अंग प्रत्यारोपण पर पाकिस्तानी महिला को कोर्ट ने दी राहत, पति को बचाने की उम्मीदें बरकरार
पाकिस्तान निवासी सईदा नूर अफसान अपने पति के गुर्दे व लीवर के प्रत्यारोपण के लिए दिल्ली आई लेकिन कानूनी अड़चन के चलते उसकी किसी ने सहायता नहीं की।
हाईकोर्ट के एक आदेश से उसे पति के जीवन को बचाने के लिए आशा की एक किरण नजर आ गई। अदालत ने स्वास्थ्य मंत्रालय व एक निजी अस्पताल प्रशासन को महिला की अंग प्रत्यारोपण संबंधी आग्रह पर विचार करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने संबंधित पक्षों को सईदा के आवेदन पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर निर्णय लेने को कहा है। कराची निवासी सईदा ने बताया कि उसके पति सुलेमान मोहम्मद को राजधानी के एक निजी अस्पताल में गुर्दे और लीवर प्रत्यारोपण सर्जरी से गुजरना पड़ रहा है लेकिन संबंधित विभागों ने उसे इजाजत नहीं दी है।
40 वर्षीय सईदा ने कहा कि है कि उसके पति को कराची के एक अस्पताल में गुर्दे व लीवर के खराब होने की जानकारी मिली थी और उसके बाद वे दिल्ली आ गए थे। यहां डॉक्टरों ने गुर्दे और लीवर प्रत्यारोपण की सलाह दी है।
दाता और दान लेने वाले दोनों हैं पाकिस्तानी नागरिक
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने एक गुर्दा पति को दान करने का निर्णय किया लेकिन डॉक्टरों ने उसके लीवर के उत्तकों को लेने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि कराची निवासी उनका एक दोस्त मानवीय आधार पर लीवर देने के लिए तैयार है।
याची ने कहा कि 26 जुलाई को उसने स्वास्थ्य मंत्रालय व अस्पताल प्रशासन को प्रत्यारोपण सर्जरी की इजाजत देने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने उसके पक्ष को सुनने से इनकार कर दिया।
याची के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि दाता और दान लेने वाला दोनों पाकिस्तानी नागरिक हैं और केवल अनुमति मात्र से उनकी मुवक्किल के पति सुलेमान के जीवन को बचाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सुलेमान अस्पताल में भर्ती है और उसकी हालत गंभीर है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता व अन्य संबंधित व्यक्ति पाकिस्तानी नागरिक है और उनके लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जरूरी है।