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Delhi: यूपी में गंगा की बाढ़भूमि होगी सुरक्षित...लगेंगे 7,350 पिलर, 2026 तक हो जाएगा 710 किलोमीटर का सीमांकन
अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sun, 21 Dec 2025 03:49 AM IST
सार
उन्नाव से बलिया तक करीब 710 किलोमीटर लंबे हिस्से में यह भौतिक सीमांकन किया जा रहा है, ताकि भविष्य में बाढ़ जोखिम घटे और नदी का पारिस्थितिकी तंत्र सुरक्षित रह सके।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के प्राकृतिक प्रवाह, बाढ़ सुरक्षा और अतिक्रमण नियंत्रण की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने गंगा की बाढ़भूमि (फ्लड प्लेन) की स्पष्ट सीमा तय करने के लिए वर्ष 2026 तक 7,350 पिलर लगाने की योजना को अमल में लाना शुरू कर दिया है। उन्नाव से बलिया तक करीब 710 किलोमीटर लंबे हिस्से में यह भौतिक सीमांकन किया जा रहा है, ताकि भविष्य में बाढ़ जोखिम घटे और नदी का पारिस्थितिकी तंत्र सुरक्षित रह सके।
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उत्तर प्रदेश सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने गंगा फ्लड प्लेन के सीमांकन की प्रगति से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल की है। यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 19 मई, 2025 को दिए गए आदेश के अनुपालन में 18 दिसंबर को प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट में गंगा और उसकी सहायक नदियों की बाढ़ भूमि को परिभाषित करने और सुरक्षित रखने के लिए उठाए गए प्रशासनिक व तकनीकी कदमों का विवरण दिया गया है।
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रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में गंगा नदी की बाढ़ भूमि को चिह्नित करने के लिए कुल 7,350 स्तंभ (पिलर) लगाए जाएंगे। सभी जिलों में तकनीकी मानकों के आधार पर फ्लड प्लेन का निर्धारण पूरा हो चुका है। इनमें से 10 जिलों में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर कार्यादेश जारी कर दिए गए हैं, जबकि शेष तीन जिलों में टेंडर अंतिम चरण में हैं। विभाग ने सभी कार्य 31 मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। सिंचाई विभाग का कहना है कि सेगमेंट-बी, फेज-द्वितीय (उन्नाव से बलिया) में सीमांकन कार्य को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के लिए विभागीय स्तर पर नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एनजीटी के आदेश का पूरी तरह पालन हो और किसी भी स्तर पर देरी न हो।
आपदाओं से बचाव की रणनीति
गंगा-यमुना जैसी नदियों की बाढ़ भूमि का स्पष्ट सीमांकन केवल प्रशासनिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि भविष्य की आपदाओं से बचाव की रणनीति का हिस्सा है। फ्लड प्लेन पर अतिक्रमण से नदियों की प्राकृतिक फैलाव क्षमता घटती है, जिससे बाढ़ की तीव्रता बढ़ती है। पिलर आधारित भौतिक सीमांकन से अवैध निर्माण पर नियंत्रण, भूमि उपयोग नियोजन में स्पष्टता और नदी के प्राकृतिक प्रवाह व जैव विविधता की रक्षा संभव हो सकेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह योजना समय पर और प्रभावी ढंग से लागू होती है, तो उत्तर प्रदेश में गंगा-यमुना घाटी के कई बाढ़ प्रवण जिलों को दीर्घकालिक सुरक्षा मिल सकती है और नदी संरक्षण के राष्ट्रीय प्रयासों को भी मजबूती मिलेगी।
यमुना फ्लड प्लेन पर भी समानांतर तैयारी
रिपोर्ट में यमुना नदी की बाढ़ भूमि के सीमांकन की स्थिति का भी उल्लेख किया गया है। यमुना के लिए फ्लड प्लेन का निर्धारण पूरा कर लिया गया है, परियोजना तैयार और स्वीकृत हो चुकी है तथा लागत का आकलन भी किया जा चुका है। इस परियोजना को उत्तर प्रदेश बाढ़ नियंत्रण परिषद की तकनीकी ऑडिट समिति से मंजूरी मिल चुकी है। अब इसे स्टीयरिंग कमेटी के समक्ष रखा गया है, जिसके बाद गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग को भेजा जाएगा। योजना के तहत यमुना नदी के किनारे उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में कुल 21,582 पिलर लगाए जाएंगे। आयोग से अंतिम मंजूरी मिलते ही कार्य शुरू किया जाएगा। इसे भी 31 मार्च, 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।