'गुटूर-गू' से सावधान: कबूतर के पंखों-बीट से हो रही फेफड़ों की बीमारी, लंबे समय तक संपर्क में रहने से परेशानी
वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. राज कुमार ने कहा कि कबूतर के पंख और बीट से फेफड़ों से जुड़े रोग हो सकते हैं। यह काफी एलर्जिक होते हैं।
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कबूतर के पंखों और बीट से फेफड़ों का सामान्य रोग अतिसंवेदनशीलता न्यूमोनाइटिस हो सकता है। यह ऐसे लोगों में होने की आशंका ज्यादा होती है जो लंबे समय तक इनके संपर्क में रहते हैं। रोग की गंभीरता व्यक्ति के प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया पर निर्भर होती है।
वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. राज कुमार ने कहा कि कबूतर के पंख और बीट से फेफड़ों से जुड़े रोग हो सकते हैं। यह काफी एलर्जिक होते हैं। ऐसे लोग जो लंबे समय तक इनकी गंध को सांस के साथ लेते हैं उनके फेफड़ों में दिक्कत शुरू हो जाती है।
वहीं डॉ. अक्षय बुधराजा ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को खांसी, सांस लेने में कठिनाई और बुखार हो तो सतर्क हो जाना चाहिए। साथ ही देखना चाहिए कि उनके खिड़की या घर के आसपास कोई कबूतर या उसका घोसला तो नहीं हैं। इनके पंख और बीट की गंध नाक से होते हुए फेफडों में जाकर गंभीर रोग कर सकते हैं। इनके कारण पल्मोनरी फाइब्रोसिस तक हो सकता है।
कबूतरों की बीट से होने वाली बीमारियों से बचाएगी एमसीडी
एमसीडी कबूतरों की बीट से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य खतरों से नागरिकों को बचाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू करेगी। इसके अंतर्गत फुटपाथों, गोलचक्करों और चौराहों पर स्थित कबूतरों के दाना खिलाने के स्थलों पर प्रतिबंध लगाने और वहां दाना डालने की गतिविधि पर रोक लगाने की योजना बनाई जा रही है। इस पहल का उद्देश्य शहर के नागरिकों को उन रोगों से बचाना है जो कबूतरों की बीट के कारण उत्पन्न हो सकते हैं।
एमसीडी के अनुसार, एक रिपोर्ट में कबूतरों की बीट से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का खुलासा हुआ, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है। एमसीडी के अंतर्गत आने वाले चांदनी चौक, मोरी गेट, कश्मीरी गेट, पहाड़गंज, जामा मस्जिद आदि कबूतरों को दाना खिलाने के प्रमुख स्थानों के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन स्थलों पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग धार्मिक विश्वासों या आस्था के कारण कबूतरों को दाना डालते हैं। साथ ही, इन स्थानों पर दाना बेचने वाले विक्रेता भी मौजूद रहते हैं, जो लोगों को इन गतिविधियों में प्रोत्साहित करते हैं।
एमसीडी के मुताबिक इस योजना के अंतर्गत जल्द ही दाना खिलाने वाले स्थलों का सर्वेक्षण किया जाएगा और इसके बाद उन्हें बंद करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इस अभियान के लिए एक सलाह भी जारी की जाएगी, ताकि लोग इन स्वास्थ्य खतरों से अवगत हो सकें और अपनी सुरक्षा के लिए कबूतरों को दाना खिलाने से बचें। इन स्थानों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव अभी शुरुआती चरण में है।