सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत: चार साल चली जांच में नहीं मिले CBI को भ्रष्टाचार के सबूत, कोर्ट ने बंद किया केस
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में पेशेवरों की अनियमित नियुक्ति और असंबंधित परियोजना निधि से भुगतान के आरोपों से संबंधित दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और अन्य के खिलाफ दर्ज मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
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लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में पेशेवरों की अनियमित नियुक्ति और असंबंधित परियोजना निधि से भुगतान के आरोपों से संबंधित एक मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की तरफ से दायर क्लोजर रिपोर्ट को राउज एवेन्यू कोर्ट ने स्वीकार कर ली है।
मामला दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और अन्य के खिलाफ था। विशेष न्यायाधीश दिग्विनय सिंह ने कहा कि कई वर्षों की जांच के बावजूद आरोपितों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम या किसी अन्य अपराध के तहत आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई सुबूत नहीं मिला।
कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय बाद भी जांच एजेंसी को कोई सुबूत नहीं मिला ऐसे में आगे की कार्यवाही किसी काम की नहीं है। भ्रष्टाचार के प्रावधानों को लागू करने के लिए कुछ सामग्री तो होनी ही चाहिए। केवल कर्तव्य की उपेक्षा या कर्तव्य का अनुचित प्रयोग ही अधिनियम के तहत उल्लंघन नहीं माना जा सकता।
दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की एक शिकायत के आधार पर सत्येंद्र जैन और अन्य लोक निर्माण विभाग अधिकारियों के खिलाफ 2018 में प्राथमिकी की गई थी। आरोप है कि जैन और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने भर्ती और वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए सलाहकारों की एक क्रिएटिव टीम की अनियमित रूप से नियुक्ति की गई थी।
यह भी आरोप लगाया गया था कि भर्ती प्रक्रिया में मानक भर्ती प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया गया था और वित्त विभाग की मंजूरी के बिना बारापुला फेज-तीन जैसी असंबंधित परियोजनाओं पर खर्च कर दिया गया था।
लगभग चार वर्षों तक मामले की जांच करने के बाद सीबीआई को कोई आपराधिक मामला या व्यक्तिगत लाभ, रिश्वतखोरी के सुबूत नहीं मिले। सीबीआई की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि यदि किसी के खिलाफ कोई नई सामग्री प्राप्त होती है, तो सीबीआई मामले की आगे जांच करने व उचित कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी।