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Building Bylaws: नोएडा, ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण में बन सकेंगी देश की सबसे ऊंची इमारतें, ड्राफ्ट तैयार
सुशील पांडेय, नोएडा
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 19 Sep 2025 06:31 AM IST
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सार
बिल्डर पहले की तुलना में दो से तीन गुना ज्यादा प्रीमियम फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) खरीदकर निर्माण कर सकेंगे।

यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अब नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में देश की सबसे ऊंची इमारतें बनाने का रास्ता साफ होगा। इससे शहर में खड़ी पुरानी इमारतों की ऊंचाई का रिकॉर्ड भी टूटेगा। बिल्डर पहले की तुलना में दो से तीन गुना ज्यादा प्रीमियम फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) खरीदकर निर्माण कर सकेंगे। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के लिए एकीकृत भवन विनियमावली के तैयार किए गए ड्राफ्ट में इस प्रावधान को पहली बार शामिल किया गया है।

ड्राफ्ट पर औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के अधिकारी आगामी 22 सितंबर को मंथन करेंगे। मंजूरी के बाद ड्राफ्ट को आगे बढ़ाने का काम शुरू हो जाएगा। इसे दो माह में इसे लागू कराने की योजना है। दरअसल, आवास विभाग का बिल्डिंग बॉयलॉज बन गया था। लेकिन औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के क्षेत्र के लिए नया बिल्डिंग बॉयलॉज तैयार करने की प्रक्रिया चल रही थी। प्राधिकरण के सूत्रों के मुताबिक अब इन्वेस्ट यूपी ने इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसे शासन स्तर पर गठित सात सदस्यीय कमेटी ने तैयार कराया है। इसी में प्रीमियम परचेजेबल एफएआर का जिक्र किया गया है। अब इसी पर प्राधिकरणों की राय जानी जाएगी।
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दो से पांच गुना तक बढ़ेगी नई इमारतों की ऊंचाई
अधिकारियों के मुताबिक नए बिल्डिंग बॉयलॉज के ड्राफ्ट में बेसिक एफएआर के दो से तीन गुने तक प्रीमियम परचेजेबल एफएआर दिलाने की व्यवस्था की जा रही है। ऐसे में एक ओर जहां इमारत का ग्राउंड कवरेज बढ़ेगा। वहीं दूसरी ओर नई इमारतों की ऊंचाई पहले की तुलना में दो से पांच गुना तक बढ़ जाएगी।
परचेजेबल एफएआर के दोगुने रेट पर मिलेगा प्रीमियम परचेजेबल
प्रीमियम परचेजेबल एफएआर का रेट पुराने रेट का दोगुना होगा। ऐसे में यह बिल्डरों व अन्य आवंटियों के लिए महंगा सौदा होगा। हालांकि उनको नियम के तहत ज्यादा निर्माण करने की छूट भी मिलेगी। इससे वह लाभ भी प्राप्त कर सकेंगे। हालांकि यह कितना महंगा होगा यह नए बॉयलॉज के अस्तित्व में आने के बाद तय होगा।
यह होता है एफएआर
एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेशियो। अगर किसी बिल्डर ने ग्रुप हाउसिंग विभाग की एक लाख वर्गमीटर जमीन खरीदी है तो उसे अधिकतम 3.5 एफएआर मिल सकता है। यानी उस प्लॉट पर अधिकतम 3.5 लाख वर्गमीटर क्षेत्रफल तक का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए बिल्डर चाहे तो 10-10 हजार वर्गमीटर का ग्राउंड कवरेज लेते हुए 10-10 मंजिला तीन टावर और एक पांच मंजिला टावर बना सकता है। अगर बिल्डर के आवंटन के वक्त एफएआर 2.75 था तो वह बाकी एफएआर खरीद कर लाभ उठा सकता है।
नई व्यवस्था के तहत प्रीमियम एफएआर खरीद के दौरान बिल्डर को 3.5 एफएआर के दोगुने और तीन गुने तक एफएआर मिल सकता है। बस उसे जेब ढीली करनी होगी। जब एफएआर अधिक होगा तो इमारत की ऊंचाई के साथ ग्राउंड कवरेज भी बढ़ जाएगा।
यह है मकसद, ऐसे होगा काम
प्रीमियम परचेजेबल एफएआर का मकसद निवेश को आकर्षित करना और जमीन का बेहतर उपयोग करना है। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा एफएआर दिया जाएगा। इसके बाद जन सामान्य से आपत्ति और सुझाव लिए जाएंगे। इसके बाद बोर्ड आदि में रखा जाएगा। इसके बाद शासन से मंजूरी के बाद गजट नोटिफिकेशन होगा। फिर गाइडलाइंस बनेगी। इसके बाद इसका अनुपालन कराया जाएगा। नए प्लॉट में नए बायलॉज के तहत काम होंगे।
पुराने आवंटन में भी होगा लाभ
अगर किसी बिल्डर ने पुरानी व्यवस्था के तहत जमीन का आवंटन कराया है और उसके पास खाली जमीन है तो वह नई व्यवस्था के तहत प्रीमियम एफएआर खरीद सकता है। हालांकि वह इमारत की ऊंचाई नहीं बढ़ा सकेगा बल्कि केवल ग्राउंड कवरेज बढ़ाने की अनुमति मिलेगी।
यह होंगे नियम
पुरानी व्यवस्था में परचेजेबल एफएआर का लाभ देते समय यह देखा जाता था कि पुरानी इमारत के बगल में 24 मीटर चौड़ी सड़क हो। साथ ही इमारत 1800 वर्गमीटर से कम में नहीं बनी हो। अब नए बिल्डिंग बॉयलॉज में इसी नियम के तहत काम को आगे बढ़ाया जा सकेगा। संभव है कि सड़क की चौड़ाई और निर्माण का एरिया कुछ बढ़ाया जाए।