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MCD: असली मुकाबला तीनों दलों के बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा का, वर्तमान नेतृत्व क्षमता का आइना बनेंगे नतीजे
विनोद डबास, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विजय पुंडीर
Updated Mon, 01 Dec 2025 03:37 AM IST
सार
उपचुनाव परिणाम सीधे तौर पर राजधानी की तीनों प्रमुख पार्टियों के वर्तमान नेतृत्व की क्षमता, पकड़ और विश्वसनीयता का आइना बनेगा। इस कारण तीनों पार्टियों के प्रमुखों ने उपचुनाव में आम चुनाव की तरह ताकत लगाई।
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एमसीडी मुख्यालय
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
एमसीडी के 12 वार्डों में रविवार को हुए उपचुनाव में भाजपा, आप और कांग्रेस के 36 समेत 51 उम्मीदवारों के बीच असली मुकाबला नहीं बल्कि तीनों दलों के बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा का है। उपचुनाव परिणाम सीधे तौर पर राजधानी की तीनों प्रमुख पार्टियों के वर्तमान नेतृत्व की क्षमता, पकड़ और विश्वसनीयता का आइना बनेगा। इस कारण तीनों पार्टियों के प्रमुखों ने उपचुनाव में आम चुनाव की तरह ताकत लगाई। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने भी चुनाव में ताकत लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार कोई चुनाव हुआ है।
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मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत 11 पार्षदों के विधायक बनने और कमलजीत सहरावत के पश्चिमी दिल्ली की सांसद के कारण इन 12 वार्डों में उपचुनाव हुआ। इन वार्डों में वर्ष 2022 में नौ में भाजपा व तीन में आप जीती थी। भाजपा और आप ने अपने वार्डों में दोबारा जीत हासिल करने के लिए संबंधित विधायक व सांसद की पसंद के उम्मीदवार उतारे। इस तरह उपचुनाव में जीत सिर्फ संगठन की नहीं बल्कि शीर्ष नेताओं के प्रभाव की भी परीक्षा होगी।
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दिलचस्प तथ्य यह है कि तीनों दलों के 36 उम्मीदवारों में एक भी कद्दावर नेता नहीं है। उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के सामने 12 में से 9 वार्डों में पार्टी की पिछली जीत को दोहराने की चुनौती रही। इसके अलावा यह उपचुनाव भाजपा सरकार के कामकाज के संबंध में जनता का पहला सीधा मूल्यांकन भी माना जा रहा है। वहीं, आप के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज डबल प्रेशर में दिखे।
वे न सिर्फ पार्टी के तीनों वार्ड वापस जिताने में लगे रहे बल्कि ग्रेटर कैलाश जैसे अपने गृह क्षेत्र में भाजपा को रोकने में भी उनकी प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है जबकि कांग्रेस इस बार पिछली बार की तुलना में कहीं अधिक सक्रिय दिख रही है। इधर, कांग्रेस ने हर वार्ड में प्रत्याशियों को स्थानीय मुद्दों और मोहल्ला-स्तर की नाराजगी पर फोकस करने की रणनीति पर काम किया।