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ग्रेटर नोएडा : जीबीयू में शुरू होंगे विरासत पुनरुद्धार पर पीजी डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स, पढ़ें पूरी जानकारी

अंकुर त्रिपाठी, अमर उजाला, ग्रेटर नोएडा Published by: विजय पुंडीर Updated Thu, 06 Nov 2025 11:47 AM IST
सार

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय विरासत पुनरुद्धार पर पीजी डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसमें विश्वविद्यालय प्रशासन को केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की मदद करेगा।

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PG Diploma and Certificate courses on heritage restoration to be started at GBU
जीबीयू में शुरू होंगे विरासत पुनरुद्धार पर पीजी डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) में छात्रों को ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण, पुनर्स्थापन, रखरखाव, पुनर्निर्माण और अन्य तकनीकी पहलुओं के बारे में सत्र 2025-26 से पढ़ाया जाएगा। विश्वविद्यालय विरासत पुनरुद्धार पर पीजी डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है।

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इसमें विश्वविद्यालय प्रशासन को केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की मदद करेगा। इसके माध्यम से भारत की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत को संरक्षित और सशक्त किया जा सकेगा। यह समझौता उच्च शिक्षा, अनुसंधान एवं तकनीकी सहयोग के लिए मील का पत्थर साबित होगा। विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि पहला बैच 30 सीटों से शुरू हो सकता है।
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सीबीआरआई के निदेशक डॉ. आर प्रदीप कुमार ने विश्वविद्यालय के आर्किटेक्चर, प्लानिंग, सिविल इंजीनियरिंग, आईसीटी, लॉ, मैनेजमेंट और बायोटेक्नोलॉजी विभागों के साथ विभिन्न शोध और प्रशिक्षण क्षेत्रों में संभावित सहयोग पर चर्चा की।

उन्होंने बताया कि कई राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं जैसे राम मंदिर और संसद भवन के निर्माण और संरक्षण से जुड़ा होने के लिए विशेष रूप से सराहा गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय सदैव ऐसे संस्थानों के साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध है जो राष्ट्र निर्माण और अनुसंधान उत्कृष्टता में योगदान दे रहे हैं।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होंगे संयुक्त सम्मेलन
विवि में संयुक्त शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें छात्रों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर संयुक्त सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। वहीं संकाय एवं शिक्षक विनिमय कार्यक्रमों का संचालन भी होगा। कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने बताया कि इससे न केवल शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के साथ कार्य करने का अवसर भी मिलेगा।

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