर में भूजल दोहन अब खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। अगर अगले 10 से 15 साल में पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन की व्यापक योजना नहीं बनी, तो कई इलाके डे-जीरो की स्थिति में पहुंच सकते हैं। यह वह स्थिति है जब किसी शहर या क्षेत्र का जल भंडार इतना कम हो जाए कि सरकारी स्तर पर पानी की नियमित आपूर्ति लगभग बंद करनी पड़े। पर्यावरणविद् सुनीता नारायण का मानना है, पानी का अवैध व्यापार पूरे दिल्ली-एनसीआर में सबसे बड़ा खतरा है। सरकार को केवल अवैध बोरवेल बंद करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि पुनर्भरण को अनिवार्य करना चाहिए।
आईआईटी-दिल्ली के जल संसाधन विशेषज्ञ प्रो. मनोज मिश्रा कहते हैं, दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहर कंक्रीट के जंगल बन गए हैं। यहां प्राकृतिक जल स्रोत खत्म हो रहे हैं। जब तक रेनवाटर हार्वेस्टिंग, तालाबों का पुनर्जीवन और ग्रीन एरिया बढ़ाने पर जोर नहीं दिया जाएगा, तब तक भूजल का संतुलन वापस नहीं आएगा।
एनसीआर में भूजल की स्थिति
दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के प्रमुख शहरों नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी भूजल संकट गहराता जा रहा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की रिपोर्ट के अनुसार, यहां का भूजल स्तर हर साल 1 से 1.5 मीटर तक गिर रहा है। सेक्टर-62, 63, 128 जैसे इलाकों में भूजल की गहराई 35 से 45 मीटर तक गिर चुकी है। आवासीय और औद्योगिक विकास के चलते मांग बहुत अधिक है लेकिन रिचार्ज सीमित है।
विशेषज्ञ बोले- एनसीआर के शहरों में कड़े नियम जरूरी
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली सरकार ने एनजीटी को सौंपे गए अपने ताजा कदमों से यह संकेत दिया है कि राजधानी में अब भूजल के अवैध दोहन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि केवल कार्रवाई और निगरानी से समस्या का हल नहीं निकलेगा। जब तक एनसीआर के शहरों नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, वैशाली, वसुंधरा, कौशांबी और इंदिरापुरम में भूजल पुनर्भरण (रिचार्ज), वर्षा जल संचयन और कठोर नियमन की नीति नहीं अपनाई जाती, तब तक पूरे क्षेत्र में पानी का संकट और गहराता जाएगा।