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Gurugram: हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए बनाया ग्रीन कॉरिडोर, 18 किलोमीटर की दूरी 13 मिनट में तय की

संवाद न्यूज एजेंसी, गुरुग्राम Published by: नोएडा ब्यूरो Updated Sat, 03 Aug 2024 03:04 AM IST
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सार

दिल्ली बॉर्डर से अस्पताल परिसर तक ग्रीन कॉरिडोर द्वारा हार्ट लाया गया। इस दौरान 100 पुलिस अधिकारियों का सहयोग लिया गया।

Green corridor built for heart transplant, distance of 18 kilometers covered in 13 minutes
हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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शुक्रवार को गुरुग्राम पुलिस द्वारा हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। ग्रीन कॉरिडोर की मदद से गुरुग्राम-दिल्ली बॉर्डर से अस्पताल तक एंबुलेंस ने बारिश के बीच 18 किलोमीटर की दूरी महज 13 मिनट में तय की। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि कोलकाता में एक सड़क दुर्घटना में घायल एक महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डैड घोषित कर दिया था।

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नोटो की मंजूरी मिलने के बाद डॉक्टरों की एक टीम ब्रेन डैड मरीज का हार्ट रिट्रीव करने के लिए कोलकाता रवाना हुई। मृतक के शरीर से निकाले गए हार्ट को जल्द से जल्द गुरुग्राम लाने के लिए कोलकाता पुलिस ने कोलकाता के सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक एक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया। इसके बाद हार्ट को इंडिगो एयरलाइंस की उड़ान से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट और फिर एयरपोर्ट से वीआईपी निकासी द्वार से इसे सुगमतापूर्वक बाहर लाया गया। इसके बाद दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस की तालमेल से एक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया और हार्ट को गुरुग्राम के अस्पताल पहुंचाकर मरीज को नया जीवनदान दिया गया।
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100 पुलिसकर्मियों की ली गई मदद
डीसीपी ट्रैफिक वीरेंद्र विज ने बताया कि दिल्ली बॉर्डर से अस्पताल परिसर तक ग्रीन कॉरिडोर द्वारा हार्ट लाया गया। इस दौरान 100 पुलिस अधिकारियों का सहयोग लिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में चार घंटे का समय लगा। ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिए दिल्ली पुलिस की भी मदद ली गई थी।

डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित था मरीज
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि 54 वर्षीय ब्रेन डैड महिला का हार्ट 34 साल के मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया। मरीज डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित था। मरीज को काफी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया था। उस समय मरीज का हृदय 10- 15% ही काम कर रहा था और वह पहले से ही आर्टिफिशियल हार्ट सपोर्ट- लेफ्ट वेंट्रिक्यूलर असिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) पर था।

यदि मरीज का तुरंत उपचार नहीं किया जाता तो वे एडवांस हार्ट फेलियर की अवस्था में रहते जिसमें पल्मोनेरी आर्टरी प्रेशर भी बढ़ता जाता और आने वाले दिनों में मरीज सर्जरी के लायक भी नहीं रहता। साथ ही उस स्थिति में पहुंचने के बाद हार्ट ट्रांसप्लांट की संभावना भी काफी कम हो सकती थी। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है और हमें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में वह चलने-फिरने लगेंगे। इसके अलावा मरीज आर्थिक रूप से भी कमजोर था, उसकी मदद के लिए भी अस्पताल की तरफ से कैंपेन चलाया गया था।

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